foundation = नींव(noun) (Neev)
दीवार, खंभे तथा भवन और पुलों के आधारस्तंभों का भार उनकी नींव अथवा बुनियाद (Foundation) द्वारा पृथ्वी पर वितरित किया जाता है। अत: निर्माण कार्य में बुनियाद, बहुत महत्वपूर्ण अंग है। अगर बुनियाद कमजोर हो, तो पूरे भवन अथवा पुल के भारवाहन की शक्ति बहुत कम हो जाती है। अगर बुनियाद एक बार कमजोर रह गई, तो बाद में उसे सुधारना प्राय: असंभव सा ही हो जाता है। अत: बुनियाद का अभिकल्प (डिजाइन) बहुत दक्षता से बनाना चाहिए। नींव का विशेष प्रयोजन यह है कि वह ऊपर से भार का बराबर से भूमि पर इस प्रकार वितरित करे कि वहाँ की मिट्टी (अथवा चट्टान) पर उसकी भारधारी क्षमता से अधिक बोझ न पड़े, नहीं तो मिट्टी के बैठने से भवन इत्यादि में दरार पड़ने का भय रहता है। नींव के अभिकल्प के लिए विभिन्न प्रकार की मिट्टी अथवा चट्टानों की भारधारी क्षमता का ज्ञान आवश्यक है। निम्नलिखित सारणी में भिन्न भिन्न प्रकार की मिट्टियों की भारधारी क्षमता दी गई है -टिप्पणी-(1) पृथ्वी की सतह से गहराई जितनी बढ़ेगी साधारणत: मिट्टी की भारधारी क्षमता भी गहराई के हिसाब से बढ़ती जाएगी। (2) साधारणत: पानी की नमी से मिट्टी की भारधारी क्षमता कुछ कम हो जाती है। इसीलिए अधिकतर भवनों की नींव जमीन से कम से कम तीन चार फुट गहरी रखी जाती हैं, जिससे वर्षा में नमी का असर इस गहराई पर बहुत कम हो जाता है। ऐसी जमीन की जहाँ पानी भरा रहता है, भारधारी क्षमता औसत से थोड़ी कम लेनी चाहिए। बड़े भवन तथा पुल इत्यादि के लिए मिट्टी की पूरी जाँच मिट्टी जाँचनेवाली किसी प्रयोगशाला द्वारा करा लेनी चाहिए। नींव की डिज़ाइन में सबसे आवश्यक इसकी चौड़ाई है, जिसके द्वारा नींव पर आनेवाले कुल बोझ को वह जमीन पर इस प्रकार फैला दे कि जमीन पर भार उसकी सहनशक्ति से अधिक न हो। अगर जमीन की भारधारी क्षमता (अथवा सहनशक्ति) "स" है तथा कुल भार (नींव के भार को भी लेकर) नींव की प्रति फुट लंबाई पर "भ" है, तो नींव की चौड़ाई "च" निम्नलिखित समीकरण से निकाली जा सकती हैं :यह रैंकिन के निम्नलिखित समीकरण से प्राप्त की जा सकती हैं :इसमें स = जमीन की भारधारी क्षमता, अ = ईंट अथवा पत्थर या कंक्रीट का, जिससे नींव बनेगी, प्रति वर्ग फुट भार तथा q = वह कोण, जिसमें मिट्टी अपने आप प्राकृतिक ढंग से हो जाती है (angle of repose of soil)। प्राय: भवननिर्माण में उपर्युक्त सूत्र द्वारा जो नींव की
नींव meaning in english