Jal Pradooshann जल प्रदूषण

जल प्रदूषण

GkExams on 21-11-2022


प्रदूषण क्या है : जैसा की हम सब जानते है वर्तमान समय में सन्तुलित वातावरण में ही जीवन का विकास सम्भव है। पर्यावरण का निर्माण प्रकृति के द्वारा किया गया है। प्रकृति के द्वारा प्रदान किया गया पर्यावरण जीवधारियों के अनुकूल होता है जब वातावरण में कुछ हनिकारक घटक आ जाते हैं तो वे वातावरण का सन्तुलन बिगाड़कर उसको दूषित कर देते हैं। यह गन्दा वातावरण जीवधारियों के लिए अनेक प्रकार से हनिकारक होता है। इस प्रकार वातावरण के दूषित हो जाने को ही प्रदूषण कहते हैं।




आपको बता दे की प्रदूषण (essay on pollution in 150 words) का अर्थ है - प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना।


जल प्रदूषण के बारें में :




जल को जीवन कहा जाता है और यह भी माना जाता है कि जल (water pollution effects) में ही सभी देवता निवास करते हैं। इसके बिना जीव-जन्तु और पेड़-पौधों का भी अस्तित्व नहीं है। फिर भी बड़-बड़े नगरों के गन्दे नाले और सीवर नदियों के जल में आकर मिला दिये जाते हैं।


कारखानों का सारा मैला बहकर नदियों के जल में आकर मिलता है। इससे जल प्रदूषित (importance of water pollution) हो गया है और उससे भयानक बीमारियाँ उत्पन्न हो रही हैं जिससे लोगों का जीवन ही खतरे में पड़ गया है।


जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत :




यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको जल प्रदूषण के मुख्य स्त्रोतों (water pollution causes) से अवगत करा रहे है, जो दिन ब दिन हमारे लिए काफी घातक साबित होते जा रहे है...


  • वाहित मल
  • औद्योगिक बहिस्रावी पदार्थ
  • कार्बनिक पदार्थ एवं कीटनाशी
  • कृषि विसर्जित पदार्थ



  • जल प्रदूषण रोकने के उपाय :




    यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको जल प्रदूषण रोकने के उपायों (water pollution causes and effects) से अवगत करा रहे है, जिन्हें अपनाकर आप आसानी से जल प्रदुषण रोक सकते है...


  • किसी भी प्रकार के अपशिष्ट को वहि:स्त्राव के माध्यम से जल स्रोतों में मिलने नहीं देना चाहिए।
  • घरों से निकलने वाले अपशिष्ट को संशोधित करने के उपरांत ही जल स्रोतों में विसर्जित करना चाहिए।
  • नदी, तालाब इत्यादि में नहाने, कपड़े धोने, पशुओं के नहलाने आदि पर रोक लगानी चाहिए।
  • मृतक पशुओं के जलाशयो मे विसर्जिन पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए।
  • जल प्रदूषण के कारणों, दुष्प्रभावों एवं रोकथाम की विधियों की जानकारी जनसाधारण को दी जानी चाहिए।
  • कस्बों, नगरो तथा महानगरों मे शौचालयों की स्थापना की जानी चाहिए।
  • रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग कम से कम मात्रा में करने के लिए कृषकों को प्रोत्साहित करना चाहिए।


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    Comments Saraswati shinde on 26-11-2021

    पर्यावरण जाल प्रदूषण माहिती


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