Pea = खेसारी() (Khesari)
खेसारी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ कृसर या खञ्जकारि] एक प्रकार की मटर जिसकी फलियाँ चिपटी होती हैं । इसकी दाल बनती है । दुबिया मटर, । चिपटैया मटर । लतरी । तेउरा । विशेष-यह अन्न वहुत सस्ता होता है और प्रायःसारे भारत में, और विशेषतः में मध्यभारत तथा सिंध में इसकी खेती होती है । यह अगहन में बोई जाती है और इसकी फसल तैयार होने में प्रायःसाढ़े तीन मास लगते हैं । लोग कहते हैं कि इसे अधिक खाने से आदमी लँगड़ा हो जाता है । वैद्यक में इसे रूखा, कफ-पित्त-नाशक , रुचिकारक , मलरोधक, शीतल, रक्तशोधक और पौष्टिक कहा गया है; और यह शूल, सूजन, दाह, बवासीर, ह्वदरोग और खंज उत्पन्न करनेवाली कही गई है । इसके पत्तों का साग भी बनता है, जो वैद्यक के अनुसार बादी , रुचिकारी और कफ-पित्त-नाशक होता है ।
लतरी या खेसारी (वानस्पतिक नाम: Lathyrus sativus) एक वनस्पति है जिससे दाल प्राप्त होती है। इसकी दाल सब दालों से ज्यादा पौष्टिक, सुरक्षित एवं कम कीमत पर मिलने वाली एकमात्र दाल है। दुनिया के अनेक राष्ट्रों में इसकी खेती एवं इसका उपयोग प्राचीनकाल से किया जाता रहा है। खेसारी दाल का वनस्पति शास्त्र का नाम लेथाइरस सेटाइवस एवं अंग्रेजी का नाम ग्रास पी, मराठी का लाख-लाखोड़ी, हिन्दी, असमी, बंगला, बिहारी नाम खेसारी-खेसाड़ा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे लतरी कहते हैं।
खेसारी meaning in english
मध्यप्रदेश में ‘खेसारी दाल’ (लैथाइरस सैटाइवस) पर प्रतिबंध है, क्योंकि इसका कुप्रभाव होता है :
खेसारी दाल की पहचान