तरंगाग्र Ke Prakar तरंगाग्र के प्रकार

तरंगाग्र के प्रकार

Pradeep Chawla on 22-10-2018


तरंग (Wave) काशाब्दिक अर्थ 'लहर' होता है, लेकिनभौतिक विज्ञान में इसका कहीं अधिक व्यापक अर्थ होता है। इसके व्यापक अर्थको निम्नलिखित प्रकार से अभिव्यक्त किया जाता है

"विक्षोभोंकेप्रतिरूपयापैटर्नजोद्रव्यकेवास्तविकभौतिकस्थानांतरणअथवासमूचेद्रव्यकेप्रवाहकेबिनाहीएकस्थानसेदूसरेस्थानतकगतिकरतेहैं, तरंगकहलातेहैं।"

"तरंग ऊर्जा या विक्षोभों के संचरण की वह विधि है जिसमें माध्यमके कण अपने स्थान पर ही कम्पन करते हैं तथा ऊर्जा एक स्थान से दूसरे स्थान तक आगेजाती है।"

तरंगों के प्रकार-

हम विभिन्न आधारों पर तरंगों कावर्गीकरण कर सकते हैं जिसमें से तीन प्रमुख आधार निम्नांकित है-

1. माध्यम के आधार पर

2. माध्यम के कणों के कंपन के आधार

3.ऊर्जा के गमन या प्रवाह के आधार पर


माध्यम के आधार पर (तरंग की प्रकृतिके आधार पर) तरंगों के प्रकार-

1. प्रत्यास्थतरंगे 2.विद्युतचुम्बकीय तरंगे

1. प्रत्यास्थ या यांत्रिकतरंगे-

वे तरंगे जिनके संचरणके लिए ठोस, द्रव या गैस जैसे प्रत्यास्थ माध्यम कीआवश्यकता होती है, उन्हें प्रत्यास्थ यायांत्रिक तरंग कहते हैं।

1. ये बिना माध्यम के संचरित नहीं हो सकतीहै।

2. इनका संचरण माध्यम के कणों के दोलनों केकारण संभव हो पाता है।

3. इनकासंचरण माध्यम के प्रत्यास्थ गुणों पर निर्भर करता है।

उदाहरण-

1. ध्वनितरंगे 2. रस्सीया तार में संचरित होने वाली तरंगे

3. पानीमें संचरित होने वाली तरंगे 4.भूकंपीतरंगे

2. विद्युत चुम्बकीय तरंगे-

वे तरंगे जिनके संचरणके लिए ठोस, द्रव या गैसीय माध्यम की आवश्यकता नहींहोती है तथा जो निर्वात में भी गमन कर सकती है, उन्हेंविद्युत चुम्बकीय तरंगे कहते हैं।

1. विद्युत-चुंबकीयतरंगों के संचरण के लिए माध्यम का होना आवश्यक नहीं है।

2. इनका संचरण निर्वात में भी होता है।निर्वात में सभी विद्युत-चुंबकीयतरंगों की चाल समान होतीहै जिसकामान हैः

c=29,97,92,458 m s-1

उदाहरण-

1. दृश्यप्रकाश 2.अवरक्त किरणें 3. पराबैंगनीकिरणें 4.एक्स किरणें

5. गामाकिरणें 6.रेडियो तरंगे 7. सूक्ष्मतरंगे

माध्यम के कणों के कंपन के आधार परतरंगों के प्रकार-

(या गति की दिशा तथा या कम्पन कीदिशा के आधार पर तरंगों के प्रकार)

1. अनुप्रस्थ तरंगे 2. अनुदैर्ध्य तरंगे

1. अनुप्रस्थ तरंगे-

यदिमाध्यम के कण तरंग की गति की दिशा के लंबवत् दोलन करते हैं तो ऐसी तरंग को हम उसेअनुप्रस्थ तरंग कहते हैं।

उदाहरण-

1. तनी हुई डोरी या तार में कंपन-किसी डोरी के एक सिरे को दीवार से बांध कर उसके दूसरे मुक्त सिरे को बार-बारआवर्ती रूप से ऊपर-नीचे झटका दिया जाए तो इस प्रकार कंपन करती हुई डोरी में इसकेकणों के कंपन तरंग की गति की दिशा के लंबवत् होते हैं, अतः यह अनुप्रस्थतरंग का एक उदाहरण है।

2. पानी की सतह पर बनने वाली तरंगे (लहरे)- पानीमें जब लहरे बनती है तक पानी के कण अपने स्थान पर ऊपर नीचे तरंग (ऊर्जा) संचरण केलम्बवत दिशा में कम्पन करते हैं।

2. अनुदैर्ध्य तरंगे-

यदि माध्यम के कणतरंग की गति की दिशा के दिशा में ही दोलन करते हैं तो उसे अनुदैर्ध्य तरंग कहतेहैं।

अनुदेर्ध्य तरंगों कासंचरण संपीडन तथा विरलन के रूप में होता है।

संपीडन-माध्यम के जिस स्थान पर कण पास पास आ जाते हैं तथा घनत्व अधिक हो जाता हैं, उन्हें संपीडन कहते हैं। संपीडन पर माध्यम काघनत्व तथा दाब अधिकतम होता है।

विरलन- माध्यम के कण जिस स्थान पर दूर-दूर हो जाते हैं तथा घनत्व कम हो जाता हैं, उन्हें विरलनकहते हैं। विरलन पर माध्यम का घनत्व तथा दाब न्यूनतम होता है।

उदाहरण-

1. ध्वनि तरंग- चित्र में अनुदैर्ध्य तरंगों के सबसेसामान्य उदाहरण ध्वनि तरंगों की स्थिति प्रदर्शित की गई है। वायु से भरे किसी लंबेपाइप के एक सिरे पर एक पिस्टन लगा है। पिस्टन को एक बार अंदर की ओर धकेलते और फिरबाहर की ओर खींचने से संपीडन (उच्च घनत्व) तथा विरलन (न्यून घनत्व) का स्पंद उत्पन्नहो जाएगा। यदि पिस्टन को अंदर की ओर धकेलने तथा बाहर की ओर खींचने का क्रम सतत तथाआवर्ती (ज्यावक्रीय) हो तो एक ज्यावक्रीय तरंग उत्पन्न होगी, जो पाइप की लंबाई केअनुदिश वायु में गमन करेगी। स्पष्ट रूप से यह अनुदैर्ध्य तरंग का उदाहरण है।

2.छड़ों में रगड़ के कारण उत्पन्न तरंगे अनुदेर्ध्य होती है।

अनुप्रस्थ तरंगे केवल ठोस में ही संभव है-

यांत्रिकतरंगें माध्यम के प्रत्यास्थ गुणधर्म से संबंधित हैं। अनुप्रस्थ तरंगों में माध्यमके कण संचरण की दिशा के लंबवत दोलन करते हैं, जिससे माध्यम की आकृति में परिवर्तनहोता है अर्थात माध्यम के प्रत्येक अवयव में अपरूपण विकृति होती है। ठोसों एवंडोरियों में अपरूपण गुणांक होता है अर्थात इनमें अपरूपक प्रतिबल कार्य कर सकतेहैं। तरलों का अपना कोई आकार नहीं होता है इसलिए तरल अपरूपक प्रतिबल कार्य नहीं करसकते हैं। अतः अनुप्रस्थ तरंगें ठोसों एवं डोरियों (तार) में संभव हैं परन्तुतरलों में नहीं।

अनुदैर्ध्य तरंगे ठोस, द्रव और गैस तीनों हीमाध्यम में संभव है-

1. अनुदैर्ध्य तरंगें संपीडन विकृति (दाब)से संबंधित होती हैं। ठोसों तथा तरलों दोनों में आयतन प्रत्यास्थता गुणांक होता हैअर्थात ये संपीडन विकृति का प्रतिपालन कर सकते हैं। अतः ठोसों तथा तरलों दोनों मेंअनुदैर्ध्य तरंगें संचरण कर सकती हैं।

2.वायु में केवल आयतन प्रत्यास्थता गुणांक होता है अर्थात ये संपीडन विकृति काप्रतिपालन कर सकते हैं। अतः वायु में केवल अनुदैर्ध्य दाब तरंगों (ध्वनि) का संचरणही संभव है।

3. स्टील की छड़ में अनुदैर्ध्य तथाअनुप्रस्थ दोनों प्रकार की तरंगें संचरित हो सकती हैं क्योंकि स्टील की छड़ मेंअपरूपण तथा आयतन प्रत्यास्थता गुणांक दोनों होता है। जब स्टील की छड़ जैसे माध्यम मेंअनुदैर्ध्य एवं अनुप्रस्थ दोनों प्रकार की तरंगें संचरित होती हैं तो उनकी चालअलग-अलग होती है क्योंकि अनुदैर्ध्य एवं अनुप्रस्थ दोनों तरंगें अलग-अलगप्रत्यास्थता गुणांक के फलस्वरूप संचरित होती हैं।

ऊर्जा के गमन या प्रवाह केआधार पर तरंगों के प्रकार-

1. प्रगामी तरंगे 2. अप्रगामी तरंगे

1. प्रगामी तरंगें-

वेतरंगें जो माध्यम के एक बिन्दु से दूसरे बिंदु तक गमन कर सकती हैं, उन्हें प्रगामीतरंगें कहते हैं।

1. प्रगामी तरंगे अनुप्रस्थ अथवा अनुदैर्ध्य दोनों प्रकार की होसकती है।

2. वह द्रव्य माध्यम जिसमें तरंग संचरित होती है, वह स्वयं गति नहीं करता है बल्कि विक्षोभया ऊर्जा ही आगे बढ़ती है। प्रगामी तरंग में भीविक्षोभ या ऊर्जा का ही संचरण होता है।

उदाहरणार्थ, किसी नदी की धारा में जलकी पूर्ण रूप से गति होती है। परन्तु जल में बनने वाली तरंग में केवल विक्षोभ गतिकरते हैं न कि पूर्ण रूप से जल। इसमें जल केवल ऊपर नीचे कंपन करता है।

इसी प्रकार, पवन के बहने में वायुपूर्ण रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति करता है लेकिन ध्वनि तरंग के संचरणमें वायु में कंपन होता है और इसमें विक्षोभ (या दाब घनत्व) में वायु में संचरणहोता है जिससे संपीडन व विरलन के द्वारा विक्षोभ या तरंग आगे बढ़ती है। अतः हम कहसकते हैं कि ध्वनि तरंग की गति में वायु (माध्यम) पूर्ण रूपेण गति नहीं करता है।

अनुप्रस्थ प्रगामी तरंग के श्रृंग या शीर्ष एवं गर्त-

श्रृंग या शीर्ष -किसीअनुप्रस्थ प्रगामी तरंग में अधिकतम धनात्मक विस्थापन वाले बिंदु को शीर्ष कहतेहैं।

गर्त -किसीअनुप्रस्थ प्रगामी तरंग में अधिकतम ऋणात्मक विस्थापन वाले बिंदु को गर्त कहते हैं।

कोई अनुप्रस्थ प्रगामी तरंग कैसे गति करती है-

किसीमाध्यम में जब कोई प्रगामी तरंग गति करती है तब माध्यम के कण अपनी माध्य स्थिति केइर्द-गिर्द सरल आवर्त गति (या कंपन) करते हैं तथा माध्यम में श्रृंग (या शीर्ष) और गर्तबनते हैं। विक्षोभ (या तरंग-ऊर्जा) के आगे बढ़ने के साथ-साथ ये श्रृंग या गर्त भीआगे बढ़ते जाते हैं।

2. अप्रगामी तरंगें-

जबविपरीत दिशाओं में गति करती हुई दो सर्वसम तरंगों का व्यतिकरण होता है तो एकअपरिवर्ती तरंग पैटर्न बन जाता है, जिसे अप्रगामीतरंगें कहते हैं। अप्रगामी तरंग में तरंग या ऊर्जा किसी भी दिशा में आगेनहीं बढ़ती है अपितु माध्यम की निश्चित सीमाओं के मध्य सीमित हो जाती है। इसीलिए इनतरंगों को अ-प्रगामी (अर्थात आगे नहीं बढ़ने वाली) कहते हैं।

जैसेकिसी डोरी के दोनों सिरों को दृढ़ परिसीमाओं पर बांध देते हैं तथा बाईं ओर के सिरेपर झटका दे कर तरंग बनाते हैं। तब दाईं ओर गमन करती तरंग दृढ़ परिसीमा से परावर्तितहोती है। यह परावर्तित तरंग दूसरी दिशा में बाईं ओर गमन करके दूसरे सिरे सेपरावर्तित होती है। आपतित एवं परावर्तित तरंगों के व्यतिकरण से डोरी में एकअपरिवर्ती तरंग पैटर्न बन जाता है, ऐसे तरंग पैटर्न अप्रगामी तरंगें कहलाते हैं।

अप्रगामी तरंगों के प्रकार-

1. अनुदैर्ध्य अप्रगामीतरंग- जबदो सर्वसम अनुदैर्ध्य प्रगामी तरंगे एक ही सरल रेखा में विपरीत दिशा में चलती हुईअध्यारोपित होती है तो माध्यम में जो तरंग पैटर्न बनता है उसे अनुदैर्ध्य अप्रगामीतरंग कहते हैं

उदाहरण-वायुस्तम्भ (बंद व खुले ऑर्गन पाइप) में बनने वाली अप्रगामी तरंगे।

अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंग- जब दो सर्वसम अनुप्रस्थ प्रगामी तरंगेएक ही सरल रेखा में विपरीत दिशा में चलती हुई अध्यारोपित होती है तो माध्यम में जोतरंग पैटर्न बनता है उसे अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंग कहते हैं

उदाहरण- स्वरमापीके तार या सितार/गिटार के तार में, मेल्डीज के प्रयोग में डोरी में बनाए वालीअप्रगामी तरंगे।

अप्रगामी तरंग बनने के लिए शर्त-

अप्रगामी तरंग आपतिततथा परावर्तित तरंगों के अध्यारोपण से होता है अतः इनके बनने के लिए माध्यम असीमितनहीं होना चाहिए बल्कि माध्यम दो परिसीमाओं में बद्ध होना चाहिए।

Advertisements


Advertisements


Comments Balchand on 21-12-2019

Tarangagra kise kahte hai? Samtal tarangagra , goliy tarangagra,air belnakar tarangagra kise kahte hai? Higense ka Tarang sindhant ki byakhya kijiye

Shahbaz Afshan on 06-02-2019

Tarangagra ki paribhasha


Advertisements

आप यहाँ पर gk, question answers, general knowledge, सामान्य ज्ञान, questions in hindi, notes in hindi, pdf in hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं।
नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity


इस टॉपिक पर कोई भी जवाब प्राप्त नहीं हुए हैं क्योंकि यह हाल ही में जोड़ा गया है। आप इस पर कमेन्ट कर चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं।

Labels: , , , , ,
hello
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।

अपना जवाब या सवाल नीचे दिये गए बॉक्स में लिखें।