एंजाइम के कार्य
जीवतंत्र में रासायनिक प्रक्रियाओं के उत्प्रेरण के लिए विशेष प्रकार के कार्बनिक उत्प्रेरक होते हैं। जिन्हें एंजाइम कहते हैं। इनका यह नाम तब से पड़ा जब कुहने (Kuhne, 1878) ने यीस्ट (yeast) में पाए जाने वाले खमीर (ferment) को एंजाइम का नाम दिया। इनका संश्लेषण (synthesis) स्वयं कोशों के जीवद्रव में होता है। एक मोटे अनुमान के अनुसार किसी जीव कोशा को जीवित दशा में बनाये रखने के लिए 1 लाख विविध एंजाइमों की आवश्यकता होती है। वैज्ञानिकों ने अभी तक 150 एंजाइमों के विशुद्ध रवे (crystals) भी बनाये हैं। बुकनर (Buchner, 1897) ने सबसे पहले यीस्ट (yeast) से जाइमेज (zymase) नामक एंजाइम निकाला। नोबेल पुरुस्कार विजेता, सुमनर (Sumner,1926) ने सबसे पहले यूरियेज (Urease) नामक एंजाइम को लोबिया के बीजों से निकालकर इसके रवे (crystals) बनाये। नोरथ्राप (Northrop, 1930) ने जठर रस (gastric juice) और अग्न्याशयी रस (pancreatic juice) से क्रमशः पेप्सिन एवं ट्रिप्सिन निकालकर इनके रवे बनाये।
एंजाइमों की विशेषताएं Characteristics of Enzymes
⇨ एंजाइम सरल प्रोटीन होते हैं।
⇨ एंजाइम की सूक्षम मात्रा प्रक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थों में से किसी एक के साथ मिलकर इसे सक्रीय बनाती है, अर्थात प्रक्रिया के लिए प्रेरित कर देती है। इस पदार्थ को एंजाइम का सब्सट्रेट (substrate) कहते हैं।
⇨ यद्यपि एंजाइम अपने सब्सट्रेट पदार्थों के स्था मिलकर प्रक्रिया में भाग लेते हैं, तथापि ये न तो प्रक्रियाओं के अंतिम फल को प्रभावित करते हैं और न ही स्वयं बदलते हैं। प्रक्रिया के बाद ये ज्यों के त्यों अलग हो जाते हैं।
⇨ एंजाइम जीवों के 25°-45°C शरीर ताप पर सर्वाधिक क्रियाशील होते हैं। इससे कम या अधिक ताप पर इनकी क्रियाशीलता घट जाती है। 0°C पर ये निष्क्रिय होकर परिलक्षित (preserved) हो जाते हैं।
⇨ प्रत्येक एंजाइम अपने एक विशेष पी.एच. (pH) के माध्यम में पूर्ण सक्रिय होता है।
⇨ एंजाइमों द्वारा नियंत्रित प्रक्रियाएं प्रतिवर्ती होती हैं। प्रक्रिया संश्लेषण (synthetic) होगी या विखंडनात्मक (decompositional) निर्धारण एंजाइम नहीं करता है, यह केवल इसकी दर बढ़ता है। इसलिए कोशों में उपचयी (Anabolic) एवं अपचयी (catabolic) प्रक्रियाएं साथ-साथ होती हैं और ए.टी.पी (ATP, Adenosine triphosphate) उर्जा का रूपांतरण होता रहता है।
⇨ एंजाइमों का कार्य प्रायः सामूहिक होता है। किसी एंजाइम द्वारा नियंत्रित प्रक्रिया के फलस्वरूप बना पदार्थ अगली प्रक्रिया के एंजाइम का सब्सट्रेट बनता है। प्रत्येक श्रृंखला में कई एंजाइम भाग लेते हैं तथा प्रत्येक एंजाइम अपना कार्य करके, प्रक्रिया को अगले एंजाइम को सौंप देता है।
⇨ कुछ एंजाइमों में प्रोटीन अणु (Apoenzyme) के साथ एक अन्य पदार्थ जुड़ा रहता है और तभी प्रोटीन अणु सक्रीय एंजाइम का कार्य कर सकता है। इस अन्य पदार्थ को कोफैक्टर (cofactor) कहते हैं। एंजाइमों के नाम इनके प्रभाव या प्रभावित पदार्थों या प्रक्रियाओं की किस्मों के नाम के आगे एज (ase) लगाकर रखे जाते हैं, जैसे सुक्रेस (sucrase), कार्बोहाइड्रेज (Carbohydrase), प्रोटीनेज (Proteinase), माल्टेज (Maltase), लाइपेज (Lipase) आदि।
मनुष्य के शरीर में पाए जाने वाले 5 महत्वपूर्ण विकर 5 Important Enzymes of Human Body
⇨ टायलिन Ptylin यह मुख गुहा की लार (saliva) में पाया जाता है। यह भिजन की मंड (starch) को माल्टोज में बदल देता है।
⇨ पेप्सिन Pepsin यह अमाशय में जठर ग्रंथियों से स्रावित होता है। यह अम्लीय माध्यम में क्रियाशील होकर भोजन की प्रोटीन को पेप्टोन में बदल देता है।
⇨ रेनिन Renin यह भी अमाशय में जठर ग्रंथियों से स्रावित होता है तथा दूध की घुलनशील प्रोटीन कैसिन (Casein) को अघुलनशील प्रोटीन कैल्सियम पैराकैसीनेट में बदल देता है।
⇨ ट्रिप्सिन trypsin यह अग्न्याशायी रस में पाया जाता है। यह प्रोटीन तथा पेप्टोन को डाइपेप्टाइड्स तथा ट्राइपेप्टाइड्स में बदल देता है।
⇨ लाइपेज Lipase यह वसा को वसीय अम्लों तथा ग्लिसरॅाल में बदल देता है।
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