Jainism
= जैनधर्म() (Jaindharm)
आबादी-1 करोड़ के ऊपर मुख्य व्यक्तिव्यक्तित्व शासन नायक देवादिदेव - भगवान श्री महावीर स्वामी जीजैन धर्म भारत का एक प्राचीन धर्म है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। 'जैन' कहते हैं उन्हें, जो 'जिन' के अनुयायी हों। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त पुरुष को जिनेश्वर या 'जिन' कहा जाता है'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान् का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है। सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है। जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही भोगता नही वो तो जो है सो है। जैन धर्म मे ईश्वरसृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर भगवान श्री ऋषभदेव द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की अत्यंत प्राचीनता करने वाले अनेक उल्लेख अजैन साहित्य और खासकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं। *श्री ऋषभदेव भगवान ने तीन वर्ण बनाये 6 आवश्यक बताये उनके पुत्र चक्रवर्ती सम्राट श्री भरत स्वामी ने ब्रह्म वर्ण का निर्माण किया चारो वेद श्री भरत भगवान ने बनाये इसीलिये श्री आदिनाथ के पुत्र श्री भरत के नाम से इस देश का नाम भारत पड़ा*CC BY-SA 3.0जैन धर्म में श्रावक और मुनि दोनों के लिए पाँच व्रत बताए गए है। तीर्थंकर आदि महापुरुष जिनका पालन करते है, वह महाव्रत कहलाते है -मुनि इन व्रतों का सूक्ष्म रूप से पालन करते है, वही श्रावक स्थूल रूप से करते है। जैन ईश्वर को मानते हैं जो सर्व शक्तिशाली त्रिलोक का ज्ञाता द्रष्टा है पर त्रिलोक का कर्ता नही | जैन धर्म में जिन या अरिहन्त और सिद्ध को ईश्वर मानते हैं। अरिहंतो और केवलज्ञानी की आयुष्य पूर्ण होने पर जब वे जन्ममरण से मुक्त होकर निर्वाण को प्राप्त करते है तब उन्हें सिद्ध कहा जाता है। उन्हीं की आराधना करते हैं और उन्हीं के निमित्त मंदिर आदि बनवाते हैं। जैन ग्रन्थों के अनुसार अर्हत् देव ने संसार को द्रव्यार्थिक नय की अपेक्षा से अनादि बताया है। जगत् का न तो कोई कर्ता है और न जीवों को कोई सुख दुःख देने
जैनधर्म meaning in english
गोड़वाड़ , सिरोही , आबू , मेवाड़ व गुजरात में जैनधर्म के एक तीर्थकर के जीवन्त स्वामी स्वरूप की परिचायक मूर्तियाँ सर्वाधिक संख्या में निर्मित हुई है . यह जीवन्त स्वामी है तीर्थकर -
जैन परंपरा के अनुसार जैनधर्म में कुल कितने तीर्थकर हुए ?
Jainism
meaning in Gujarati: જૈન ધર્મ
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meaning in Marathi: जैन धर्म
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meaning in Bengali: জৈন ধর্ম
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meaning in Telugu: జైనమతం
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meaning in Tamil: சமணம்
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