Scindia = सिंधिया() (Sindhiya)
Category: surname
सिंधिया भारत में एक शाही मराठा वंश है। इस वंश मे ग्वालियर राज्य के 18वीं और 19वीं शताब्दी में शासक शामिल है। सिंधिया राजवंश राणोजी सिंधिया, जो महाराष्ट के सतारा जिले में कान्हेरखेड गांव के पाटिल जानकोजीराव के पुत्र थे, द्वारा स्थापित किया गया था। पेशवा बाजी राव के अंतिम वर्षों में मराठा महासंघ मजबूत शक्ती के रूप में उभरा। राणोजी 1726 में मराठा विजय अभियान के कार्यभारी थे। राणोजी ने 1731 में उज्जैन में अपनी राजधानी स्थापित की। उनके उत्तराधिकारि जयाजीराव, ज्योतिबाराव, दत्तजीराव, जानकोजीराव, हादजी और और दौलतराव सिंधिया थे। ग्वालियर का सिंधिया राज्य में 18वीं सदी के उत्तरार्ध में एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति बन कर उभरा और तीन एंग्लो - मराठा युद्ध में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होने राजपूत राज्यों पर अपना बोलबाला रखा और अजमेर के राज्य पर विजय प्राप्त की।
1818 के तीसरे एंग्लो - मराठा युद्ध में अंग्रेजों के हाथों मराठा राज्यों की हार के बाद, दौलतराव सिंधिया ब्रिटिश भारत के भीतर एक रियासत के रूप में स्थानीय स्वायत्तता स्वीकार करने और अजमेर को अंग्रेज़ो को देने के लिए मजबूर हो गये। दौलतराव की मृत्यु के बाद, महारानी बैज़ा बाई ने साम्राज्य चलाया और ब्रिटिश सत्ता से बची रही, उसके बाद उनके गोद लिए हुए जानकोजी राव ने सत्ता संभाली। जानकोजी की मृत्यु 1843 में हुई और उनकी विधवा ताराबाई राजे सिंधिया ने सफलतापूर्वक स्थिति को यथावत बनाए रखा और जयाजीराव नामक बालक को गोद लिया।
सिंधिया परिवार ने 1947 तक भारत की स्वतंत्रता तक ग्वालियर पर शासन किया। तब महाराजा जीवाजिराव सिंधिया ने भारत मे विलय के लिये स्वीकृति दे दी। ग्वालियर अन्य रियासतों के साथ विलय के साथ मध्य भारत का नया राज्य बन गया। जॉर्ज जीवाजिराव ने राज्यप्रमुख के रूप में 28 मई 1948 से 31 अक्टूबर 1956 तक कार्य किया, तब मध्य भारत का मध्य प्रदेश में विलय कर दिया गया।
1962 में महाराजा जीवाजिराव की विधवा, राजमाता विजयाराजे सिंधिया लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं और इस प्रकार सिंधिया परिवार की चुनावी राजनीति में जीवन - यात्रा प्रारंभ हुई। वे शुरू मे कांग्रेस पार्टी की सदस्य थी, परन्तु बाद में भारतीय जनता पार्टी की एक प्रभावशाली सदस्य बन कर उभरीं। उनके पुत्र माधवराव सिंधिया 1971 में कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करत
सिंधिया meaning in english