Pollen
= पराग() (Parag)
पराग ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह रज या धूलि जो फूलों के बीच लंबे केसरों पर जमा रहती है । पुष्परज । विशेष—इसी पराग के फूलों के बीच के गर्भकोशों में पड़ने से गर्भाधान होता और बीज पड़ते हैं ।
२. धूलि । रज ।
३. एक प्रकार का सुगंधित चूर्ण जिसे लगाकर स्नान किया जाता है ।
४. चंदन ।
५. उपराग । ग्रहण ।
६. कपूंररज । कपूर की धूल या चूर्ण ।
७. विख्याति ।
८. एक पर्वत ।
९. स्वच्छंद गति वा गमन । पराग † ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ प्रयाग] दे॰ 'प्रयाग' । उ॰—गया गोमती काशि परागा । होइ पुष्य जन्म शुद्धि अनुरागा । —कबीर सा॰, पृ॰ ४०२ ।
पराग ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह रज या धूलि जो फूलों के बीच लंबे केसरों पर जमा रहती है । पुष्परज । विशेष—इसी पराग के फूलों के बीच के गर्भकोशों में पड़ने से गर्भाधान होता और बीज पड़ते हैं ।
२. धूलि । रज ।
३. एक प्रकार का सुगंधित चूर्ण जिसे लगाकर स्नान किया जाता है ।
४. चंदन ।
५. उपराग । ग्रहण ।
६. कपूंररज । कपूर की धूल या चूर्ण ।
७. विख्याति ।
८. एक पर्वत ।
९. स्वच्छंद गति वा गमन ।
पराग पौधे द्वारा संश्लेषित शर्करा युक्त तरल पदार्थ है। सामान्यतः इसका निर्माण फूल में होता है। ये हमिंगबर्ड, तितलियों तथा कई कीट पतंगो के खाद्य पदार्थ है। आर्थिक रूप से भी यह महत्वपूर्ण हैं क्योंकि मधुमक्खियां इसी से मधु का निर्माण करती हैं। फूल के अलावा यह पौधे के अन्य भागों जैसे पत्तियों तथा फ्लोएम ऊतकों में भी निर्मित होते हैं। कुछ कीट भक्षी परजीवी पौधे इसका उपयोग कीट पतंगो को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए करते हैं। पराग का उपयोग परागण में होता है। पौधे द्वारा परागण की व्यवस्था इस बात पर निर्भर करती है कि किस तरह से परागण को इस्तेमाल किया जाता है। अधिकांश फूल अपने परागण के तरीके को लेकर मोटे तौर पर दो समूहों में विभाजित किए जा सकते हैं। कीटपरागित फूल: फूल कीटों, चमगादडों, पक्षियों और जानवरों को आकर्षित करते हैं और एक फूल से दूसरे को पराग स्थानांतरित करने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। उनका रूपाकार विशिष्ट होता है और पुंकेसर की ऐसी व्यवस्था होती है कि पराग के दाने अपने आप पक्षियों या कीटपतंगों के साथ चिपककर स्थानान्तरित हो जायें और जब वह दूसरे पौधों पर बैठे तब वहाँ स्थानांतिरित हो जाएँ। कई फूलों की एक
पराग meaning in english