Vallabhacharya
= वल्लभाचार्य() (Vallabhachary)
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वल्लभाचार्य संज्ञा पुं॰ [सं॰] वैष्णव मत के एक प्रसिद्ध आचार्य । विशेष दे॰ 'वल्लभ'—६ । उ॰—चैतन्य महाप्रभु एवं वल्लभा- चार्य द्वारा कृष्णभक्ति को प्रश्रय मिला । —अकबरी॰, पृ॰ ५ ।
भक्तिकालीन सगुणधारा की कृष्णभक्ति शाखा के आधारस्तंभ एवं पुष्टिमार्गके प्रणेता श्रीवल्लभाचार्यजी (1479-1531) का प्रादुर्भाव विक्रम संवत् 1535, वैशाख कृष्ण एकादशी को दक्षिण भारत के कांकरवाड ग्रामवासी तैलंग ब्राह्मण श्रीलक्ष्मणभट्टजी की पत्नी इलम्मागारू के गर्भ से हुआ। यह स्थान वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर के निकट चम्पारण्य है। उन्हें वैश्वानरावतार (अग्नि का अवतार) कहा गया है। वे वेदशास्त्र में पारंगत थे। हिन्दू दर्शन
पर एक श्रेणी का एक भागसांख्य · योग · न्याय · वैशेषिक · पूर्व मीमांसा · वेदांत (अद्वैत · विशिष्ट अद्वैत · द्वैत · अचिंत्य भेद अभेद)प्राचीनगौतम · जैमिनी · कनाद · कपिल · मार्कण्डेय · पतंजलि · वाल्मीकि · व्यासमध्य कालआदि शंकर · चैतन्य महाप्रभु · कबीर · मधुसूदन · माधव · नामदेव · निम्बार्क · रामानुज · तुकाराम · तुलसीदास · वल्लभआधुनिककुमारस्वामी · गाँधी · नारायण गुरु · प्रभुपाद · रामकृष्ण परमहंस · रमण महाऋषि · राधाकृष्णन · स्वामिनारायण · श्री औरोबिन्दो · शिवानन्द · विवेकानन्दहिन्दू धर्मपर एक श्रेणी का भागमहाप्रभु वल्लभाचार्य के सम्मान में भारत सरकार ने सन 1977 में एक रुपये मूल्य का एक डाक टिकट जारी किया था। श्रीरूद्रसंप्रदाय के श्रीविल्वमंगलाचार्यजी द्वारा इन्हें अष्टादशाक्षर गोपालमन्त्र की दीक्षा दी गई। त्रिदंड संन्यास की दीक्षा स्वामी नारायणेन्द्रतीर्थ से प्राप्त हुई। विवाह पंडित श्रीदेवभट्टजी की कन्या- महालक्ष्मी से हुआ और यथासमय दो पुत्र हुए- श्री गोपीनाथ व श्रीविट्ठलनाथ। भगवत्प्रेरणावश वे व्रज में गोकुल पहुंचे और तदनन्तर व्रजक्षेत्र स्थित गोवर्द्धन पर्वत पर अपनी गद्दी स्थापित कर शिष्य पूरनमल खत्री के सहयोग से उन्होंने संवत् 1576 में श्रीनाथ जी के भव्य मंदिर का निर्माण कराया। वहां विशिष्ट सेवा-पद्धति के साथ लीला-गान के अंतर्गत श्रीराधाकृष्ण की मधुरातिमधुर लीलाओं से संबंधित रसमय पदों की स्वर-लहरी का अवगाहन कर भक्तजन निहाल हो जाते। श्रीवल्लभाचार्यजी के मतानुसार तीन स्वीकार्य तत्त्व हैं- ब्रह्म, जगत् और जीव। ब्रह्म के तीन स्वरू
वल्लभाचार्य meaning in english