Quarrel
= भांड() (Bhand)
भांड संज्ञा पुं॰ [सं॰ भाण्ड]
१. पात्र । बर्तन ।
२. पेटी । बक्स ।
३. मूलधन ।
४. आभूषण ।
५. अश्व का आभूषण । घोड़े का एक साज ।
६. एक वाद्य ।
७. दूकान का सामान । दूकान की समग्र वस्तुएँ ।
८. नदी का मध्यभाग । नदी का पेटा ।
९. भाँड़पन । भँड़ैती । भाँड का काम ।
१०. औजार । यत्र ।
११. सामान या माल रखने का पात्र ।
१२. गर्दभांड नाम का वृक्ष [को॰] । यौ॰—भांडगोपक = बरतनों का रखरखाव करनेवाला व्यक्ति (बौद्ध) । भांडपति = ब्यापारी । भांडपुट = नापित । नाऊ । भांडपुष्प = एक प्रकार का साँप भांडप्रतिभांडक = वस्तु परिवर्तन । विनिमय । भांडभरक = पात्र में रखी हुई वस्तुएँ । भांडमूल्य= पूँजी जो वस्तु या सामान के रूप में हो । भांडशाला= भंडार । भांडागार ।
भांड (उर्दू: بهانڈ, पंजाबी: ਭਾਂਡ, अंग्रेज़ी: Bhand) उत्तर भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बंगलादेश के पारम्परिक समाजों में लोक-मनोरंजन करने वाले लोगों को कहा जाता है जो समय के साथ एक भिन्न जाति बन चुकी है। भांडों द्वारा किये प्रदर्शन को कभी-कभी स्वांग कहा जाता है। आधुनिक काल में भांड लगभग सभी मुस्लिम हैं। भांडों में नाचने-गाने वाले, नाटक रचाने वाले, मसख़रे (मज़ाक बनाने वाले), कहानीकार और नक़्क़ाल (नक़ल करने वाले) सभी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में भांड गाँव-गाँव जाकर लोक-मनोरंजन के लिए प्रदर्शन किया करते थे लेकिन बहुत से भांड अवध जैसे राजदरबारों से भी शाही परिवारों के मनोरंजन के लिए जुड़े हुए थे। आजकल पारम्परिक लोक-कलाओं के पतन के साथ बहुत से भांड समुदाय के लोग अन्य व्यापारों में लग गए हैं या फिर मज़दूरी करते हैं। उस्ताद-जमूरा भी भांडों का एक पसंदीदा नाटक-रूप था लेकिन अब यह कम देखा जाता है। कश्मीर के ग्रामीन क्षेत्रों में में भांडों द्वारा रचाई 'पाथेर' (यानि कहानियाँ) पारम्परिक रूप से पसंद की जाती है। गाने-बजाने के साथ प्रदर्शित इन कहानियों में आदमी ही औरतों के पात्र भी निभाते हैं। अक्सर भांड पाथेर में कश्मीर के रेशियों (यह कश्मीर में सूफ़ी पथ के मध्यकालीन ऋषियों को कहा जाता है) पर आधारित इन कहानियों में व्यंग्य और तंज़ भी मिश्रित होता है। पंजाब में नक़ल उतारने वाले भांड लोकप्रीय रहें हैं, जिन्हें अक्सर 'नक़लची' बुलाया जाता है। यह किसी जाने-माने व्यक्ति की नक़ल कर के और तंज़ क
भांड meaning in english