joy = हर्ष(noun) (Harsh)
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हर्ष संज्ञा पुं॰
1. प्रफुल्लता या भय आदि के कारण रोंगटों का खड़ा होना ।
2. प्रफुल्लता । आनंद । चित्तप्रसादन खुशी । क्रि॰ प्र॰—करना । —मनाना । । —होना ।
3. 33 संचारी भावों में से एक का नाम । विशेष—साहित्य में 'हर्ष' की गिनती संचारी भावों में की गई है ।
3. धर्म के पुत्रों में से एक ।
4. भागवत के अनुसार कृष्ण के एक पुत्र का नाम ।
5. काम के वेग से इंद्रिय का उत्तेजित होना । कामोत्तेजना । कामोद्दीपन (को॰) ।
6. तीव्र आकांक्षा । उत्कट इच्छा (को॰) ।
7. एक दैत्य का नाम ।
8. कान्यकुब्ज के एक नरेश का नाम । दे॰ 'हर्षवर्धन' । यौ॰—हर्षविषाद = खुशी और रंज ।
हर्षवर्धन (590-647 ई.) प्राचीन भारत में एक राजा था जिसने उत्तरी भारत में अपना एक सुदृढ़ साम्राज्य स्थापित किया था। वह हिंदू सम्राट् था जिसने पंजाब छोड़कर शेष समस्त उत्तरी भारत पर राज्य किया। शशांक की मृत्यु के उपरांत वह बंगाल को भी जीतने में समर्थ हुआ। हर्षवर्धन के शासनकाल का इतिहास मगध से प्राप्त दो ताम्रपत्रों, राजतरंगिणी, चीनी यात्री युवान् च्वांग के विवरण और हर्ष एवं बाणभट्टरचित संस्कृत काव्य ग्रंथों में प्राप्त है। शासनकाल 606 से 647 ई.। वंश - थानेश्वर का पुष्यभूति वंश। उसके पिता का नाम 'प्रभाकरवर्धन' था। राजवर्धन उसका बड़ा भाई और राज्यश्री उसकी बड़ी बहन थी। 605 ई. में प्रभाकरवर्धन की मृत्यु के पश्चात् राजवर्धन राजा हुआ पर मालव नरेश देवगुप्त और गौड़ नरेश शंशांक की दुरभिसंधि वश मारा गया। हर्षवर्धन 606 में गद्दी पर बैठा। हर्षवर्धन ने बहन राज्यश्री का विंध्याटवी से उद्धार किया, थानेश्वर और कन्नौज राज्यों का एकीकरण किया। देवगुप्त से मालवा छीन लिया। शंशाक को गौड़ भगा दिया। दक्षिण पर अभियान किया पर आंध्र पुलकैशिन द्वितीय द्वारा रोक दिया गया। उसने साम्राज्य को सुंदर शासन दिया। धर्मों के विषय में उदार नीति बरती। विदेशी यात्रियों का सम्मान किया। चीनी यात्री युवेन संग ने उसकी बड़ी प्रशंसा की है। प्रति पाँचवें वर्ष वह सर्वस्व दान करता था। इसके लिए बहुत बड़ा धार्मिक समारोह करता था। कन्नौज और प्रयाग के समारोहों में युवेन संग उपस्थित था। हर्ष साहित्य और कला का पोषक था। कादंबरीकार बाणभट्ट उसका अनन्य मित्र था। हर्ष स्वयं पंडित था। वह वीणा बजाता था। उसकी लिखी तीन
हर्ष meaning in english