alcohol = शराब(noun) (Sharab)
शराब संज्ञा स्त्रीलिंग [अ॰]
1. मदिरा । सुरा । वारुणी । मद्य । दारू । विशेष दे॰ 'मदिरा' । क्रि॰ प्र॰—खींचना । —ढालना । —पिलाना । —पीना । मुहावरा—शराब का दौर चलना=मदिरा पीने का क्रम चालू रहना । शराब पीते जाना ।
2. हकीमों की परिभाषा में, शरबत । जैसे—शराब बनफशा । शराब ख्वारी संज्ञा स्त्रीलिंग [अ॰ शराब + फ़ा॰ ख्वारी] शराब पीने की लत [को॰] ।
शराब संज्ञा स्त्रीलिंग [अ॰]
1. मदिरा । सुरा । वारुणी । मद्य । दारू । विशेष दे॰ 'मदिरा' । क्रि॰ प्र॰—खींचना । —ढालना । —पिलाना । —पीना । मुहावरा—शराब का दौर चलना=मदिरा पीने का क्रम चालू रहना । शराब पीते जाना ।
2. हकीमों की परिभाषा में, शरबत । जैसे—शराब बनफशा ।
मदिरा, सुरा या शराब अल्कोहलीय पेय पदार्थ है। रम, विस्की, चूलईया, महुआ, ब्रांडी, जीन, बीयर, हंड़िया, आदि सभी एक है क्योंकि सबमें अल्कोहल होता है। हाँ, इनमें एलकोहल की मात्रा और नशा लाने कि अपेक्षित क्षमता अलग-अलग जरूर होती है परन्तु सभी को हम 'शराब' ही कहते है। कभी-कभी लोग हड़िया या बीयर को शराब से अलग समझते हैं जो कि बिलकुल गलत है। दोनों में एल्कोहल तो होता ही है। शराब अक्सर हमारे समाज में आनन्द के लिए पी जाती है। ज्यादातर शुरूआत दोस्तों के प्रभाव या दबाव के कारण होता है और बाद में भी कई अन्य कारणों से लोग इसका सेवन जारी रखते है। जैसे- बोरियत मिटाने के लिए, खुशी मनाने के लिए, अवसाद में, चिन्ता में, तीव्र क्रोध या आवेग आने पर, आत्माविश्वास लाने के लिए या मूड बनाने के लिए आदि। इसके अतिरिक्त शराब के सेवन को कई समाज में धार्मिक व अन्य सामाजिक अनुष्ठानों से भी जोड़ा जाता है। परन्तु कोई भी समाज या धर्म इसके दुरूपयोग की स्वीकृति नहीं देता है। शराब के लगातार सेवन से कुछ विशेष लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जिसके आधार पर भी इसके आदी होने को पहचाना जा सकता है। जैसे-जब लोग शराब का सेवन जारी रखते है तो धीरे-धीरे ऐसी आदत बन जाती है कि उसे छोड़ पाना मुश्किल हो जाता है। वह व्यक्ति के जीवन का अभिन्न अंग बन जाता है। छोड़ने की कोशिश करने पर नाना प्रकार के शारीरिक व मानसिक परेशानियाँ होती है और व्यक्ति इसका लगातार सेवन करने के लिए बाध्य हो जाता है। जब व्यक्ति लगातार शराब पीने लगता है तब समस्याओं की निरंतर बढ़ती हुई स्थितियाँ आती है तथा शारीरिक समस्याएँ विशेष रूप
शराब meaning in english