Rajasthan Ki Mittiyan pdf राजस्थान की मिट्टियाँ pdf

राजस्थान की मिट्टियाँ pdf

Pradeep Chawla on 13-10-2018

राजस्थान की मिट्टियां

मिट्टियां
  • राजस्थान के दक्षिण में लाल मिट्टी माई जाती हैं।
  • दक्षिण-पूर्व में काली मिट्टी पाई जाती हैं।
  • उत्तरी-पूर्वी व पूर्वी मैदानी भाग में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती हैं।
  • उत्तर में (गंगानगर, हनुमानगढ़) में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती हैं।
  • पष्चिम में/उत्तर-पष्चिम में बलुई मिट्टी पाई जाती हैं।
  • अरावली के पष्चिमी ढ़ाल में भुरी-धूसर/भुरी-बलुई/सिरोजम मिट्टी पाई जाती हैं।
  • अरावली के पूर्व में बनास नदी में भुरी-दोमट मिट्टी पायी जाती हैं।

राजस्थानमें मिट्टियों के प्रकार:-
1. बालु मिट्टी 2. लाल दोमट/लाल लोमीमिट्टी
3. मिश्रित लाल-कालीमिट्टी 4. जलोढ़ मिट्टीया कच्छारी मिट्टी
5. भुरी-रेतीली मिट्टी (अरावलीके पष्चिम में)6. भुरी रेतीली कच्छारी मिट्टी7. काली मिट्टी बालु मिट्टी:-
  • राजस्थान में सर्वांधिक पाई जाने वाली मिट्टी।
  • सीमावर्ती चारों जिलों गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, शेखावटी क्षेत्र, जोधपुर, नागौर में पायी जाती हैं।
  • इस मिट्टी में जीवाष्म और नाइट्रोजन का अभाव होता हैं, क्योंकि इस प्रदेष में गर्मी अधिक पड़ती हैं व वर्षां की मात्रा कम हैं।
  • लवणता व क्षारीयता की मात्रा सर्वांधिक पाई जाती हैं। इसको कम करने के लिए जिप्सम व चूना पत्थर ड़ाला जाता हैं।
  • अम्लीय मिट्टी का च्ी मान 0 से 6.9 तक होता हैं। (चूना पत्थर से अम्लीयता कम होती हैं)
  • क्षारीय मिट्टी का च्ी मान 7.1 से 14 तक होता हैं। (जिप्सम से क्षारीयता कम होती हैं।)
  • इस मिट्टी में वर्षां व सिंचाई की सुविधा होने पर सर्वाधिक उपजाऊ हैं।
  • बालू मिट्टी में जलधारण करने की क्षमता कम होती हैं (सबसे कम होती हैं), क्योंकि मिट्टी के मध्य छिद्र अधिक व बड़े होते हैं। (जल सोखने की क्षमता सर्वांधिक होती हैं)
  • बालू मिट्टी की मुख्य समस्या सोडियम क्लोराईड हैं।
  • बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, पाली, नागौर की मिट्टीयों में लवणता अधिक हैं।
  • लवणता के कारण बंजर भूमि का क्षेत्रफल सर्वांधिक पाली में हैं।
  • पष्चिमी राजस्थान की मुख्य फसलें:- मूंग, मोठ व बाजरा हैं।
लाल मिट्टी:-
  • इसके अन्य नाम लाल लोमी/चिकनी/दोमट हैं।
  • जहां आग्नेय चट्टान होगी, वहां यह मिट्टी पाई जाएगी।
  • राजस्थान के दक्षिण में लाल मिट्टी का क्षेत्रफल सर्वांधिक हे।
  • चित्तौड़गढ़ (सर्वांधिक), डुंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, भीलवाड़ा के आंतरिक भागों में (प्राचीन स्फट्कीय व कायांतरित चट्टानों से निर्मित)
  • इसका लाल रंग लौह आॅक्साइड के कारण होता हैं।
  • मिट्टी में फास्फोरस, नाइट्रोजन, ह्ययूमरस (नमी, जैविक अंष) की कमी पाई जाती हैं।
  • यह मिट्टी में मक्का (सर्वांधिक), मुंगफली, चावल, दालें, अफीम की खेती के लिए उपयोगी हैं।
  • अफीम सर्वांधिक चित्तौड़गढ़ में होता हैं।
काली मिट्टी:-
  • काली मिट्टी का निर्माण बैसाल्ट चट्टानद के टूटने से होता हैं।
  • ज्वालामुखी के उद्गार से (लावा – जमेगा – बेसाल्ट – टूटी – काली मिट्टी) (आग्नेय चट्टान)
  • इसकी जल धारण करने की क्षमता सर्वांधिक हैं।
  • इस मिट्टी का काला रंग लौह-आॅक्साइड के कारण होता हैं।
  • राजस्थान में काली मिट्टी का विस्तार – कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़ तक हैं।
  • हाड़ौती में पहले बांरा शामिल नहीं था।
  • राजस्थान में काली मिट्टी मालवा का पष्चिमी विस्तार हैं।
  • इस मिट्टी में कपास, सोयाबीन, मैथी (पीली), सरसांे सर्वांधिक होता हैं।
  • कपास के कारण इसे कपासी कहते हैं।
  • पानमैथी की विषिष्ट किस्म मसुरी नागौर के ताऊसर में सर्वांधिक होती हैं।
  • हाड़ौती को सोयाप्रदेष भी कहते हैं, सोयाबीन कोटा में सर्वांधिक होता हैं।
  • सोयाबीन में प्रोटीन (40%) , तेल(20%), खल (40%) तक होते हैं।
  • सोयाबीन से दूध भी बनता हैं।
  • काली मिट्टी को दक्षिण भारत में रेगुर कहते हैं, भारत से बाहर चर्नोजम कहते हैं।

काली-लाल मिट्टी:-
  • यह मिट्टी लाल व काली के मध्य वाले क्षेत्र में पाई जाती हैं।
  • भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, राजसमन्द, बूंदी, चम्बल नदी के पष्चिम में पाई जाती हैं।
  • इसमें कपास, गन्ना, चावल सर्वांधिक होता हैं।
  • सर्वांधिक गन्ना बूंदी में होता हैं।
जलोढ़ मिट्टी (कच्छारी, कांप, दोमट):-
  • इस मिट्टी का निर्माण नदियों के द्वारा होता हैं।
  • विष्व की सर्वांधिक उपजाऊ मिट्टी हैं।
  • राजस्थान में यह मिट्टी अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवांईमाधोपुर, जयपुर, दौसा (उत्तरी-पूर्वी मैदानी भाग) में पायी जाती हैं।
बनास बेसिन:-
  • इस मिट्टी में सभी प्रकार की फसले होती हैं।
  • यह मिट्टी सर्वांधिक खाद्यान्न उत्पादन करने वाली मिट्टी हैं।
  • इस मिट्टी के चार रूप:- खादर, बांगर, भामर, तराई हैं।
  • भामर व तराई राजस्थान में नहीं पाये जाते हैं।
  • खादर नवीन जलोढ़ मिट्टी हैं, जबकि बांगर पुरानी जलोढ़ मिट्टी हैं।
  • जलोढ़ मिट्टी का नदी में बाढ़ आने पर नवीनीकरण होता हे।
भूरी मिट्टी:-
यह मिट्टी दोप्रकार की होतीहैं:-
1. भूरी धूसर/धूसररेगिस्तानी 2. भूरी दोमटमिट्टी
  • अरावली के पष्चिम में भूरी रेगिस्तानी रेतीली मिट्टी (लूनी बेसिन) में पायी जाती हैं।
  • अरावली के पूर्व में भूरी दोमट मिट्टी (बनास बेसिन), भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक तथा जयपुर के दक्षिण में पायी जाती हैं।
  • इस मिट्टी में कुछ मात्रा में जैविक अंष पाया जाता हैं, क्योंकि बनास बेसिन की नदियों के द्वारा पहाड़ी मिट्टी बहाकर मैदान में बिछा दी जाती हैं।
  • इस मिट्टी में ज्वार, दाले सर्वांधिक होती हैं।
भूरी रेतीली मिट्टी:-
  • इसमें फास्फोरस की मात्रा अधिक होती हैं।
  • इसे भूरी धूसर मिट्टी या धूसर रेगिस्तानी मिट्टी कहते हैं।
  • इसका विस्तार अरावली के पष्चिम में जालौर, बाड़मेर (सिवाना,
  • समदड़ी, पंचमद्रा) पाली, डेगाना, परबतसर (नागौर), सीकर जिलों में लूनी नदी बेसिन में पाई जाती हैं।
  • इस मिट्टी में अरण्डी, तिल (सर्वांधिक), सरसों, जीरा आदि की खेती होती हैं।इस मिट्टी में नाइट्रोजन, फाॅस्फोरस, पौटेषियम की कमी पाई जाती हैं।
नोट:-
  • राजस्थान के उत्तर-पष्चिम में आंतरिक अपवाह तंत्र वाले भागों में नदियों के आसपास भूरी-रेतीली कच्छारी मिट्टी पाई जाती है।
    जीरा सर्वांधिक जालौर एवं नागौर में पाया जाता हैं।
    अरण्डी, तिल (काली व सफेद दोनों) सर्वांधिक पाली में पाई जाती हैं।
    वर्ष के अधिकांष महीनों का तापमान 180 C रहता हैं।
नई पोस्टपुरानी पोस्टमुख्यपृष्ठ

राजस्थान की मिट्टियां

मिट्टियां
  • राजस्थान के दक्षिण में लाल मिट्टी माई जाती हैं।
  • दक्षिण-पूर्व में काली मिट्टी पाई जाती हैं।
  • उत्तरी-पूर्वी व पूर्वी मैदानी भाग में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती हैं।
  • उत्तर में (गंगानगर, हनुमानगढ़) में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती हैं।
  • पष्चिम में/उत्तर-पष्चिम में बलुई मिट्टी पाई जाती हैं।
  • अरावली के पष्चिमी ढ़ाल में भुरी-धूसर/भुरी-बलुई/सिरोजम मिट्टी पाई जाती हैं।
  • अरावली के पूर्व में बनास नदी में भुरी-दोमट मिट्टी पायी जाती हैं।

राजस्थानमें मिट्टियों के प्रकार:-
1. बालु मिट्टी 2. लाल दोमट/लाल लोमीमिट्टी
3. मिश्रित लाल-कालीमिट्टी 4. जलोढ़ मिट्टीया कच्छारी मिट्टी
5. भुरी-रेतीली मिट्टी (अरावलीके पष्चिम में)6. भुरी रेतीली कच्छारी मिट्टी7. काली मिट्टी बालु मिट्टी:-
  • राजस्थान में सर्वांधिक पाई जाने वाली मिट्टी।
  • सीमावर्ती चारों जिलों गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, शेखावटी क्षेत्र, जोधपुर, नागौर में पायी जाती हैं।
  • इस मिट्टी में जीवाष्म और नाइट्रोजन का अभाव होता हैं, क्योंकि इस प्रदेष में गर्मी अधिक पड़ती हैं व वर्षां की मात्रा कम हैं।
  • लवणता व क्षारीयता की मात्रा सर्वांधिक पाई जाती हैं। इसको कम करने के लिए जिप्सम व चूना पत्थर ड़ाला जाता हैं।
  • अम्लीय मिट्टी का च्ी मान 0 से 6.9 तक होता हैं। (चूना पत्थर से अम्लीयता कम होती हैं)
  • क्षारीय मिट्टी का च्ी मान 7.1 से 14 तक होता हैं। (जिप्सम से क्षारीयता कम होती हैं।)
  • इस मिट्टी में वर्षां व सिंचाई की सुविधा होने पर सर्वाधिक उपजाऊ हैं।
  • बालू मिट्टी में जलधारण करने की क्षमता कम होती हैं (सबसे कम होती हैं), क्योंकि मिट्टी के मध्य छिद्र अधिक व बड़े होते हैं। (जल सोखने की क्षमता सर्वांधिक होती हैं)
  • बालू मिट्टी की मुख्य समस्या सोडियम क्लोराईड हैं।
  • बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, पाली, नागौर की मिट्टीयों में लवणता अधिक हैं।
  • लवणता के कारण बंजर भूमि का क्षेत्रफल सर्वांधिक पाली में हैं।
  • पष्चिमी राजस्थान की मुख्य फसलें:- मूंग, मोठ व बाजरा हैं।
लाल मिट्टी:-
  • इसके अन्य नाम लाल लोमी/चिकनी/दोमट हैं।
  • जहां आग्नेय चट्टान होगी, वहां यह मिट्टी पाई जाएगी।
  • राजस्थान के दक्षिण में लाल मिट्टी का क्षेत्रफल सर्वांधिक हे।
  • चित्तौड़गढ़ (सर्वांधिक), डुंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, भीलवाड़ा के आंतरिक भागों में (प्राचीन स्फट्कीय व कायांतरित चट्टानों से निर्मित)
  • इसका लाल रंग लौह आॅक्साइड के कारण होता हैं।
  • मिट्टी में फास्फोरस, नाइट्रोजन, ह्ययूमरस (नमी, जैविक अंष) की कमी पाई जाती हैं।
  • यह मिट्टी में मक्का (सर्वांधिक), मुंगफली, चावल, दालें, अफीम की खेती के लिए उपयोगी हैं।
  • अफीम सर्वांधिक चित्तौड़गढ़ में होता हैं।
काली मिट्टी:-
  • काली मिट्टी का निर्माण बैसाल्ट चट्टानद के टूटने से होता हैं।
  • ज्वालामुखी के उद्गार से (लावा – जमेगा – बेसाल्ट – टूटी – काली मिट्टी) (आग्नेय चट्टान)
  • इसकी जल धारण करने की क्षमता सर्वांधिक हैं।
  • इस मिट्टी का काला रंग लौह-आॅक्साइड के कारण होता हैं।
  • राजस्थान में काली मिट्टी का विस्तार – कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़ तक हैं।
  • हाड़ौती में पहले बांरा शामिल नहीं था।
  • राजस्थान में काली मिट्टी मालवा का पष्चिमी विस्तार हैं।
  • इस मिट्टी में कपास, सोयाबीन, मैथी (पीली), सरसांे सर्वांधिक होता हैं।
  • कपास के कारण इसे कपासी कहते हैं।
  • पानमैथी की विषिष्ट किस्म मसुरी नागौर के ताऊसर में सर्वांधिक होती हैं।
  • हाड़ौती को सोयाप्रदेष भी कहते हैं, सोयाबीन कोटा में सर्वांधिक होता हैं।
  • सोयाबीन में प्रोटीन (40%) , तेल(20%), खल (40%) तक होते हैं।
  • सोयाबीन से दूध भी बनता हैं।
  • काली मिट्टी को दक्षिण भारत में रेगुर कहते हैं, भारत से बाहर चर्नोजम कहते हैं।

काली-लाल मिट्टी:-
  • यह मिट्टी लाल व काली के मध्य वाले क्षेत्र में पाई जाती हैं।
  • भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, राजसमन्द, बूंदी, चम्बल नदी के पष्चिम में पाई जाती हैं।
  • इसमें कपास, गन्ना, चावल सर्वांधिक होता हैं।
  • सर्वांधिक गन्ना बूंदी में होता हैं।
जलोढ़ मिट्टी (कच्छारी, कांप, दोमट):-
  • इस मिट्टी का निर्माण नदियों के द्वारा होता हैं।
  • विष्व की सर्वांधिक उपजाऊ मिट्टी हैं।
  • राजस्थान में यह मिट्टी अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवांईमाधोपुर, जयपुर, दौसा (उत्तरी-पूर्वी मैदानी भाग) में पायी जाती हैं।
बनास बेसिन:-
  • इस मिट्टी में सभी प्रकार की फसले होती हैं।
  • यह मिट्टी सर्वांधिक खाद्यान्न उत्पादन करने वाली मिट्टी हैं।
  • इस मिट्टी के चार रूप:- खादर, बांगर, भामर, तराई हैं।
  • भामर व तराई राजस्थान में नहीं पाये जाते हैं।
  • खादर नवीन जलोढ़ मिट्टी हैं, जबकि बांगर पुरानी जलोढ़ मिट्टी हैं।
  • जलोढ़ मिट्टी का नदी में बाढ़ आने पर नवीनीकरण होता हे।
भूरी मिट्टी:-
यह मिट्टी दोप्रकार की होतीहैं:-
1. भूरी धूसर/धूसररेगिस्तानी 2. भूरी दोमटमिट्टी
  • अरावली के पष्चिम में भूरी रेगिस्तानी रेतीली मिट्टी (लूनी बेसिन) में पायी जाती हैं।
  • अरावली के पूर्व में भूरी दोमट मिट्टी (बनास बेसिन), भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक तथा जयपुर के दक्षिण में पायी जाती हैं।
  • इस मिट्टी में कुछ मात्रा में जैविक अंष पाया जाता हैं, क्योंकि बनास बेसिन की नदियों के द्वारा पहाड़ी मिट्टी बहाकर मैदान में बिछा दी जाती हैं।
  • इस मिट्टी में ज्वार, दाले सर्वांधिक होती हैं।
भूरी रेतीली मिट्टी:-
  • इसमें फास्फोरस की मात्रा अधिक होती हैं।
  • इसे भूरी धूसर मिट्टी या धूसर रेगिस्तानी मिट्टी कहते हैं।
  • इसका विस्तार अरावली के पष्चिम में जालौर, बाड़मेर (सिवाना,
  • समदड़ी, पंचमद्रा) पाली, डेगाना, परबतसर (नागौर), सीकर जिलों में लूनी नदी बेसिन में पाई जाती हैं।
  • इस मिट्टी में अरण्डी, तिल (सर्वांधिक), सरसों, जीरा आदि की खेती होती हैं।इस मिट्टी में नाइट्रोजन, फाॅस्फोरस, पौटेषियम की कमी पाई जाती हैं।
नोट:-
राजस्थान के उत्तर-पष्चिम में आंतरिक अपवाह तंत्र वाले भागों में नदियों के आसपास भूरी-रेतीली कच्छारी मिट्टी पाई जाती है।
जीरा सर्वांधिक जालौर एवं नागौर में पाया जाता हैं।
अरण्डी, तिल (काली व सफेद दोनों) सर्वांधिक पाली में पाई जाती हैं।
वर्ष के अधिकांष महीनों का तापमान 180 C रहता हैं।

Advertisements


Advertisements


Comments Tarun dewasi on 24-09-2024

Rajasthan मिट्टी

Pardeep on 05-12-2022

जिफ्सी फेरस मिट्टी कहा पाई जाती है

Krishan patel on 20-08-2020

राजस्थान में 9 प्रकार की मिट्टी पाई जाती है

Advertisements

Narendra on 07-09-2018

केन्द्रीय कृषि विभाग अनुसार राजस्थान की मिट्टी को कितना भाग में विभाजित किया गया


Advertisements

आप यहाँ पर gk, question answers, general knowledge, सामान्य ज्ञान, questions in hindi, notes in hindi, pdf in hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं।
नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity


इस टॉपिक पर कोई भी जवाब प्राप्त नहीं हुए हैं क्योंकि यह हाल ही में जोड़ा गया है। आप इस पर कमेन्ट कर चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं।

Labels: , , , , ,
hello
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।

अपना जवाब या सवाल नीचे दिये गए बॉक्स में लिखें।