मलखान का किला सिरसा
तिहासिक और पुरा महत्व की धरोहरों वाले कोंच के मुहल्ला भगतसिंह नगर में स्थित बारहखम्भा दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान और परमाल के बीच हुए युद्घ का मूक साक्षी है, लेकिन शासन-प्रशासन और पुरातत्व विभाग की उपेक्षा का शिकार यह ऐतिहासिक स्थल ध्वस्त होने की कगार पर है। बड़ी माता मंदिर के ठीक सामने स्थित बारहखंभा पृथ्वीराज के विश्राम के लिये रातों रात तैयार किया गया था।
पुरातत्व विभाग द्वारा कथित तौर पर संरक्षित इस ऐतिहासिक इमारत के ध्वंसावशेष कब इतिहास के पन्नों में गुम हो जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता। कुछ साल पहले पुरातत्व विभाग ने इसे अपने संरक्षण में ले लिए जाने का एक बोर्ड यहां लगाया था फिर पुरातत्व विभाग ने कभी उसकी ओर मुड़ कर नहीं देखा और कतिपय अराजकतत्वों या स्मैकचियों ने उसे उखाड़ कर फेंक दिया है। बुंदेलखण्ड के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहलुओं के बाबत गहराई से जानकारी रखने वाले यहां के जाने माने संस्कृति विशेषज्ञ अयोध्याप्रसाद गुप्त ‘कुमुद’ बताते हैं कि दिल्ली सम्राट पृथ्वीराज चौहान और परमाल के बीच सिरसागढ़, जिसे मलखान के सिरसागढ़ के नाम से जाना जाता है, में घनघोर युद्घ हुआ था। उस सेना में पृथ्वीराज का सामंत चामुण्ड्यराय जिसे चौड़ियाराय के नाम से भी जाना जाना जाता था, कोंच आया था, जिसे पृथ्वीराज ने इस इलाके का प्रभार सौंप दिया था।
सिरसागढ संग्राम में पृथ्वीराज भी बुरी तरह घायल हुए थे, अत: वह भी चौड़ियाराय के साथ कोंच आ गए थे। पृथ्वीराज के विश्राम के लिए कोई उपयुक्त स्थान न होने से उनकी सेना ने आसपास से शिलाखंड एकत्रित करके रातों रात एक ऊंचे टीले पर बारहखंभा का निर्माण किया था जो आज भी बड़ी माता मंदिर के सामने स्थित है। बारहखंभा का निर्माण करते वक्त इस बात का विशेष ध्यान रखा गया था कि पृथ्वीराज चौहान की आराध्य मां भगवती के दर्शन उन्हें होते रहें, इसलिए बड़ी माता मंदिर के ठीक सामने इस स्थल का चयन किया गया था। ‘कुमुद’ के मुताबिक आठ सौ वर्ष प्राचीन इस बारहखंभा का विवरण शताब्दी भर पुरानी ऐतिहासिक किताब ‘अमर कोष’ में भी मिलता है, जिसके अनुसार इस स्थान को कूंच जिला हमीरपुर में स्थित होना बताया गया है। बारहखंभा के दक्षिणी पश्चिमी कोने पर पश्चिम की ओर एक बीजकनुमा पत्थर रखा गया है जिस पर पुरा अथवा सांकेतिक लिपि में कुछ उत्कीर्ण किया गया है। इसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
एक-एक करके इसके गुंबद की काफी ईंटें निकल गईं हैं जिसके चलते इसका स्वरूप भी काफी बदल गया है। पुरातत्व विभाग ने इसके संरक्षण के लिए कुछ भी नहीं किया। एक तरफ तो सरकार ऐतिहासिक और पुरा महत्व की धरोहरों के संरक्षण संवर्द्घन पर करोड़ों रुपये खर्च करके इनका मूल स्वरूप बनाए रखने को प्रयासरत है, वहीं विभागीय शिथिलताओं के चलते इनका अस्तित्व संकट में नजर आ रहा है। इससे इसकी तस्वीर और भी बदरंग होती जा रही है। वहां की एक खातून जरूर इसकी झाड़ पोंछ अपने ही घर के हिस्से की तरह करती रहती हैं।
Sirsa garh kahan hai aur konse rajy me sthit hai please
मलखान सिंह शेर थे
सिरसापति शेर मलिखान का राज्य किस जिले में है और
उत्तर प्रदेश में या मध्य प्रदेश में
Mahova se malkhan wala sirsagar kitni far hai
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Malkham ka kila khandar ho gya hi ye sirsha up or Mp ke border par hi me bhi ka rahne bala Hu bha par avi v Achcha lagta hi bahut sidh sthan hi call kare jankari ke liye 7879269198
Abhimanyu kiska putra tha
Sirsagarh Kaha per hai
Sirsaghar malkhan ka kila kanha hai konse rajy Me hai
मलखान का किला बना हुआ है कि नहीं सिरसा में उसकी फोटो डालें
Malkhan ka sirsa kon se rajya me sthit he
Malkhan ka kila kis rajy main Sthit hai
Malkhan Ka kila Kaha h
Is barhkhamba ke punnirman ke liye hum PM Modi ko letter bhejege (sonu yadav)
Malkhan ka kila
Malkhan ki patni gajmotin ka sati sthan ki image dale
SIRSA KA KILA KANHA PAR HAI
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