इलेक्ट्रॉनिक गवर्नमेंट (ई-गवर्न) का अर्थ है नागरिकों (जी2 सी.), व्यवसायियों (जी2बी.), कर्मचारियों (जी2ई.) और सरकारों (जी2जी.) को सरकारी सूचना एवं सेवाएं देने के लिए संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करना। एक संगठनात्मक परिप्रेक्ष्य से ई-गवर्नमेंट का अत्यधिक स्पष्ट लाभ है - वर्तमान व्यवस्था या प्रणाली की दक्षता में सुधार लाना, ताकि यह धन एवं समय बचा सके। उदाहरण के लिए, एक बोझिल दस्तावेजी प्रणाली से हट कर यदि किसी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली पर कार्य किया जाए तो यह प्रणाली जनशक्ति की आवश्यकता को कम कर सकती है और कार्य-परिचालन लागत भी घट सकती है। नागरिक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो ई-गवर्नमेंट का एक अत्यधिक महत्वपूर्ण लाभ (मानव चालित प्रणालियों की तुलना में) यह है कि नागरिकों को सरकारी सेवाएं ”कहीं भी और किसी भी समय“ उपलब्ध हो सकती हैं। नागरिकों के लिए ई-गवर्नमेंट के अन्य लाभों में निम्नलिखित शामिल हैं:- बहुभाषी सूचना सारांश, डिसेबल्ड-फ्रेंडली नेवीगेशन, सारांश तक पहुंच एवं सरकार से जुड़ी सूचना, सेवाओं तथा योजनाओं में नवीनतम परिवर्तनों की नियमित जानकारी। इसके अतिरिक्त, (ई-गवर्न) सेवाएं मुद्रित कागजों की आवश्यकता को भी कम करेंगी; इसलिए, ये एक हरे-भरे ग्रह तथा धारणीय पारिस्थितिक प्रणाली में योगदान देती हैं। इंटरनेट का उपयोग देखो और अनुभव करो की दृष्टि से सूचना को आसानी से ढूंढा जा सकता है। खराब गवर्नेंस (जो निरंकुशता, भ्रष्टाचार, पारदर्शिता का साख की कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न करती हैं) को कई विकासशील देशों का एक बड़ा मुद्दा माना जाता है। (ई-गवर्न) का प्रभावी कार्यान्वयन, ई-गवर्नेंस को सक्षम बनाएगा, जिससे निरंकुशता तथा भ्रष्टाचार में कमी आने और सरकारी निर्णय लेने में नागरिकों के विनियोजन तथा सहभागिता के माध्यम से बेहतर पारदर्शिता एवं जिम्मेदारी की संभावना है। ई-गवर्नेंस को (ई-गवर्न) कार्यान्वयन का एक मूल वांछनीय परिणाम माना जा सकता है।
हाल ही के दशकों में भारत ने आई.सी.टी. के क्षेत्र में बड़ी तीव्र गति से प्रगति की है। भारत सरकार ने भी स्वीकार किया है कि पिछले कुछ वर्षों में सरकारी सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने में आई.सी.टी. ने एक अहम भूमिका निभाई है। भारतीय संदर्भ में ई-गवर्नेंस इस तथ्य के कारण भी महत्वपूर्ण है कि आई.सी.टी. के प्रभावी उपयोग ने, सरकारी सेवाओं को विभिन्न वर्गों के व्यक्तियों तथा भौगोलिक स्थलों तक पहुंचने योग्य बनाया है और इसलिए एक अधिक सम्मिलित समाज का सृजन करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया है। सरकारी प्रशासन में आई.सी.टी. सेवाओं के प्रभावी उपयोग से दक्षता में महत्वपूर्ण सुधार आया है, संचार लागत में कमी आई है और विभिन्न विभागों की कार्य-पद्धति में पारदर्शिता में वृद्धि हुई है।
ई-गवर्नेंस के विभिन्न सकारात्मक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने ”सभी सरकारी सेवाएं आम आदमी को उसके स्थान पर सुगम्य कराने, सभी आम सेवाएं डिलीवरी केन्द्र उपलब्ध कराने तथा आम आदमी की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वहन करने योग्य लागत पर ऐसी सेवाओं की दक्षता, पारदर्शिता एवं विश्वसनीयता सुनिश्चित करने“ के ध्येय से मई, 2006 में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (एन.ई.जी.पी.) का अनुमोदन किया। तथापि, ऐसा लगता है कि भारतीय संदर्भ में ई-गवर्नेंस के सफल कार्यान्वयन की राह में अनेक मुद्दे तथा चुनौतियां सामने खड़ी हैं। इन मुद्दों को तीन मुख्य वर्गों में विभाजित कर सकते हैं; तकनीकी, आर्थिक एवं सामाजिक मुद्दे। तकनीकी मुद्दों में इंटरोपेराबिलिटी, गोयनीयता, सुरक्षा एवं बहु-मॉडल परस्पर प्रभाव शामिल हैं। आर्थिक मुद्दे मुख्य रूप से निवेश पर लाभ और लागत, सम्पोषणीयता पुनः उपयोगिता एवं सुवाध्यता सहित तकनीकी मुद्दों की सुरक्षा से संबंधित है।
जबकि सामाजिक मुद्दे (ई-गवर्न) के विकास तथा व्यापक अंगीकरण के संबंध में अत्यधिक महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, इनमें जागरूकता अभाव और किसी बड़े वर्ग द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप में दी गई सरकारी सेवाओं का अंगीकरण एवं उपयोग शामिल हैं। ई-गवर्नमेंट सेवाओं को ग्रामीण समाज तक पहुंचाने में अन्य चुनौतियां हैं। ऐसी चुनौतियों पर नियंत्रण करने के लिए स्थानीय आवश्यकताओं का मूल्यांकन करने और इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए (ई-गवर्न) समाधानों को प्रचलन में लाने, ग्रामीण एवं दूरस्थ इलाकों में रहने वाले जन समुदाय से सम्पर्क का प्रावधान करने, स्थानीय भाषाओं में वेब सार का विकास करने और एक मानव संसाधन ज्ञान बल का निर्माण करने की आवश्यकता है।
ऐसे मुद्दों तथा चुनौतियों पर काबू प्राप्त करने के लिए अनुसंधानकर्ताओं, प्रेक्टिसनरों तथा सरकारी एजेंसियों को, (ई-गवर्न) के व्यापक विकास तथा विस्तार में सहायक अवसरों का सृजन करके एक सम्मिलित एवं सहयोगी प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। हमारी व्यापक खोज के अनुसार, इसके वैज्ञानिक एवं व्यावसायिक विकास के विभिन्न प्रकार के वांछित अवसरों का सृजन करने के लिए कई शैक्षिक, वाणिज्यिक एवं सरकारी संस्थाएं (भारत में तथा भारत से बाहर दोनों स्थानों पर), इस क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। ई-गवर्नमेंट के क्षेत्र में, शिक्षाविदों, पीएच.डी. छात्रों, व्यवसायियों तथा रोजगार तलाश रहे व्यक्तियों के लिए निम्नलिखित अवसर उपयुक्त हैं-
1. नेशनल इंस्टीट्यूट फोर स्मार्ट गवर्नमेंट (एन.आई.एस.जी.) : हैदराबाद में स्थित है और इसकी स्थापना राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी तथा सॉफ्टवेयर विकास कार्य बल की सिफारिश पर की गई थी। एन.आई.एसजी. सेवाओं में, भारत में केन्द्रीय एवं राज्य सरकार दोनों को (ई-गवर्न) से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं के विकास तथा कार्यान्वयन के संबंध में परामर्श देना शामिल है। एन.आई.एस.जी. (ई-गवर्न) से संबंधित तकनीकी एवं गैर-तकनीकी मामलों के लिए परामर्श अनुभव देता है और यह संस्थान सरकारी एवं निजी - दोनों संस्थाओं के साथ सहभागिता के माध्यम से क्षमता-निर्माण एवं परिवर्तन प्रबंधन में रत है। विभिन्न प्रबंधन पदों तथा चालू सरकारी परियोजनाओं के लिए अनेक रिक्तियां भी विज्ञापित करते हैं. (विवरण के लिए http://www. nisg.org देखें)।
2. ए.बी.एम. नालेजेबल लिमिटेड, (ए.बी.एम.) : यह बम्बई स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध एक सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी है। ए.बी.एम. ने भारतीय संदर्भ में ई-गवर्नेंस के विकास, कार्यान्वयन तथा संस्थानीकरण पर एक व्यापक पहुंच का विकास किया है। यह विभिन्न (ई-गवर्न) परियोजनाओं (जैसे कल्याण डोम्बीवली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (के.डी.एम.सी.) परियोजना, म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ ग्रेटर मुम्बई (एम.सी.जी.एम.) के लिए सम्पत्ति कर परियोजना, एम.सी.जी.एम. के लिए एक ई.आर.पी. - आधारित एकीकृत एवं उपयोगी ई-गवर्नेंस समाधान तथा एम.सी.जी.एम. के लिए पानी के बिल तैयार करने एवं लेखाकरण की एक्वा परियोजना, ई-म्यूनिसिपालिटी - जो पूरे महाराष्ट्र सरकार में 231 नगर-निकायों को शामिल करती है, आदि) से प्रमाणित होता है, जिन्हें इस संगठन ने सफलतापूर्वक निष्पादित किया है. रोज़गार तलाश रहे ऐसे व्यक्ति, जो प्रबंधन, सॉफ्टवेयर विकास तथा कार्य- परामर्श के क्षेत्र में संबंधित अनुभव एवं क्षमता रखते हैं, इस कंपनी में उपयुक्त रोजगार खोज सकते हैं (विवरण के लिए
3. इन्क्रोमा ई-बिजनेस सोल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड एक छह सिग्मा ई-गवर्नेंस कंपनी है, जो एंड-टू-एंड ई-गवर्नेंस उत्पाद आधारित समाधानों को कार्यान्वित करने में रत है। तकनीकी तथा गैर-तकनीकी - दोनों प्रकार के रोजगार तलाश रहे व्यक्तियों के लिए भी इस संगठन में उपयुक्त अवसर उपलब्ध हो सकते हैं।
4. अनुसंधान अवसरः अनेक विश्वविद्यालयों तथा शैक्षिक संस्थाओं में ऐसे सुस्थापित अनुसंधान समूह हैं जो (ई-गवर्न) से जुड़े मामलों पर ध्यान देते हैं। अनुसंधानकर्ता एवं प्रत्याशित डॉक्टोरल उम्मीदवार अनुसंधान से जुड़े अवसरों के लिए निम्नलिखित अनुसंधान समूहों और केन्द्रों से सम्पर्क कर सकते हैं। (1) सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी इन गवर्नमेंट (सी.टी.जी.) सनी अल्बेनी, अमेरिका में एक अनुप्रयुक्त अनुसंधान केन्द्र है जो सरकारी संगठनों एवं अन्यों को, डिजिटल गवर्नमेंट के विकास के समर्थन के लिए निर्धारित संसाधनों एवं ससांधनों की सूचना देता है। (ii) द टेक्नोलॉजी एंड इन्नोवेशन मैनेजमेंट (टी.आई.एम.) ग्रुप ( स्वान सी विश्वविद्यालय, वेल्स, यू.के. ने भी इस क्षेत्र में अनुसंधान विशेषज्ञता का विकास किया है और इस ग्रुप के कर्मचारी अनुसंधान के प्रकाशन एवं इस विषय पर डॉक्टोरल उम्मीदवारों के पर्यवेक्षण करने में सक्रिय रूप से व्यस्त हैं। यह ग्रुप पात्र उम्मीदवारों को पेपर प्रकाशन के लिए डॉक्टोरल अनुसंधान करने या सहयोगी अनुसंधान करने का अवसर देता है। भारत में, प्रबंधन अध्ययन विभाग, आई.आई.टी. दिल्ली एवं प्रबंधन विद्यालय, एम.एन.आई.टी. (ई-गवर्न) क्षेत्र से जुड़े अनुसंधान, परामर्श एवं पीएच.डी. पर्यवेक्षण के विश्व-श्रेणी के शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। और (ई-गवर्न) से जुड़े मामलों में विशेषज्ञता प्राप्त अनेक पीएच. डी. छात्र दिए हैं।
उक्त निर्दिष्ट संस्थाएं उदाहरण मात्र हैं, भारत में एवं भारत से बाहर अन्य ऐसी संस्थाओं का पता लगाने के इच्छुक व्यक्ति अपनी पूछताछ इलेक्ट्रॉनिक मेलिंग लिस्ट पर डालें ()।
यह सूची विश्व (ई-गवर्न) समुदाय के लिए विशेष रूप से बनाई गई है और शैक्षिक एवं प्रेक्टिसनर दोनों की पृष्ठभूमि रखने वाले व्यक्तियों के हितों को पूरा करती है। (ई-गवर्न) में रुचि रखने वाला कोई भी व्यक्ति इस सूची का ग्राहक बन सकता है और इस क्षेत्र में डाॅक्टोरल अवसरों से संबंधित पूछताछ कर सकता है और नए विकास की जानकारी ले सकता है।