shoe = जूता() (Joota)
जूता संज्ञा पुं॰ [सं॰ युक्त, प्रा॰ जुत्त] चमडे़ आदि का बना हुआ थैली के आकार का वह ढाँचा जिसे दोनो पैरों में लोग काँटे आदि से बचने के लिये पहनते है । जोड़ा । पनही । पादत्राण । उपारह । विशेष—जूता दो या दो से अधिक चमडे़ के टुकड़ों को एक में सीकर बनाया जाता है । वह भाग जो तलवे के नीचे रहता है तला कहलाता है । ऊपर के भाग को उपल्ला कहते हैं । तले का पिछला भाग एंडी या एँड़ और अगला भाग नोक यो ठोकर कहलाता हैं । उपल्ले के वे अंश जो पैर के दोनो ओर खडे़ उठे रहते हैं, दीवार कहलाते हैं । वह चमडे़ की पट्टी जो एँड़ी के ऊपर दोनों दिवारों के जोड़ पर लगी रहती है, लंगोट कहलाती है । देशी जूते कई प्रकार के होते हैं । जैसे,— पंजाबी, दिल्लीवाल, सलीमशाही, गुरगावी, घेतला, चट्टी इत्यादि । अंग्रेजी जूतों के भी कई भेद होते हैं । जैसे, बूट, स्लिपर, पंप इत्यादि । महाभारत के अनुशासन पर्व में छाते और जूते के आविष्कार के संबंध में उपाख्यान है । युधिष्ठिर ने भीम से पुछा कि श्राद्ध आदि कर्मों में छाता और जूता दान करने का जो विधान है उसे किसने निकाला । भीष्म जी ने कहा कि एक बार जमदग्नि ऋषि क्रिड़ावश धनुष पर बाण चढ़ा चढ़ाकर छोड़ते थे और उनकी पत्नी रेणुका फेके हुए बाणों को ला लाकर उन्हें देती थी । धीरे धीरे दोपहर हो गई और कड़ी धुप पड़ने लगी । ऋषि उसी प्रकार बाण छोड़ते गए । पतिब्रता रेणुका जब बाण लाने गई तब धूप से उसका सिर चकराने लगा और पैर जलने लगे । वह शिथिल होकर कुछ देर तक एक वृक्ष की छाया के नीचे बैठ गई । इसके उपरांत वह बाणों को एकत्र करके ऋषि के पास लाई । ऋषि कुद्ध होकर देर होने का कारण बार बार पूछने लगे । रेणुका ने बस ब्यवस्था ठीक ठीक कह सुनाई । तब तो जन्मदग्नि जी सूर्य पर अत्यंत कुद्ध हुए और धनुष पर बाण चढाकर सूर्य को मार गिराने पर तैयार हुए । इसपर सूर्य ब्राम्हण के वश में ऋषि के पास आए और कहने लगे सूर्य ने आपका क्या बिगाड़ा है जो आप उन्हें मार गिराने को प्रस्तुत हुए हैं । सूर्य से लोक का कितना उपकार होता है ? जब इसपर भी ऋषि का क्रोध शांत न हुआ तो ब्राम्हण वेशधारी सूर्य ने कहा कि सूर्य तो सदा वेग के साथ चलते रहते हैं । आप का लक्ष्य ठीक कैसे बैठेगा ? ऋषि ने कहा जब मध्यान्ह में कुछ क्षण विश्राम के लिये वे ठहर जाते हैं तब मैं मारूँगा । इसपर सूर्य ऋषि की शरण में आए । तब ऋषि
जूता meaning in english