race = जाति(noun) (Jati)
Category: group of people
जाति संज्ञा स्त्रीलिंग हिंदुओं में मनुष्य समाज का वह विभाग जो पहले पहल कर्मानुसार किया गया था, पर पीछे से स्वभावत: जन्मानुसार हो गया । उ॰—कामी क्रोधी लालची इतने भक्ति न होय । भक्ति करे कोई सूरमा जाति वरन कुल खोय । —कबीर (शब्द॰) । विशेष—यह जातिविभाग आरंभ में वर्णविभाग के रूप में ही था, पर पीछे से प्रत्येक वर्ण में भी कर्मानुसार कई शाखाएँ हो गईँ, जो आगे चलकर भिन्न भिन्न जातियों के नामों से प्रसिद्ध हुईं । जैसे, ब्राह्मण, क्षत्रिय, सोनार, लोहार, कुम्हार आदि ।
2. मनुष्य समाज का वह विभाग जो निवासस्थान या वंश- परंपरा के विचार से किया गया हो । जैसे, अंग्रेजी जाति, मुगल जाति, पारसी जाति, आर्य जाति आदि ।
3. वह विभाग जो गुण, धर्म, आकृति आदि की समानता के विचार से किया जाय । कोटि । वर्ग । जैसे,—मनुष्य जाति, पशु जाति, कीट जाति । वह अच्छी जाति का घोड़ा है । यह दोनों आम एक ही जाति के हैं । उ॰—(क) सकल जाति के बँधे तुरंगम रूप अनूप विशाला । —रघुराज (शब्द॰) । विशेष—न्याय के अनुसार द्रव्यों में परस्पर भेद रहते हुए भी जिससे उनके विषय में समान बुद्धि उत्पन्न हो, उसे जाति कहते हैं । जैसे, घटत्व, मनुष्यत्व, पशुत्व आदि । 'सामान्य' भी इसी का पर्याय है ।
4. न्याय में किसी हेतु का वह अनुपयुक्त खंडन या उत्तर जो केवल साधर्म्य या बैधर्म्य के आधार पर हो । जैसे,—यदि वादी कहे कि आत्मा निष्क्रिय है, क्योंकि यह आकाश के समान विभु है और इसपर प्रतिवादी यह उत्तर दे कि विभु आकाश के समान घर्मवाला होने के कारण यदि आत्मा निष्क्रिय है, तो क्रियाहेतुगुणयुक्त लोष्ठ के समान होने के कारण क्ह क्रियावान् क्यों नहीं है, तो उसका यह उत्तर साधर्म्य के आधार पर होने के कारण अनुपयुक्त होगा और जाति के अंतर्गत आएगा । इसी प्रकार यदि वादी कहे कि शब्द अनित्य है क्योंकि वह उत्पत्ति धर्मवाला है और आकाश उत्पत्ति धर्मवाला नहीं है और इसके उत्तर में प्रतिवादी कहे कि यदि शब्द उत्पत्ति धर्मवाला और आकाश के असमान होने के कारण अनित्य है, तो वह घट के आसमान होने के कारण नित्य क्यों नहीं है, तो उसका यह उत्तर केवल बैधर्म्य के आधार पर होने के कारण अनुपयुक्त होगा और जाति के अंतर्गत आ जायगा । विशेष—न्याय में जाति सोलह पवार्थों के अंतर्गत मानी गई है । नैयायिकों ने इसके और भी सूक्ष्म 24 भेद किए हैं, जिनके नाम ये है
जाति meaning in english