Rajya Ke Saptang Sidhhant राज्य के सप्तांग सिद्धांत

राज्य के सप्तांग सिद्धांत

GkExams on 25-11-2018


राज्य के तत्त्व : सप्तांग सिद्धांत

कौटिल्य ने पाश्चात्य राजनीतिक चिन्तकों द्वारा प्रतिपादित राज्य के चार आवश्यक तत्त्वों - भूमि, जनसंख्या, सरकार व सम्प्रभुता का विवरण न देकर राज्य के सात तत्त्वों का विवेचन किया है। इस सम्बन्ध में वह राज्य की परिभाषा नहीं देता किन्तु पहले से चले आ रहे साप्तांग सिद्धांत का समर्थन करता है। कौटिल्य ने राज्य की तुलना मानव-शरीर से की है तथा उसके सावयव रूप को स्वीकार किया है। राज्य के सभी तत्त्व मानव शरीर के अंगो के समान परस्पर सम्बन्धित, अन्तनिर्भर तथा मिल-जुलकर कार्य करते हैं-

स्वाम्यमात्यजनपददुर्गकोशदण्डमित्राणि प्रकृतयः ॥अर्थशास्त्र 06.1.01॥
  • (1) स्वामी (राजा) शीर्ष के तुल्य है। वह कुलीन, बुद्धिमान, साहसी, धैर्यवान, संयमी, दूरदर्शी तथा युद्ध-कला में निपुण होना चाहिए।
  • (2) अमात्य (मंत्री) राज्य की आँखे हैं। इस शब्द का प्रयोग कौटिल्य ने मंत्रीगण, सचिव, प्रशासनिक व न्यायिक पदाधिकारियों के लिए भी किया है। वे अपने ही देश के जन्मजात नागरिक, उच्च कुल से सम्बंधित, चरित्रवान, योग्य, विभिन्न कलाओं में निपुण तथा स्वामीभक्त होने चाहिए।
  • (3) जनपद (भूमि तथा प्रजा या जनसंख्या) राज्य की जंघाएँ अथवा पैर हैं, जिन पर राज्य का अस्तित्व टिका है। कौटिल्य ने उपजाऊ, प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण, पशुधन, नदियों, तालाबों तथा वन्यप्रदेश प्रधान भूमि को उपयुक्त बताया है।

जनसंख्या में कृषकों, उद्यमियों तथा आर्थिक उत्पादन में योगदान देने वाली प्रजा सम्मिलित है। प्रजा को स्वामिभक्त, परिश्रमी तथा राजा की आज्ञा का पालन करने वाला होना चाहिए।

  • (4) दुर्ग (किला) राज्य की बाहें हैं, जिनका कार्य राज्य की रक्षा करना है। राजा को ऐसे किलों का निर्माण करवाना चाहिए, जो आक्रमक युद्ध हेतु तथा रक्षात्मक दृष्टिकोण से लाभकारी हों। कौटिल्य ने चार प्रकार के दुर्गों-औदिक (जल) दुर्ग, पर्वत (पहाड़ी) दुर्ग, वनदुर्ग (जंगली) तथा धन्वन (मरुस्थलीय) दुर्ग का वर्णन किया है।
  • (5) कोष (राजकोष) राजा के मुख के समान है। कोष को राज्य का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व माना गया है, क्योंकि राज्य के संचालन तथा युद्ध के समय धन की आवश्यकता होती है। कोष इतना प्रचुर होना चाहिए कि किसी भी विपत्ति का सामना करने में सहायक हो। कोष में धन-वृद्धि हेतु कौटिल्य ने कई उपाय बताए हैं। संकटकाल में राजस्व प्राप्ति हेतु वह राजा को अनुचित तरीके अपनाने की भी सलाह देता है।
  • (6) दण्ड (बल, डण्डा या सेना) राज्य का मस्तिष्क हैं। प्रजा तथा शत्रु पर नियंत्रण करने के लिए बल अथवा सेना अत्यधिक आवश्यक तत्त्व है। कौटिल्य ने सेना के छः प्रकार बताए हैं। जैसे-वंशानुगत सेना, वेतन पर नियुक्त या किराए के सैनिक, सैन्य निगमों के सैनिक, मित्र राज्य के सैनिक, शत्रु राज्य के सैनिक तथा आदिवासी सैनिक। संकटकाल में वैश्य तथा शूद्रों को भी सेना में भर्ती किया जा सकता है। सैनिकों को धैर्यवान, दक्ष, युद्ध-कुशल तथा राष्ट्रभक्त होना चाहिए। राजा को भी सैनिकों की सुख-सुविधाओं का ध्यान रखना चाहिए। कौटिल्य ने दण्डनीति के चार लक्ष्य बताए हैं- अप्राप्य वस्तु को प्राप्त करना, प्राप्त वस्तु की रक्षा करना, रक्षित वस्तु का संवर्धन करना तथा संवख्रधत वस्तु को उचित पात्रों में बाँटना।
  • (7) सुहृद (मित्र) राज्य के कान हैं। राजा के मित्र शान्ति व युद्धकाल दोनों में ही उसकी सहायता करते हैं। इस सम्बन्ध में कौटिल्य सहज (आदर्श) तथा कृत्रिम मित्र में भेद करता है। सहज मित्र कृत्रिम मित्र से अधिक श्रेष्ठ होता है। जिस राजा के मित्र लोभी, कामी तथा कायर होते हैं, उसका विनाश अवश्यम्भावी हो जाता है।

इस प्रकार कौटिल्य का सप्तांग सिद्धांत राज्य के सावयव स्वरूप (Organic form) का निरूपण करते हुए सभी अंगो (तत्त्वों) की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है। यद्यपि यह सिद्धांत राज्य की आधुनिक परिभाषा से मेल नहीं खाता, किन्तु कौटिल्य के राज्य में आधुनिक राज्य के चारों तत्त्व विद्यमान हैं। जनपद भूमि व जनसंख्या है, अमात्य सरकार का भाव है तथा स्वामी (राजा) सम्प्रभुत्ता का प्रतीक है। कोष का महत्त्व राजप्रबन्ध, विकास व संवर्धन में है तथा सेना आन्तरिक शान्ति व्यवस्था तथा बाहरी सुरक्षा के लिए आवश्यक है। विदेशी मामलों में मित्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, किन्तु दुर्ग का स्थान आधुनिक युग में सुरक्षा-प्रतिरक्षा के अन्य उपकरणों ने ले लिया है।

Advertisements


Advertisements


Comments Devendra on 18-07-2023

बुद्ध कालीन गणराज्य कितने थे उनकी स्थिति का वर्णन कीजिए

Computer Kiya hai on 06-02-2021

Computer software Kiya hai

Reeta devi on 12-05-2019

Kiratarjuniyam mahakabya ke saptang tatv kaya hai.

Advertisements

RAVINDRA MASIYA on 21-08-2018

Rajya ka saptang sidhant


Advertisements

आप यहाँ पर gk, question answers, general knowledge, सामान्य ज्ञान, questions in hindi, notes in hindi, pdf in hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं।
नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity


इस टॉपिक पर कोई भी जवाब प्राप्त नहीं हुए हैं क्योंकि यह हाल ही में जोड़ा गया है। आप इस पर कमेन्ट कर चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं।

Labels: , , , , ,
hello
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।

अपना जवाब या सवाल नीचे दिये गए बॉक्स में लिखें।