mustard
= सरसों() (Sarson)
सरसों संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ सर्षप; तुल॰ फ़ा॰ सर्शक] एक धान्य या पौधा जिसके गोल गोल छोटे बीजों से तेल निकलता है । एक तेलहन । विशेष—भारत के प्रायः सभी प्रांतों में इसकी खेती की जाती है । इसका डंठल दो तीन हाथ ऊँचा होता है । पत्ते हरे और कटे किनारेवाले होते हैं । ये चिकने होते और डंठी से सटे रहते हैं । फलियाँ दो तीन अंगुल लंबी और गोल होती हैं जिनमें महीन बीज के दाने भरे होते हैं । कार्तिक में गेहूँ के साथ तथा अलग भी इसे बोते हैं । माघ तक यह तैयार हो जाता है । सरसों दो प्रकार की होती है—लाल और पीली या सफेद । इसे लोग मसाले के काम में भी लाते हैं । इसका तेल, जो कडुवा तेल कहलाता है, नित्य के व्यवहार में आता है । इसके पत्तों का साग बनता है ।
सरसों क्रूसीफेरी (ब्रैसीकेसी) कुल का द्विबीजपत्री, एकवर्षीय शाक जातीय पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम ब्रेसिका कम्प्रेसटिस है। पौधे की ऊँचाई १ से ३ फुट होती है। इसके तने में शाखा-प्रशाखा होते हैं। प्रत्येक पर्व सन्धियों पर एक सामान्य पत्ती लगी रहती है। पत्तियाँ सरल, एकान्त आपाती, बीणकार होती हैं जिनके किनारे अनियमित, शीर्ष नुकीले, शिराविन्यास जालिकावत होते हैं। इसमें पीले रंग के सम्पूर्ण फूल लगते हैं जो तने और शाखाओं के ऊपरी भाग में स्थित होते हैं। फूलों में ओवरी सुपीरियर, लम्बी, चपटी और छोटी वर्तिकावाली होती है। फलियाँ पकने पर फट जाती हैं और बीज जमीन पर गिर जाते हैं। प्रत्येक फली में ८-१० बीज होते हैं। उपजाति के आधार पर बीज काले अथवा पीले रंग के होते हैं। इसकी उपज के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त है। सामान्यतः यह दिसम्बर में बोई जाती है और मार्च-अप्रैल में इसकी कटाई होती है। भारत में इसकी खेती पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात में अधिक होती है। सरसों के बीज से तेल निकाला जाता है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थ बनाने और शरीर में लगाने में किया जाता है। इसका तेल अंचार, साबुन तथा ग्लिसराल बनाने के काम आता है। तेल निकाले जाने के बाद प्राप्त खली मवेशियों को खिलाने के काम आती है। खली का उपयोग उर्वरक के रूप में भी होता है। इसका सूखा डंठल जलावन के काम में आता है। इसके हरे पत्ते से सब्जी भी बनाई जाती है। इसके बीजों का उपयोग मसाले के रूप में भी होता है। यह आयुर्वेद की दृष्टि से भी बहुत महत्त्वपू
सरसों meaning in english