पृथ्वी गोल क्यों है
पृथ्वी गोल है , चौकोर क्यों नही या फिर किसी अन्य रूप मे क्यों नही है, पृथ्वी ही नहीं बल्कि सभी ग्रहों की आकृति लगभग गोल है। याद रखिए कोई भी वस्तु या चीज बिना वजह के गोल , लम्बी , चौंडी , या लाल - पीली नही होती है । यानी कहने का मतलब यह है कि हर वस्तु के रंग और आकार - प्रकार के होने का कोई न कोई कारण जरूर होता है । इसी तरह तरल पदार्थ ( जैसे - जल की बूँदे भी गोल होती हैं ) इसका भी कारण लगभग वही है जो कि पृथ्वी के गोल होने का है ।
चलिये हम पहले जान लें कि जल की बूँदें क्यों या कैसे गोलाकार रूप धारण करती हैं क्योंकि इस कारण में ही इसका जवाब है । जैसे ही जल या कोई तरल पदार्थ जब निचे या ऊपर की तरफ फेंका जाता है तो जल के सबसे ऊपरी हिस्से में गती पहले आती है जिसके कारण वो हिस्सा या भाग पहले बाहर आता है और जैसे ही बाहर आता ( जल का वह भाग जो पहले गती में आता है ) है तो वातावरण के दबाव के कारण ( वो जल का हिस्सा ) जल कई छोटी - छोटी बूदोँ का रूप धारण कर लेता है दरअसल पानी की बूदों पर वातावरण का समान दबाव लगता है जिसके कारण ये गोलाकार रूप धारण करता है और एक कारण यह भी है कि गोलाकार पे दबाव बहुत कम होता है । इसीलिए पृथ्वी गोल है पर हम सब यह भी जानते है कि पृथ्वी पुरी तरह से गोल न होकर लगभग अण्डाकार है ।
अब ये अण्डाकार क्यों है जबकि पृथ्वी पर समान दबाव है ऐसा सवाल यहाँ पे उठा है पर इसका भी एक वैज्ञानिक कारण है दरअसल हमारी पृथ्वी पर कई तरह के तत्व पाए जाते हैं। इनको वजन के अनुसार दो कैटेगरी में बाँटा जा सकता है -
चूँकि हम सब जानते हैं कि पृथ्वी, सूर्य की परिक्रमा या चक्कर लगाती है और सूर्य द्वारा पृथ्वी पर अभिकेन्द्र बल लगाया जाता है। इसी बल के कारण पृथ्वी एक निश्चित कक्षा में निश्चित वेग से सूर्य की परिक्रमा करती है। जब सूर्य अभिकेन्द्र बल से पृथ्वी को अपनी तरफ खिंचता है तो पृथ्वी का भारी तत्वों वाला भाग सूर्य की तरफ खींच जाता है। यह भाग हमेशा सूर्य की तरफ ही रहता है। परिणामस्वरूप पृथ्वी की आकृति अंडाकार के समान है । पृथ्वी ही नहीं बल्कि सभी ग्रहों की आकृति लगभग गोल है, जैसे - सूर्य, मंगल, बुधवार, वृहस्पति शुक्र और शनि इत्यादि और सभी में यह बात भी समान है। इसलिए कारण भी समान होना चाहिए । दरअसल गोल आकार पे दबाव बहुत कम लगता है । इस आकार में संतुलन होने की सबसे बड़ी संभावनाएंँ भी होती है।
सरल जवाब है और वो है दबाव और अब शायद यह सवाल आपके मन मे हो सकता है कि ये कौन - सा दबाव है तो आपको बता दिया जाये कि ये विकृति पृथ्वी की गती के कारण है जो दबाव से उत्पन्न होता है।
दरअसल पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और साथ में अपनी धुरी पर भी घूमती है। पृथ्वी के घूमने के कारण अपकेन्द्र बल ( एक ऐसा बल जो पृथ्वी को बाहर की तरफ दबाता है ) लगता। जिसके कारण पृथ्वी कुछ विकृत है।
जरा सोचो पृथ्वी अगर रूक जाये तो क्या होगा ? चलिए हम पहले इसके बारे में ही आपको बता दें | अगर पृथ्वी एका - एक रूक जाये तो बहुत बुरा होगा जिसका परिणाम इस प्रकार है >>
( 1 ) . समुद्र का पानी ( जल ) पुरी पृथ्वी को डूबो और धरती(पृथ्वी) की परते इधर - उधर को धसने लग सकती है । समझ लिजिए प्रलय हो सकती है .....
( 2 ) . इसके बाद पृथ्वी का जो भाग सूर्य की तरफ होगा उसी हिस्से या भाग पर केवल दिन होगा , बाकि पर रात ही रहेगी |
( 3 ) . पृथ्वी पर जितनी बडी इमारत ( buildings ) हैं लगभग सभी गिर जायेंगी , जैसे बाल्टी में भरे पानी को ऊपर - निचे घुमाते - घुमाते अचानक बाल्टी को रोक दें तो बाल्टी का पानी गिरने लगता है ।
( 4 ) . इतना ही नही पृथ्वी पर हवा का स्रोत पृथ्वी के घुमने से ही ज्यादातर उत्पन्न होता है , अगर पृथ्वी एका - एक अचानक रूक जाये तो पृथ्वी पर हवा भी रूक जायेगी ।
असल पृथ्वी जब गती करती है तो जो भाग इसकी गती की दिशा में आता है वह भाग कम दबाव वाला क्षेत्र बन जाता है । अगर पुरी तरह से बात स्पष्ट नही हो पायी हो तो इसके लिए मैं एक बहुत आसान - सा उदाहरण दे रहा हूँ जो आपको ये समझने में ऐसी मदद करेगा जैसे कि कोई धूमिल हुई तस्विर साफ हो जाती है।
उदाहरण : - तीन प्रकार की जल की बूँदों की बात कर रहे हैं जिससे मतलब शीशे की तरह साफ हो जायेगा । पृथ्वी और पानी की बूँदें क्यों गोल है ये तथ्य हम तीन उदाहरणो की सहायता से सिध्द करेंगे : -
( 1 ) . पहली बात में जल क्यों चौकोर नहीं होता यह स्पष्ट कर रहे हैं - हम जानते हैं कि वातावरण में दबाव ( हर दिशा या हर कोण यानी 360° पर ) दबाव लगभग समान होता है और 360° का मतलब ही गोल आकार से होता है तब कैसे चौकोर रूप होगा जल की बूँदो का। गोल आकार तब नहीं होता जब 360° में किसी भी दिशा के दबाव में कुछ अन्तर होता । जब हम पानी की को गिराते / गिरता है तो पानी का जो हिस्सा / भाग अलग होता है तब इसपे कुछ खिंचाव होता है इसलिए इस समय पानी पूरी तरह से गोलाकार रूप में नहीं होता है। सो clear है कि वातावरण का दबाव हर दिशा में लगभग समान होने के कारण पानी की बूँदें गोलाकार ग्रहण कर लेते हैं। इसीलिए तो जल की बूँदें और पृथ्वी का आकार लगभग गोल होता है ।
( 2 ) . अब दूसरी स्तिथि की बात करें तो इसमें ऐसा यानी जल की बूँदें लम्बी तभी होती जब वातावरण के किसी दो दिशा में दबाव अन्य दिशाओं से ज्यादा होता । ये दशा तब होती है जब जल को निचे गिराया जाता है तो गिरते समय पृथ्वी के खिचाव के कारण और पानी के दूसरे छोर पर जल के विरूद्ध बल लगाने पर दो तरफा खिचाव हो जाने के कारण जल की बूँदें कुछ लम्बी हो जाती है । लेकिन कुछ ही सेकण्ड में ( लगभग एक से दो सेकण्ड ) आकार लगभग पुरी तरह से गोल हो जाता हैं
( 3 ) . अब मै समझता हूँ कि जल की बूँदों के गोल होने का कारण आप जान ही गये होंगे । इसलिए इसे दोहराने की जरूरत नहीं है ।
कुछ ऐसी ही बात है पृथ्वी के लिए आज से लगभग अरबों वर्ष पहले ( वैज्ञानिको की गणना के अनुसार ) जब सूर्य का कुछ हिस्सा ( लगभग सूर्य का लाखवाँ भाग ) कुछ हलचल के कारण सूर्य से अलग हुआ जो सूर्य की तरह ही दीप्तिमान ( जल रहा ) था । जैसे जल का कुछ भाग हम वातावरण में गिराते हैं तो वातावरणीय दबाव के कारण जल का वह छोटा - सा भाग छोटी - छोटी बूँदो का रूप ग्रहण या धारण कर लेता है । उसी प्रकार पृथ्वी भी वातावरणीय दबाव के कारण अपना आकार गोल ( लगभग ) कर लिया।
पृथ्वी को गोल क्यो कहतें है ?
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क्या तुम्हें शर्म नहीं आती है कि मेरा कन्टेन्ट चूराकर अपनी वेबसाइट पर पेस्ट किया है। इसे जल्द से जल्द बदलो या डिलीट करो नहीं तो कापीराइट नोटिस पहुंच जायेगी।
Bhart ka sbse bna baksai kaunsa hai
Prithvi gol kyon hai chipti kyuon nahi