puzzle = पहेली() (Paheli)
पहेली संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ प्रहेलिका]
१. ऐसा वाक्य जिसमें किसी वस्तु का लक्षण घुमा फिराकर अथवा किसी भ्रामक रूप में दिया गया हो और उसी लक्षण के सहारे उसे बूझने अथवा उसका नाम बताने का प्रस्ताव हो । किसी वस्तु या विषय का ऐसा वर्णन जो दूसरी वस्तु या विषय का व्रणन जान पडे़. और बहुत सोच विचार से उसपर घटाया जा सके । बुझौवल । क्रि॰ प्र॰—बुझाना । —बूझना । विशेष— पहेलियों की रचना में प्रायः ऐसा करते हैं कि जिस विषय की पहेली बनानी होती है उसके रूप, गुण, कार्य, आदि को किसी अन्य वस्तु के रूप, गुण, कार्य बनाकर वर्णन करते हैं जिससे सुननेनाले को थोड़ी देर तक वही वस्तु पहेली का विषय मालूम होती है । पर समस्त लक्षण और और जगह घटाने से वह अवश्य समझ सकता है कि इसका लक्ष्य कुछ दूसरा ही है । जैसे, पेड़ में लगे हुए भुट्टे की पहेली है— 'हरी थी मन भरी थी । राजा जी के बाग में दुशाला ओढे़ खड़ी थी । ' श्रावण मास में यह किसी स्त्री का वर्णन जान पड़ता है । कभी कभी ऐसा भी करते हैं कि कुछ प्रसिद्ध वस्तुओं की प्रसिद्ध विशेष- ताएँ पहेली के विषय की पहचान के लिये देते हैं और साथ ही यह भी बता देते हैं कि वह इन वस्तुओं में से कोई नहीं है । जैसे, धागे से संयुक्त सुई की पहेली— 'एक नयन बाय स नहीं, बील चाहत नहिं नाग । घटै घढै नहिं चंद्रमा, चढी रहत सिर पाग' । कुछ पहेलियों में उनके विषय का नाम भी रख देते हैं, जैसे,— 'देखी एक अनोखी नारी । गुण उसमें एक सबसे भारी । पढ़ी नहीं यह अचरज आवै । मरना जीना तुरत बतावै । ' इस पहेली का उत्तर नाड़ी है जो पहेली के नारी शब्द के रूप में वर्तमान है । जिन शब्दों द्वारा पहेली बनानेवाला उसका उत्तर देता है वे द्वयर्थक होते हैं जिसमें दोनों ओर लगकर बूझने की चेष्टा करनेवालों को बहका सकें । अलंकार शास्त्र के आचार्यों ने इस प्रकार की रचना को एक अलंकार माना है । इसका विवरण 'प्रहेलिका' शब्द में मिलेगा । बुद्धि के अनेक व्यायामों में पहेली बूझना भी एक अच्छा व्यायाम है । बालकों को पहेलियों का बडा़ चाव होता है । इससे मनोरंजन के साथ उनकी बुद्धि की सामर्थ्य भी बढती जाती है । युवक, प्रौढ और वृद्ध भी अकसर पहेलियाँ बूझ बुझाकर अपना मनोरंजन करते हैं ।
२. कोई बात जिसका अर्थ न खुलता हो । कोई घटना या कार्य जिसका कारण, उद्देश्य आदि समझ में न आते हों । घुमाव फिराव की बात । ग
पहेली meaning in english
Philka matalab kya hota hai