कुचालक किसे कहते है
वैसे पदार्थ जो अपने होकर विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होने देते हैं, कुचालक या अवरोधक कहलाते हैं। यथा: रबर, प्लास्टिक, लकड़ी इत्यादि। ये पदार्थ विद्युत धारा के प्रवाह में ज्यादा अवरोध उत्पन्न करते हैं, अत: ये कुचालक कहलाते हैं।
वैसे पदार्थ जो, विद्युत धारा के प्रवाह में बहुत ज्यादा अवरोध उत्पन्न करते हैं, अवरोधक (Insulator) कहलाते हैं।
वैसे तो कोई भी पदार्थ पूर्ण अवरोधक नहीं है, परंतु अवरोधक विद्युत धारा के प्रवाह में इतना अधिक अवरोध उत्पन्न करते हैं कि उनसे प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा की मात्रा नगण्य होती है। ऐसे पदार्थों का उपयोग विद्युत तारों के उपर कवर चढ़ाने में, विद्युत स्विच आदि के उपरी कवर बनाने आदि में होता है। ताकि इसे उपयोग करने वाले व्यक्ति को विद्युत के झटके, जो कि कई बार जानलेवा भी होते हैं, से सुरक्षित रखा जा सके।
उदारहण : ग्लास, कागज, टेफलॉन, आदि।
वैसे पदार्थ जिनकी प्रतिरोधकता 10−8Ω m
to 10−6Ω m के बीच होती है, विद्युत धारा के सुचालक कहलाते हैं। धातुओं की प्रतिरोधकता 10−8Ω m to 10−6Ω mबीच होती है, अत: धातु विद्युत धारा के सुचालक होते हैं।
वैसे पदार्थ जिनकी प्रतिरोधकता 1010 Ωm to 1017 Ωm के बीच होती है, अवरोधक (Insulator) कहलाते हैं। रबर तथा ग्लास विद्युत धारा का बहुत अच्छा अवरोधक है, इनकी प्रतिरोधकता 1012 Ωm to 1017 Ωm के बीच होती है।
मिश्रातु की प्रतिरोधकता शुद्ध धातु से ज्यादा होती है। दूसरी तरफ मिश्रातु उच्च ताप पर जलते (oxidize) नहीं हैं। यही कारण है कि उष्मा देने वाले विद्युत उपकरणों, यथा हीटर, आयरन, गीजर, आदि में एलीमेंट के रूप में मिश्रातु का उपयोग किया जाता है।
उदाहरण (Example): बल्ब के तंतु (Filament) टंगस्टन के बने होते हैं, क्योंकि टंगस्टन की प्रतिरोधकता काफी अधिक है। जबकि कॉपर तथा एल्युमिनियम की प्रतिरोधकता कम होने के कारण, इनका उपयोग बिजली के तारों में किया जाता है।
विद्युत अवयवों को को विद्युत परिपथ में निम्नांकित दो तरीकों से संयोजित किया जा सकता है।
विद्युत अवयवों, यथा बल्ब, प्रतिरोधक आदि के एक सिरा से दूसरा जोड़कर विद्युत परिपथ में लगाया जाता है, तो इस संयोजन को श्रेणीक्रम (series circuit) में संयोजन कहते हैं।
जब विद्युत के उपकरणों को विद्युत परिपथ में श्रेणीक्रम (series circuit) में जोड़ा जाता है, अर्था उपकरणों के एक सिरे को दूसरे सिरे से मिलाकर जोड़ा जाता है, तो श्रेणीक्रम (series circuit) में संयोजित सभी अवयवों से समान विद्युत धारा प्रवाहित होती है। अर्थात श्रेणीक्रम (series circuit) में संयोजित सभी अवयवों से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा की मात्रा समान होती है।
जबकि वोल्टेज श्रेणीक्रम (series circuit) में जोड़े गये सभी अवयवों में बंट जाती है।
अत: जब विद्युत उपकरणों या अवयवों को श्रेणीक्रम (series circuit) में जोड़ा जाता है, तो
(a) विद्युत धारा का प्रवाह सभी अवयवों में समान रहती है।
(b) वोल्टेज (potential difference) सभी अवयवों में विभक्त हो जाती है।
उदारण: शादी या त्योहारों के अवसर पर सजावट के लिये लगाये गये छोटे छोटे बल्ब श्रेणीक्रम में जुड़े होते हैं।
चूँकि सजावट के लिये उपयोग में लाये जाने वाले छोटे बल्ब बहुत ही कम वोल्टेज पर कार्य करते हैं, अत: उन्हें श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है ताकि उच्च वोल्टेज सभी बल्बों में विभक्त हो जाये तथा बल्ब को कोई क्षति ना पहुँचे तथा वे सही रूप से कार्य कर सकें।
जब एक से ज्यादा विद्युत अवयवों (उपकरणों) के ऋणात्म्क ध्रुव एक साथ तथा धनात्मक सिरा एक साथ जोड़कर विद्युत परिपथ में संयोजित किया जाता है, तो ऐसे संयोजन को पार्श्वक्रम में संयोजन कहते हैं।
जब विद्युत उपकरणों को पार्श्वक्रम में विद्युत परिपथ में जोड़ा जाता है, तो
(a) सभी उपकरणों में वोल्टेज समान रहता है, अर्थात वोल्टेज उपकरणों के बीच विभक्त नहीं होता है।
(b) परंतु विद्युत धारा का प्रवाह पार्श्वक्रम में संयोजित सभी उपकरणों में विभक्त हो जाता है।
उदारहण: घरों में विद्युत उपकरण पार्श्वक्रम में संयोजित रहते हैं।
विद्युत उपकरणों को पार्श्वक्रम में इसलिये जोडा जाता है कि सभी उपकरणों को समान तथा आवश्यक वोल्टेज मिल सके। घरों में उपयोग लाया जाने वाला विद्युत उपकरण प्राय: 220V− 250V
के बीच कार्य करते हैं।
अन्य विद्युत उपकरणों की तरह ही प्रतिरोध को दो प्रकार से विद्युत परिपथ में संयोजित किया जा सकता है। ये प्रकार हैं श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम
जब एक प्रतिरोधक के एक सिरे से दूसरे प्रतिरोधक के दूसरे सिरे को जोड़कर विद्युत परिपथ में जोड़ा जाता है, तो ऐसे संयोजन को श्रेणीक्रम में संयोजन कहते हैं।
मान लिया कि तीन प्रतिरोधकों श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है, तथा उनके प्रतिरोध क्रमश: R1, R2 तथा R3 हैं।
मान लिया कि विद्युत परिपथ का कुल प्रतिरोध = R
अत: श्रेणीक्रम में संयोजन के नियम के अनुसार
R = R1 + R2 + R3 ------(a)
मान लिया कि प्रतिरोधक R1
का विभवांतर =V1तथा प्रतिरोधक R2
का विभवांतर =V2तथा प्रतिरोधक R3
का विभवांतर =V3है।
पुन: मान लिया कि विद्युत परिपथ के दोनों सिरों के बीच का विभवांतर =V
तथा, विद्युत परिपथ का कुल प्रतिरोध =R
मान लिया कि विद्युत परिपथ से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा =I
चूँकि विद्युत परिपथ का वोल्टेज (विभवांतर) परिपथ में में श्रेणीक्रम में जुड़े सभी अवयवों में विभक्त हो जाता है।
अत: विद्युत परिपथ के दोनों सिरों के वीच का कुल वोल्टेज (विभवांतर) T (V)
=श्रेणीक्रम में जुड़े सभी प्रतिरोधकों के सिरों के बीच के विभवांतर का योग
Or, V = V1 + V2 + V3
ओम के नियम के अनुसार
R=VI
⇒V=IR
---------(b)
चूँकि विद्युत परिपथ से प्रवाहित हो रही विद्युत धार उसमें श्रेणीक्रम में जुड़े अवयवों के विभक्त नहीं होती है अर्थात समान रहती है। अर्थात श्रेणीक्रम में जुड़े सभी प्रतिरोधकों के बीच प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा, परिपथ से प्रवाहित होने वाली विद्युत धार के समान होती है।
अत: प्रत्येक प्रतिरोधक के बीच प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा =I
अत: V1=
I xxR_1`
तथा, V2=IxR2
तथा, V3=IxR3
अब समीकरण (a) तथा (b) से
V=(IR1)+(IR2)+(IR3)
⇒V=I(R1+R2+R3)
उपरोक्त में V=IR
रखने पर
मान लिया कि प्रतिरोधक R1, R2, R3 , ..........., Rn श्रेणीक्रम में संयोजित हैं।
मान लिया कि प्रतिरोधक R1
का विभवांतर =V1तथा प्रतिरोधक R2
का विभवांतर =V2तथा प्रतिरोधक R3
का विभवांतर =V3है।
.............................
अत: प्रतिरोधक Rn
का विभवांतर =Vnहै।
मान लिया विद्युत परिपथ के दोनों सिरों के बीच का विभवांतर =V
मान लिया कि विद्युत परिपथ से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा =I
ओम के नियम के अनुसार
चूँकि, V=IR
अत:
अत: विद्युत परिपथ का कुल प्रतिरोध विद्युत परिपथ में श्रेणीक्रम में जुड़े सभी प्रतिरोधकों के प्रतिरोध के योग के बराबर होता है।
Suchalak kuchalak me antar
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