lobe
= पालि() (Pali)
पालि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. कर्णलताग्र । कान की लौ । कान के पुट के नीचे का मुलायम चमड़ा । विशेष— पुट के जिस निचले भाग में छेद करके बलियाँ आदि पहनी जाती है उसे पालि कहते हैं । इस स्थान पर कई प्रकार के रोग हो जाते हैं, जैसे, उत्पाटक जिसमें चिराचिराहट होती है, कंड़ु जिसमें खुजली होती है, ग्रंथिक जिसमें जगह जगह गाँठें सी पड़ जाती हैं, श्याव जिसमें चमड़ा काला हो जाता है, स्नावी जिसमें बराबर खुजली होती और पनछा बहा करता है, आदि ।
२. कोना ।
३. पंक्ति । श्रेणी । कतार ।
४. किनारा ।
५. सीमा । हद ।
६. मेड़ । बाँध । उ॰— ढाढी एक संडेसड़उ ढोलइ लागि लइ जाइ । जोबण फट्टि तलावड़ा, पालि न बंधउ काँई । — ढोला॰, दू॰, १२२ ।
७. पुल । करारा । कगार । भीटा । उ॰— खेलत मानसरोदक गई । जाइ पालि पर ठाढ़ी भई । — जायसी (शब्द॰) ।
८. देग । बटलोई ।
९. एक तौल जो एक प्रस्थ के बराबर होती थी ।
१०. वह बँधा हुआ भोजन जो छात्र या व्रह्मचारी को गुरुकुल में मिलता था ।
११. अंक । गोद । उत्संग ।
१२. परिधि ।
१३. जूँ या चीलर ।
१४. स्त्री जिसकी दाढ़ी में बाल हों ।
१५. अंक । चिह्न ।
१६. संस्तवन । प्रशंसन (को॰) ।
१७. श्रोणी । नितंब (को॰) ।
१८. लंबा तालाब (को॰) ।
पालि प्राचीन उत्तर भारत के लोगों की भाषा थी। जो पूर्व में बिहार से पश्चिम में हरियाणा-राजस्थान तक और उत्तर में नेपाल-उत्तरप्रदेश से दक्षिण में मध्यप्रदेश तक बोली जाती थी। भगवान बुद्ध भी इन्हीं प्रदेशो में विहरण करते हुए लोगों को धर्म समझाते रहे। आज इन्ही प्रदेशों में हिंदी बोली जाती है। इसलिए, पाली प्राचीन हिन्दी है। यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में की एक बोली या प्राकृत है। इसको बौद्ध त्रिपिटक की भाषा के रूप में भी जाना जाता है। पाली, ब्राह्मी परिवार की लिपियों में लिखी जाती थी। पालि शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बंध में विद्वानों के नाना मत पाए जाते हैं। किसी ने इसे पाठ शब्द से तथा किसी ने पायड (प्राकृत) से उत्पन्न करने का प्रयत्न किया है। एक जर्मन विद्वान् मैक्स वैलेसर ने पालि को 'पाटलि' का संक्षिप्त रूप बताकर यह मत व्यक्त किया है कि उसका अर्थ पाटलिपुत्र की प्राचीन भाषा से है। इन व्युत्पत्तियों की अपेक्षा जिन दो मतों की ओर विद्वानों का अधिक झुकाव है, उनमें से
पालि meaning in english