stars
= तारों() (Taron)
तारे (Stars) स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय पिंड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से तारे दिखलाई देते हैं। कुछ चमकते तारों के समूह आकाश को विभिन्न भागों में बाँट देते हैं। इन तारों के समूह को तारामंडल (constellations) कहते हैं। पूरे आकाश को 88 तारामंडलों में विभक्त करके उन तारामंडलों के नाम रख दिए गए हैं। राशिचक्र के तारामंडल बहुत प्रसिद्ध हैं, इनकी संज्ञा मेष, वृष आदि है। किसी एक तारामंडल के तारों को उनके दृश्य (visual) कांतिमान (magnitude) के अवरोह क्रम में चुन लिया जाता है। फिर तारामंडल के नाम के आगे ग्रीक भाषा के अक्षर रखकर तारों का नामकरण किया जाता है, जैसे मेष राशि के सबसे चमकीले तारे का नामकरण एल्फातरीज़ किया गया है। कुछ तारामंडलों में तारों की संख्या इतनी अधिक है कि ग्रीक वर्णमाला के अक्षरों की संख्या उनके लिए कम पड़ जाती है। ऐसे तारों के नामकरण के लिए तारामंडल के पूर्व लैटिन अक्षर तथा आवश्यकता पड़ने पर संख्याएँ लिख देते हैं। कुछ तारे अतिप्रकाशित होने के कारण अतिप्रसिद्ध हैं तथा उनके नाम तारामंडलों के संदर्भ के बिना भी जाने जा सकते हें, जैसे लुब्धक (Sirius), मघा (Regulus), चित्रा (Spica) आदि। इस प्रकार के नामकरण से तारों को पहचानने में सहायता मिलती है। खाली आँखों से देखने पर कुछ तारे अधिक चमकीले तथा कुछ कम चमकीले दिखाई देते हैं। इनकी कांति (luminosity) के यूनाधिक्य के अनुसार हम तारों को कई कांतिमानों में वर्गित कर लेते हैं। तारे हमसे बहुत अधिक दूरी पर स्थित हैं। दूरी के बढ़ने से कम चमकीले तारे हम दिखाई नहीं देते। बिना यंत्र की सहायता के हमारी आँखें छठे कांतिमान तक के तारे देख सकती हैं। कांतिमानों का वर्गीकरण इस प्रकार है किजो तारे सबसे अधिक चमकीले दिखलाई पड़ते हैं, उनका कांतिमान न्यूनतम संख्या माना जाता है, उससे कम चमकीले तारों का उससे अधिक इत्यादि। कांतिमान के तारे की अपेक्षा उसे पूर्ववर्ती कांतिमान तारे की चमक अथवा 2.512 गुना अधिक होती है। इस प्रकार प्रथम कांतिमान का तारा द्वितीय कांतिमान के तारे से 2.512 गुना चमकीला तथा द्वितीय कांतिमान का तारा तृतीय कांति
तारों meaning in english