Comet
= धूमकेतु() (Dhoomketu)
धूमकेतु संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. अग्नि (जिसकी पताका धुआँ है) ।
२. केतुग्रह (जिसका चिह्न है धुएँ या भाप के आकार की पुँछ) । पुच्छल तारा । विशेष—दे॰ 'केतु' ।
३. शिव । महादेव ।
४. वह घोड़ा जिसकी पूँछ में भँवरी हो । विशेष—ऐसा बोड़ा बहुत अमंगल समझा जात है ।
५. रावण की सेना का एक राक्षस । उ॰—कुमुख, अकंपन, कुलि- सरद, धूमकेतु अतिकाय । —तुलसी (शब्द॰) ।
धूमकेतु सौरमण्डलीय निकाय है जो पत्थर, धूल, बर्फ और गैस के बने हुए छोटे-छोटे खण्ड होते है। यह ग्रहो के समान सूर्य की परिक्रमा करते है। छोटे पथ वाले धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा एक अण्डाकार पथ में लगभग ६ से २०० वर्ष में पूरी करते है। कुछ धूमकेतु का पथ वलयाकार होता है और वो मात्र एक बार ही दिखाई देते है। लम्बे पथ वाले धूमकेतु एक परिक्रमा करने में हजारों वर्ष लगाते है। अधिकतर धूमकेतु बर्फ, कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन, अमोनिया तथा अन्य पदार्थ जैसे सिलिकेट और कार्बनिक मिश्रण के बने होते है। धूमकेतु के तीन मुख्य भाग होते है -नाभि धूमकेतु का केन्द्र होता है जो पत्थर और बर्फ का बना होता है। नाभि के चारों ओर गैस और घुल के बादल को कोमा कहते है। नाभि तथा कोमा से निकलने वाली गैस और धूल एक पूंछ का आकार ले लेती है। जब धूमकेतु सूर्य के नजदीक आता है, सौर-विकिरण के प्रभाव से नाभि की गैसों का वाष्पीकरण हो जाता है। इससे कोमा का आकार बढ़कर करोड़ों मील तक हो जाता है। कोमा से निकलने वाली गैस और घूल अरवों मील लम्बी पूछ का आकार ग्रहण कर लेती है। सौर-हवा के कारण यह पूछ सूर्य से उल्टी दिशा में होती है। जैसे-जैसे धूमकेतु सूर्य के नजदीक आता है, पूंछ का आकार बढ़ता जाता है। धूमकेतु के भौतिक गुण नीचे सारणी में दिया गया है -धूमकेतु को उसकी भ्रमण कक्षा के आधार पर वर्गीकृत किया गया है | छोटी भ्रमणकक्षा वाले धूमकेतुओं की कक्षा २०० वर्ष से छोटी होती है जबकि लम्बी भ्रमणकक्षा वाले धूमकेतुओं की कक्षा बहुत लम्बी होने के बावजूद सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के अन्दर होती है | एकल भ्रमण धुमकेतूओं की कक्षा परवलयाकार या अतिवालायाकार होने से ऐसे धूमकेतु एक बार सूर्य का चक्कर लगाकर हमेशा के लिए सौरमंडल के बाहर चले जाते है | छोटी कक्षा वाले एंके धूमकेतु की कक्षा सूर्य और गुरु के बीच स्थित है | ऐसा माना जाता है कि छोटी कक्षा वाले धुमकेतूओं की उत्पत्ति क्य
धूमकेतु meaning in english