पैसे का आविष्कार किसने किया
आज के समय में हम किसी भी सामान को खरीदने या बेचने के लिए किसी दूसरे आदमी के पास जाते हैं और उस सामान को अगर वह अधिक खरीद लेता है तो उससे हम बदले में पैसे लेते हैं उन पैसों से हम दूसरा सामान खरीद लेते हैं जिस सामान की हमें जरूरत होती है यानी हम अगर किसी भी तरह का काम करते हैं तो हमें सिर्फ पैसे की ही जरूरत होती है और आज के समय में हर इंसान पैसा कमाने के लिए दिन रात मेहनत करता है और जिसके पास पैसा है वह सब कुछ खरीद सकता है यानी आज के समय में पैसा ही सब कुछ है पैसे से किसी भी तरह की चीज खरीदना आसान है पैसा दुनिया में लोगों की सबसे बड़ी जरूरत है
और यह आप सभी भी जानते होंगे कि अगर हमारे पास पैसा नहीं है तो आज के समय में हमें कोई कुछ भी समान नहीं देगा और आप भी पैसा कमाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं तो कभी आपने यह सोचा है कि अगर आज के समय में पैसा नहीं होता तो हमारा यह समय कैसा होता और शायद आपने यह भी सोचा होगा कि शुरू में जब पैसा नहीं था तो लोग किस तरह से व्यापार करते थे यानी किस तरह से एक दूसरे से चीज़ लेते थे. तो आज मैं आपको इस पोस्ट में इसी तरह की कुछ महत्वपूर्ण और फायदेमंद जानकारी आपको बताऊंगा जिससे की आपके सामान्य ज्ञान की भी बढ़ोतरी होगी और यह आपके लिए जानना भी जरूरी है मैं आपको इस पोस्ट में बताऊंगा कि किस तरह से पैसे का आविष्कार हुआ किस तरह से सिक्के बनाए गए और सबसे पहले यह चीजें कहां पर इस्तेमाल की गई तो नीचे देखिए.
फिर इस प्रणाली के बाद बकरी ऊंट घोड़े और नमक जैसी चीजों का व्यापार के लिए इस्तेमाल किया गया उसके बाद इस तरीके से व्यापार करना मुश्किल हो रहा था लेकिन मिस्र में किसी भी खरीदारी के लिए सोना और सिल्वर का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जा रहा था लेकिन हर समय में सिल्वर और सोने को अपने साथ में रखना मुश्किल होता था और इससे लूटपाट का भी डर ज्यादा रहता था इसके बाद पहली बार 650 बी सी में Lydia में सिक्के की करेंसी को बनाया गया और उसको बहुत पसंद भी किया या फिर उसके बाद 1000 BC में चाइना में भी व्यापार के लिए सिक्के बनाए गए और उसके ऊपर मुद्रण भी किया.
फिर खरीदारी करने के लिए सिक्के तो बनाये जा चुके थे. खरीदारी करने के बाद रसीद नहीं थी. 12 वीं शताब्दी में रसीद के लिए Tallystick का इस्तेमाल किया गया क्योंकि उस जमाने में पेपर बहुत महंगा हुआ करता था. इसलिए छोटी लकड़ी के टुकड़े का उपयोग करते थे जिस पर निशान लगाया जाता था और अगर उसके ऊपर कुछ लिखना होता था तो उसके ऊपर लिख दिया जाता था और खरीदारी करने के बाद लकड़ी के दो टुकड़े कर देते थे एक टुकड़ा बेचने वाला और एक टुकड़ा खरीदने वाला रख लेता.
इसके बाद Goldsmith Banking की इंग्लैंड में 16 शताब्दी में शुरुआत की गई क्योंकि सोना हमेशा साथ में रखना और उसके साथ खरीदरी बहुत मुश्किल होता था. इसलिए लोग अपना पैसा अपना सोना प्राइवेट बैंक मैं जमा करवाते थे. और रसीद ले लेते थे और इसी रशीद के जरिए चीजों की खरीदारी करते थे जैसे-जैसे पेपर का आविष्कार बढ़ता गया और सभी जगह पर पेपर आम हो गया तो Tallystick की जगह पर Bill Of Exchange का इस्तेमाल होने लगा. Bill Of Exchange भी Tallystick की तरह ही होता था. यह उस समय का क्रेडिट कार्ड होता था. जो खरीदारी करने के बाद खरीददार को दिए हुए समय के अनुसार अपने पैसे जमा करवाने होते थे. जिस तरह से आज के समय में क्रेडिट कार्ड से खरीददारी करने के बाद की बैंक यूजर्स को टाइम देते हैं और इसका दूसरा फायदा यह था कि Bill of exchange के जरिए अगर किसी ने एक बार चीज खरीद ली या बेच दी तो पैसा Bill of exchange के जरिए ले लिया जाता है जैसा कि आज हम किसी दूसरी जगह पर सामान बेच देते हैं और खरीदने वाला हमारे बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करता है इसी तरह से ही Bill of exchange साथ जिस शहर में खरीदारी की गई या दूसरी जगह पर कहीं पर भी खरीदारी की गई वहां पर पैसे जमा करवा दिए जाते थे और उसके बाद अपने शहर में आकर पैसे बैंक से Bill of exchange से निकाल लिए जाते थे. इस तरीके से पैसे चोरी होना और पैसे की लूटपाट होना से भी बचाता और पैसे को हमेशा साथ में भी रखना नहीं पड़ता.
सिक्के को अपने पास हर समय में रखना बहुत मुश्किल था इसलिए 11 सताब्दी में चीन में सबसे पहले पेपर करेंसी बनाई गई और इस प्रकार चाइना को देखते हुए यूरोप में भी धीरे-धीरे 70 वीं शताब्दी में पेपर करेंसी का आविष्कार हुआ और फिर इस तरह से यह पूरी दुनिया में पेपर करेंसी फैल गई.
भारत में सबसे पहली बार शक्ति के रूप में करेंसी का आरंभ 1540 से 1545 के मध्य माना जाता. भारत में सबसे पहली बार करेंसी के रूप में सिक्का चलाया गया था और सबसे पहले शेर शाह सूरी के शासनकाल में सिक्के चलाए गए थे. और चांदी का सिक्का भी था उस सिक्के का भार 178 गेन (11.534 ग्राम) था. और सोने का सिक्का भी होता था. जिसे मोहर कहा जाता था.कालांतर में मुगल शासन के दौरान पूरे उपमहाद्वीप में मौद्रिक व्यवस्था को बढ़िया बनाने के लिए तीन धातुओं के साथ सिक्के बनाना शुरू किए गए. शेर शाह सुरी के शासन काल के दौरान शुरू किया गया ‘रुपया’ आज तक चलता है.
भारत में ब्रिटिश राज के दौरान भी यह चलता रहा. उस समय में इसका भार 11.66 ग्राम था और उसके भार का 9 1.7 प्रतिशत शुद्ध चाँदी होता था. 19वीं शताब्दी तक दुनिया भर के सभी देशों में सिक्कों के बनाने के लिए सिल्वर चांदी और सोने का इस्तेमाल होता था लेकिन 19वीं शताब्दी के बाद चांदी से बने सिक्कों में बहुत भारी कमी देखने को मिली इनका मूल्य बहुत कम हो गया और और इस घटना को रूपए की गिरावट के रूप में भी जाना जाता है. भारत में 18 शताब्दी तक सिक्कों का प्रचलन जारी था लेकिन 18 शताब्दीके बाद जब ब्रिटिश कंपनी भारत में आई तो उसके बाद भारत में पेपर करेंसी का आविष्कार हुआ और भारत में सबसे पहली बार पेपर करेंसी बैंक ऑफ हिंदुस्तान ने कोलकाता में 1770 में चलाया था.
फिर उसके बाद जैसे-जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में अपना व्यापार बढ़ाने लगी तो उसके बाद 1773 में बैंक ऑफ बंगाल और बिहार की स्थापना की गई फिर उसके बाद 1886 में प्रेसीडेंसी बैंक की स्थापना हुई फिर उसके बाद भारत में पेपर करेंसी आम होती गई और फिर धीरे-धीरे भारत में पेपर करेंसी बढ़ती चली गई शुरू में कागजी करेंसी 10, 20 ,50 ,100 और 1000 के नॉट थे इन सभी नोटों पर ईस्ट इंडिया कंपनी की महारानी विक्टोरिया की एक छोटी सी फोटो लगाई हुई थी.वर्ष 1935 में ब्रिटिश सरकार ने रुपये जारी करने का अधिकार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को दे दिया. भारत 15 अगस्त 1947 में आजाद हुआ तो उसके बाद सबसे पहली बार ₹1 का नोट बनाया गया था जिसे 1949 में लागू किया गया फिर उसके बाद भारत में भारत सरकार द्वारा नोट बनाए गए और 1996 से लेकर 2005 महात्मा गांधी की फोटो नोटों के ऊपर लगाई जाने लगी तो इस तरह से भारत में कागजी करंसी का आविष्कार हुआ और आज के समय में भारत में 10,20 500 ,1000 और 2000 के नोट बनाए जा चुके हैं और आने वाले समय में शायद इनसे अलग भी कोई और नया नोट निकाला जाएगा.
तो इस तरह से दुनिया में व्यापार के लिए सिक्के की करेंसी और नोट की करेंसी का इस्तेमाल होने लगा और धीरे-धीरे यह अलग-अलग तरह की करेंसी बनाए जाने लगी और भारत में भी अलग-अलग तरह के नोट बनाए जाने लगे तो आज हमने आपको इस पोस्ट में दुनिया में व्यापार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली करेंसी के नोट और सिक्कों के इतिहास के बारे में बताया इसमें हमने आपको नोट और सिक्कों पेपर करेंसी के बारे में पूरी और विस्तार से जानकारी दी है. और इसके साथ साथ शुरू में लेन-देन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चीजों के बारे में भी बताया. तो यदि हमारे द्वारा बताई गई यह जानकारी आपको पसंद आए तो शेयर करना ना भूलें और यदि इसके बारे में आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं
Suru me hmari mudra ko kis name se jana jata tha
Pen ka avishkar kisne ki
Paise ka aavishkar kisne kiya tha
Pahle Paisa Kaun Banaya
Paise ka avishkaar kisne kiya hai
भारत सरकार का ₹1 ही है बाकी सब नोट कर्ज पर क्यों छपते हैं जिसके कारण भरत पर कर्जा बढ़ता जा रहा है यही दशा अन्य देशों की है कर्ज बंद व्यवस्था बनाने की सकते हैं भारत अपना पैसा क्यों नहीं जा सकता₹1 के नोट पर ही सिर्फ भारत सरकार लिखा है अन्य सभी नोटों पर भारतीय रिजर्व बैंक ऐसा क्यों
PAISE KA
Paise
Pause Ka Aviskar kisne kiya
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