rate = दर(noun) (Dar)
दर ^1 संज्ञा पुं॰
1. शंख ।
2. गड्ढा । दरार ।
3. गुफा । कंदरा ।
4. फाड़ने की क्रिया । विदारण । जैसे, पुरंदर ।
5. डर । भय । खौफ । उ॰— (क) भववारिधि मंदर, परमं दर । बारय, तारय संसृति दुस्तर । —तुलसी (शब्द॰) । (ख) दर जु कहत कवि शख कौ दर ईषत को नाम । दर डरते राखों कुँवर मोहन गिरधर श्याम । —नंददास (शब्द॰) । (ग) साघ्वस दर आतंक भय भीत भीर भी त्रास । डरत सहचरी सकुच तें गई कुँवरि के पास । — नंददास (शब्द॰) । दर ^2 संज्ञा पुं॰ [सं॰दल] सेना । समूह । दल । उ॰— (क) पलटा जनु वर्षा ऋतुराजा । जनु आसाढ़ आवै दर साजा । — जायसी (शब्द॰) । (ख) दूतन कहा आय जहाँ राजा । चढ़ा तुर्क आवै दर साजा । — जायसी (शब्द॰)दर ^3 संज्ञा पुं॰ [फारसी] द्वार । दरवाजा । उ॰— माया नटिन लकुटि कर लोने कोटिक नाच नचावै । दर दर लोभ लागि लै ड़ोलति नाना स्वाँग कराबै । —सूर (शब्द॰) । मुहावरा— दर दर मारा मारा फिरना = कार्यसिद्धि या पेट पालने के लिये एक घर से दूसरे घर फिरना । दुर्दशाग्रस्त होकर घुमना । दर ^4 संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्थल, हिं॰ थल, थर अथवा फा॰ दर]
1. जगह । स्थान ।
2. वह स्थान जहाँ जुलाई ताने की डंडियाँ गाड़ते हैं । दर ^5 संज्ञा स्त्रीलिंग
1. भाव । विर्ख । जैसे,— कामज की दर आजकल े बहुत बढ़ गई है ।
2. प्रमाण । ठीक ठिकाना । जैसे,—उसकी बात की कोई दर नहीं ।
3. कदर । प्रातिष्ठा । महत्व । महिमा । उ॰— सिर केतु सुहावन फरहरैं जोहि लखि पर दल थरहरै । सुरराज केतु की दप हरै जादव जोधा डर हरै । —गोपाल (शब्द॰) । दर ^6 वि॰ किंचित् । थोड़ा । जरा सा । दर † ^7 संज्ञा स्त्रीलिंग [सं॰ दारु (= लकड़ी)] ईख । इक्षु । ऊख । उ॰— कारन ते कारज है नीका । जथा कंद ते दर रस फीका । — विश्राम (शब्द॰) ।
दर ^1 संज्ञा पुं॰
1. शंख ।
2. गड्ढा । दरार ।
3. गुफा । कंदरा ।
4. फाड़ने की क्रिया । विदारण । जैसे, पुरंदर ।
5. डर । भय । खौफ । उ॰— (क) भववारिधि मंदर, परमं दर । बारय, तारय संसृति दुस्तर । —तुलसी (शब्द॰) । (ख) दर जु कहत कवि शख कौ दर ईषत को नाम । दर डरते राखों कुँवर मोहन गिरधर श्याम । —नंददास (शब्द॰) । (ग) साघ्वस दर आतंक भय भीत भीर भी त्रास । डरत सहचरी सकुच तें गई कुँवरि के पास । — नंददास (शब्द॰) । दर ^2 संज्ञा पुं॰ [सं॰दल] सेना । समूह ।
दर meaning in english