महावीर स्वामी की शिक्षा
सत्य
सत्य के बारे में भगवान महावीर स्वामी कहते हैं, हे पुरुष! तू सत्य को ही
सच्चा तत्व समझ। जो बुद्धिमान सत्य की ही आज्ञा में रहता है, वह मृत्यु
को तैरकर पार कर जाता है।
अहिंसा
इस लोक में जितने भी त्रस जीव (एक, दो, तीन, चार और पाँच इंद्रिय वाले
जीव) आदि की हिंसा मत कर, उनको उनके पथ पर जाने से न रोको। उनके प्रति
अपने मन में दया का भाव रखो। उनकी रक्षा करो। यही अहिंसा का संदेश भगवान
महावीर अपने उपदेशों से हमें देते हैं।
अपरिग्रह
परिग्रह पर भगवान महावीर कहते हैं जो आदमी खुद सजीवया निर्जीव चीजों का
संग्रह करता है, दूसरों सेऐसा संग्रह कराता है या दूसरों को ऐसा संग्रह
करनेकी सम्मति देता है, उसको दुःखों से कभी छुटकारा नहीं मिल सकता। यही
संदेश अपरिग्रह का माध्यमसे भगवान महावीर दुनिया को देना चाहते हैं।
ब्रह्मचर्य
महावीर स्वामी ब्रह्मचर्यके बारे में अपने बहुत ही अमूल्य उपदेश देते हैं
कि ब्रह्मचर्य उत्तम तपस्या, नियम, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम और विनय
की जड़ है। तपस्या में ब्रह्मचर्य श्रेष्ठ तपस्या है। जो पुरुष स्त्रियों
से संबंध नहीं रखते, वे मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ते हैं।
क्षमा
क्षमा के बारे में भगवान महावीर कहते हैं- ‘मैं सब जीवों से क्षमा चाहता
हूँ।जगत के सभी जीवों के प्रतिमेरा मैत्रीभाव है। मेरा किसी से वैर नहीं
है। मैं सच्चे हृदय से धर्म में स्थिर हुआ हूँ। सब जीवों से मैं सारे
अपराधों की क्षमा माँगता हूँ। सब जीवों ने मेरे प्रति जो अपराध किए हैं,
उन्हें मैंक्षमा करता हूँ।’
वे यह भी कहते हैं ‘मैंने अपने मन में जिन-जिन पाप की वृत्तियों का
संकल्प किया हो, वचन से जो-जो पाप वृत्तियाँ प्रकट की हों औरशरीर से
जो-जो पापवृत्तियाँ की हों, मेरीवे सभी पापवृत्तियाँ विफल हों। मेरे वे
सारे पाप मिथ्या हों।’
धर्म
धर्म सबसे उत्तम मंगल है। अहिंसा, संयम और तप ही धर्म है। महावीरजी कहते
हैं जो धर्मात्मा है, जिसके मन में सदा धर्म रहता है, उसे देवता भी
नमस्कार करते हैं।
भगवान महावीर ने अपने प्रवचनों में धर्म, सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और
अपरिग्रह, क्षमा पर सबसे अधिक जोर दिया। त्याग और संयम, प्रेम और करुणा,
शील और सदाचार ही उनके प्रवचनों का सार था। भगवानमहावीर ने चतुर्विध संघ
कीस्थापना की। देश के भिन्न-भिन्न भागों में घूमकर भगवान महावीर ने अपना
पवित्र संदेश फैलाया। भगवान महावीर ने 72 वर्ष की अवस्था में ईसापूर्व
527 में पावापुरी में कार्तिक कृष्ण अमावस्या को निर्वाण प्राप्त किया।
जन्म चैत्र शुक्ल त्रयोदशी
जन्म स्थान: कुंडलपुर
माता:त्रिशला
पिता:सिद्धार्थज ी
निर्वाण कार्तिक अमावस्या
निर्वाण स्थान :पावापुरी
निशान सिंह भगवान महावीर
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महात्मा बुद्ध की शिक्षा हिंदी मे व महावीर स्वामी के शिक्षा
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