Rohini
= रोहिणी() (Rohinni)
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रोहिणी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. गाय ।
२. तड़ित् । बिजली ।
३. कटुंभरा । कटुका । तिक्ता । कुष्टकी ।
४. करंज । कंजा ।
५. रीठा ।
६. महाश्वेता । सफेद कीवाठाठी ।
७. लोहिता । रक्तपुनर्नवा । लाल गदहपुरना ।
८. जैनों की विद्यादेवी ।
९. काशमरी । कंभारी । गभारी ।
१०. छोटी लंबी पीली हड़ जो गोल न हो । (इसे 'व्रणरोपिणी' भी कहते है) ।
११. धैवत स्वर की तीन श्रुतियों में दुसरी श्रुति ।
१२. रोहु की तरह एक मछली जिसमें काट कम होते है ।
१३. मंजिष्ठा । मजीठ ।
१४. वसुदेव की स्त्री रोहिणी जो बलराम की माता थी ।
१५. नौ वर्ष की कन्या की संज्ञा । (स्मृति) ।
१६. पाँच वर्ष की कुमारी ।
१७. सत्ताईस नक्षत्रों में से चौथा नक्षत्र जो पाँच तारों से मिलकर बना हुआ और रथ की आकृति का माना गया है । पुराण के अनुसार यह दक्ष की कन्याओं में से है और चंद्रमा की स्त्री है ।
१८. ब्राह्मी बूटी ।
१९. गले का एक रोग ।
२०. त्वचा की छठी परत ।
रोहिणी नक्षत्र को वृष राशि का मस्तक कहा गया है। इस नक्षत्र में तारों की संख्या पाँच है। भूसे वाली गाड़ी जैसी आकृति का यह नक्षत्र फरवरी के मध्य भाग में मध्याकाश में पश्चिम दिशा की तरफ रात को 6 से 9 बजे के बीच दिखाई देता है। यह कृत्तिका नक्षत्र के पूर्व में दक्षिण भाग में दिखता है। नक्षत्रों के क्रम में चौथे स्थान पर आने वाला नक्षत्र वृष राशि के 10 डिग्री-0'-1 से 23 डिग्री-20'-0 के बीच है। किसी भी वर्ष की 26 मई से 8 जून तक के 14 दिनों में इस नक्षत्र से सूर्य गुजरता है। इस प्रकार रोहिणी के प्रत्येक चरण में सूर्य लगभग साढ़े तीन दिन रहता है। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। योग- सौभाग्य, जाति- स्त्री, स्वभाव से शुभ, वर्ण- शूद्र है और उसका विंशोतरी दशा स्वामी ग्रह चंद्र है। रोहिणी नक्षत्र किसी भी स्थान के मध्यवर्ती प्रदेश को संकेत करता है। इस कारण किसी भी स्थल के मध्य भाग के प्रदेश में बनने वाली घटनाओं या कारणों के लिए रोहिणी में होने वाले ग्रहाचार को देखा जाना चाहिए। पुराण कथा के अनुसार रोहिणी चंद्र की सत्ताईस पत्नियों में सबसे सुंदर, तेजस्वी, सुंदर वस्त्र धारण करने वाली है। ज्यों-ज्यों चंद्र रोहिणी के पास जाता है, त्यों-त्यों उसका रूप अधिक खिल उठता है। चंद्र के साथ एकाकार होकर छुप भी
रोहिणी meaning in english