Khatu Shyam Ji Chamatkar खाटू श्याम जी चमत्कार

खाटू श्याम जी चमत्कार

GkExams on 04-05-2022


खाटूश्याम के बारें में : खाटू श्याम का धाम राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। यहाँ मंदिर के दर्शन करने हर वर्ष करोड़ों लोग आते है। आस्था ऐसी है की कई लोग मीलोँ दूर से पैदल तक यहाँ आते है।


बाबा श्याम में भक्तों की आस्था दिनोंदिन बढ़ती (khatu shyam ji darshan) जा रही है। किसी जमाने में यहां पर केवल फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशमी को ही सैकड़ों श्याम भक्त आकर भजन कीर्तन करते थे। बाद में फाल्गुन का लक्खी मेला (khatu shyam mela 2023) शुरू हुआ।


खाटू श्याम के चमत्कार :




खाटू श्याम को भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है। ऐसा कहे जाने के पीछे एक पौराणिक कथा हाथ है। एक बार जब लक्षागृह की घटना के बाद पांडव वन-वन भटक रहे थे। उस समय उनकी मुलाकात हिडिम्बा नामक राक्षसी से होती हैं। वह भीम से विवाह करना चाहती थी।


भीम की माता कुंती की आज्ञा से भीम और हिडिम्बा का विवाह हुआ। उनको घटोत्कच नामक पुत्र हुआ। घटोत्कच से बर्बरीक का जन्म हुआ जो अपने पिता से भी शक्तिशाली था।


बर्बरीक देवी का बहुत बड़ा भक्त था। देवी के वरदान से बर्बरीक को तिन दिव्य बाण की प्राप्ति हुई। जो बाण अपने लक्ष्य को भेद कर वापस लौट आते थे। इस वजह से वह अजेय हो गया।


महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध देखने के लिए कुरुक्षेत्र जा रहा था। श्री कृष्ण जानते थे। के अगर बर्बरीक इस युद्ध में शामिल हो गया। तो युद्ध का परिणाम पांड्वो के विरुद्ध में होगा। बर्बरीक को रोकने के लिए श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप लिया। और पूछा की “तुम कौन हो और कुरुक्षेत्र क्यों जा रहे हो”।


श्री कृष्ण को जवाब देते हुए बर्बरीक ने कहा की “वह एक दानी योद्धा है। और एक बाण से महाभारत के युद्ध का निर्णय कर सकता हैं”। श्री कृष्ण ने उसकी परीक्षा लेनी चाही तो उसके एक बाण से पीपल के पेड़ के सारे पत्ते छेद हो गए। लेकिन एक पत्ता श्री कृष्ण के पैर के नीचे था। इस वजह से बाण पैर पर ही ठहर गया।


श्री कृष्ण समझ गए थे की अगर यह युद्ध में शामिल हुआ। तो परिणाम पांड्वो के विरुद्ध में होगा। इसलिए उसे रोकने के लिए श्री कृष्ण ने कहा की “तुम बड़े पराक्रमी हो मुझे कुछ दान में नहीं दोगे”। तब बर्बरीक ने मांगने को कहा तो श्री कृष्ण ने उसका शीश दान में मांगा।


तब बर्बरीक समझ गया की यह कोई ब्राह्मण नहीं है। तब उसने श्री कृष्ण से वास्तविक परिचय देने को कहा। जब श्री कृष्ण ने उनका वास्तविक परिचय दिया। तो बर्बरीक ने खुशी ख़ुशी अपना शीश श्री कृष्ण को दान देने का स्वीकार कर लिया।


उसके बाद फाल्गुन शुक्ल द्रादशी को अपना शीश श्री कृष्ण को दान किया। शीश दान करने से पहले बर्बरीक ने युद्ध देखने की इच्छा जताई। तो श्री कृष्ण ने उसके कटे हुए शीश को युद्ध अवलोकन के लिए ऊंचे स्थान पर स्थापित कर दिया।


युद्ध जितने के बाद पांडव विजय का श्रेय लेने के लिए वाद-विवाद कर रहे थे। तब श्री कृष्ण ने कहा की इसका निर्णय बर्बरीक का कटा हुआ शीश करेगा। तब बर्बरीक के कटे हुए शीश ने बताया की “युद्ध में श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र चल रहा था।


इस वजह से कटे हुए वृक्ष की तरह योद्धा रणभूमि में गिर रहे थे। और द्रोपदी महाकाली के रूप में योद्धाओं का रक्त पान कर रही थी”। और इससे खुश होकर श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कटे हुए शीश को वरदान दिया की तुम कलयुग में मेरे श्याम नाम से पूजे जाओगे। तुम्हारे स्मरण मात्र से भक्तो का कल्याण होगा।


स्वप्न दर्शनोंपरांत से बाबा श्याम खाटू धाम में स्थित श्याम कुंड में प्रकट हुए। सन 1777 से आज दिन तक बाबा श्याम भक्तो की मनोकामना पूर्ण (khatu shyam mandir timing) कर रहे हैं।


खाटू श्याम पूजा विधि :


यहाँ हम आपको खाटू श्याम की पूजा विधि बता रहे है, इस विधि को आप फॉलो करके अपने कार्य को सफल कर सकते है...


  • सर्वप्रथम आप बाबा श्याम की मूर्ति को साफ़ सुथरी जगह विराजमान करें।
  • इस जगह आप अगरबत्ती-धूप, घी का दीपक, फूल, पुष्पमाला, कच्चा दूध, भोग सामग्री-प्रसाद – ये सब सामान तैयार रख लें।
  • इसके बाद अब श्याम बाबा की फोटो या मूर्ति को पंचामृत या दूध-दही से स्नान करवाएं।
  • फिर किसी साफ़ सुथरे, मुलायम कपड़े से जल पोंछकर साफ़ कर दें।
  • अब आप श्याम बाबा को पुष्पमाला, फूल चढ़ायें।
  • अब आप घी का दीपक जला दें, फिर बाबा श्याम को धूप-अगरबत्ती दिखाएँ।
  • अब श्याम बाबा को पहले कच्चा दूध और इसके पश्चात भोग-प्रसाद सामग्री चढ़ाएं।
  • भोग लगाने के बाद बाबा श्याम की आरती गाते हुए वन्दना करें।



  • खाटू श्याम बाबा की आरती (Khatu Shyam ji ki Aarti) :




    ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे |
    खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे || ॐ


    रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे |
    तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े || ॐ


    गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे |
    खेवत धूप अग्नि पर दीपक ज्योति जले || ॐ


    मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे |
    सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे || ॐ


    झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे |
    भक्त आरती गावे, जय – जयकार करे || ॐ


    जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे |
    सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम – श्याम उचरे || ॐ


    श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे |
    कहत भक्त – जन, मनवांछित फल पावे || ॐ


    जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे |
    निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे || ॐ

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    Comments Monu on 16-10-2022

    Baba ji m bhut bimar hu pls meri bimari dur kr do baba

    Kavita on 15-06-2022

    Baba ji me bhout pareshaan hu meri pareshaani khatam hogi ka nhi

    Rakesh on 14-06-2022

    Kya kabhi dukh kam hota hai

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    Ganesh on 28-09-2021

    Krapa kb hogi aapki

    Nitin gupta on 30-08-2021

    Baba me bhut pareshaan hu mera Kaam bhi nahi chal raha hai jo bhi paisa lagata hu pata nahi chalta me bhaut karje me hu he baba apni kripa mujh per bana do he baba aap ke darshan karne jaroor ayoga jai Khatu Shyam ki jai

    Subodh kumar Chauhan on 19-07-2021

    Kiya mujhe darshan hoge


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