Bauddh Dharm Me Jati Vyavastha बौद्ध धर्म में जाति व्यवस्था

बौद्ध धर्म में जाति व्यवस्था

Pradeep Chawla on 14-10-2018

लोगों की समझ है कि, बुद्ध का अवतार, यज्ञ-यागों का निषेध करने के लिये हुआ- “निन्दसि यज्ञविधेरहह श्रुतिजातं, सदयहृदयदर्शितपशुघातं, केशवघृतबुद्धशरीर, जय जगदीश हरे” (गीतगो. लेकिन यह बात ठीक नहीं है। बुद्ध के पहले अनेक श्रमण-संस्थाओं ने हिंसा मय यज्ञ त्याग का निषेध किया था, और उसके फलस्वरूप, बुद्ध काल में सामान्य जन समूह, हिंसामय यज्ञ-यागों से विरत होने लगा था। इसलिये यद्यपि बुद्ध ने इतर श्रमणों की तरह हिंसात्मक यज्ञ-यागों का निषेध किया, तो भी उस पर अधिक जोर नहीं दिया। भगवान् का सारा जोर जाति भेदमूलक वर्णाश्रम-धर्म के प्रतिषेध पर था।


“न जच्चा बसलो होति, न जच्चा होति ब्राणणो,कम्मुना वसलो होति, कम्मुना होति ब्राह्मणो”


कोई भी मनुष्य, जाति से ही वृषल (चण्डाल) अथवा ब्राह्मण नहीं होता, किन्तु कर्म से वृषल वा ब्राह्मण होता है।


यही बात भगवान् ने अनेक सूत्रों में प्रतिपादित की है। और ब्राह्मण लोग उन पर जो अभियोग लगाते थे, वह यह था कि “श्रमण गोतम चारों वर्णों की शुद्धि का प्रतिपादन करते हैं- ‘समणो गोतमो चातुण्णािं सुद्धि पञ्चापेति’ तो भी कोई कोई ब्राह्मण, जातिमूलक वर्णभेद में सन्देह रखते थे। उदाहरण के लिये ‘वासेट्ठ-सुत्त’ में वासेट्ठ ब्राह्मण बोलता है-


“जातिया ब्राह्मणो होति, भारद्वाजो इति भासति; अहं च कम्मुना ब्रमि; एवं जानाहि चक्खुम।”


हे चक्षुष्मन्, बुद्ध भारद्वाज कहता है कि जाति से ब्राह्मण होता है; किन्तु मैं कहता हूँ कि कर्म से होता है।


स्यात् श्रमणों में जातिभेद का जो अत्यन्त अभाव था, उसका प्रभाव कुछ वासिष्ठ ऐसे विवेकशील ब्राह्मणों पर भी पड़ा था। यद्यपि वे बहुत थोड़े थे, तथापि बुद्ध भगवान् के गुण-कर्मानुसार वर्णाश्रम धर्म-प्रचार में उनका बहुत साहाय्य हुआ। यदि सभी ब्राह्मण और क्षत्रिय, जाति से ही वर्णाश्रम मानने का आग्रह धरते, तो भगवान् बुद्ध, गुण-कर्म से वर्णाश्रम-धर्म की व्यवस्था का प्रचार करने में समर्थ नहीं होते।


कुछ भी हो; हमारे पास जैन और बौद्ध वांग्मय, प्राचीन शिला-लेख, आदि जो इतिहास के साधन उपलब्ध हैं, इनसे विदित होता है कि भारतवर्ष में, भगवान् बुद्ध से लेकर गुप्तराजों तक गुण-कर्म से वर्णाश्रम धर्म मानने वाले वरिष्ठ जाति के लोग बहुत थे। अधिकतर ब्राह्मण, उसका विरोध करते ही थे; लेकिन आम जनता पर- विशेषतः राजाओं पर- उसका असर नहीं पड़ा।


‘दिव्यावदान’ में अशोक के ‘यश’ नामक अमात्य की जो कथा आई है, उसे यहाँ सारतः उद्धृत करना अप्रस्तुत न होगा।


अशोक ने अभी बौद्ध धर्म ग्रहण किया था, और वह सब भिक्षु का वन्दन करता था। यह कृत्य ‘यश’ अमात्य को अच्छा नहीं लगा। वह बोला- ‘महाराज, इन शाक्य श्रमणों में सब जाति के लोग हैं; इनके सामने आपका अभिषिक्त शिर नवाना उचित नहीं है।


इसका उत्तर, अशोक ने नहीं दिया, और कुछ समय के बाद बकरे, भेड़ आदि मेध्य प्राणियों के शिर मंगाकर बेचने को लाया गया। ‘यश’ अमात्य को मृत मनुष्य का शिर देकर उसे बेचने के लिये भेजा। बकरे आदि प्राणियों के शिर की कुछ कीमत मिली; लेकिन मनुष्य का शिर किसी ने नहीं खरीदा। तब अशोक ने उसे किसी को मुफ्त दे देने की आज्ञा दी। किन्तु उसे मुफ्त लेने वाला भी कोई नहीं मिला; प्रत्युत सर्वत्र घृणा होने लगी। जब ‘यश’ अमात्य ने अशोक से यह बात निवेदित की, तब उन्होंने पूछा- ‘इसे लोग मुफ्त भी क्यों नहीं लेते हैं?


यश- क्योंकि इस शिर से लोग घृणा करते हैं।


अशोक- इसी शिर से लोग घृणा करते हैं; अथवा सब मनुष्यों के शिर से ये घृणा करेंगे?


यश- महाराज, किसी आदमी का शिर काट कर लोगों के पास लाया जाय, तब ये इसी प्रकार घृणा करेंगे।


अशोक- क्या मेरे शिर का भी ऐसा ही हाल होगा?


इस प्रश्न का उत्तर देने का साहस ‘यश’ को नहीं हुआ। लेकिन अशोक के अभय-वचन देने पर वह बोला- महाराज, आपके शिर से भी लोग ऐसी ही घृणा करेंगे।


अशोक- यदि ऐसा मेरा शिर, भिक्षुओं के सामने झुका तो आपको बुरा क्यों लगा?


इस कथा से विदित होता है कि, अशोक, बौद्ध संघ में जातिवाद को पसन्द नहीं करता था। यश के साथ हुए अशोक के संवाद की कथा के अन्त में, ‘दिव्यावदान’ में जो श्लोक आते हैं, उनमें से एक यह है-


“आवाहकालेऽथ विवाहकालेजातेः परीक्षा; नतु धर्मकाले।धर्मक्रियायां हि गुणा निमित्ता,गुणाश्च जातिं न विचारयन्ति।”


अर्थ- लड़की को लेने और देने में चाहे जाति का विचार करना; किन्तु धार्मिक विधि में जाति विचार करना नहीं चाहिये। क्योंकि धर्म-कर्म में गुण ही कारण हैं, और गुण, जाति पर अवलम्बित नहीं होते।



Advertisements


Advertisements


Comments Anupam on 12-05-2019

बौद्ध धर्म में जाति व्यवस्था या वर्ण व्यवस्था के समानांतर कोई व्यवस्था थी

Manish patidar on 12-05-2019

बौद्ध धर्म मे जाती व्यवस्था है क्या

Sandeep on 12-05-2019

budhh time me jati vyavastha kis par aadharit thi

Advertisements


Advertisements

आप यहाँ पर gk, question answers, general knowledge, सामान्य ज्ञान, questions in hindi, notes in hindi, pdf in hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं।
नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity


इस टॉपिक पर कोई भी जवाब प्राप्त नहीं हुए हैं क्योंकि यह हाल ही में जोड़ा गया है। आप इस पर कमेन्ट कर चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं।

Labels: , , , , ,
hello
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।

अपना जवाब या सवाल नीचे दिये गए बॉक्स में लिखें।