यम (Yam) = Yum
यम संज्ञा पुं॰
1. एक साथ उत्पन्न बच्चों का जोड़ा । यमज ।
2. भारतीय आर्यों के एक प्रसिद्ध देवता जो दक्षिण दिशा के दिक् पाल कहे जाते हैं और आजकल मृत्यु के देवता माने जाते हैं । विशेष— वैदिक काम में यम और यमी दोनों देवता, ऋषि और मंत्रकर्ता माने जाते थे और 'यम' को लोग 'मृत्यु' से भिन्न मानते थे । पर पीछे से मय ही प्राणियों को मारनेवाले अथवा इस शरीर में से प्राण निकालनेवाले माने जाने लगे । वैदिक काल में यज्ञों में यम की भी पूजा होती थी और उन्हे हवि दिया जाता था । उन दिनों वे मृत पितरों के अधिपति तथा मरनेवाले लोगों को आश्रय देनेवाला माने जाते थे । तब से अब तक इनका एक अलग लोक माना जाता है, जो 'यमलोक' कहलाता है । हिदुओं का विश्वास है कि मनुष्य मरने पर सब से पहले यमलोक में जाता है और वहाँ यमराज के सामने उपस्थित किया जाता है । वही उसकी शुभ और अशुभ कृत्यों का विचार करके उसे स्वर्ग या नरक में भेजते हैं । ये धर्मपूर्वक विचार करते हैं, इसीलिये धर्मराज भी कहलाते हैं । यह भी माना जाता है कि मृत्यु के समय यम के दूत ही आत्मा को लेने के लिये आते हैं । स्मृतियों में चौदह यमों के नाम आए हैं, जो इस प्रकार हैं— यम, धर्मराज, मृत्यु, अंतक, वैवस्वत, काल, सर्वभूत- क्षय, उदुंबर, दघ्न, नील, परमेष्ठी, वृकोदर, चित्र और चित्रगुप्त । तर्पण में इनमें से प्रत्यक के नाम तीन तीन अंजलि जल दिया जाता है । मार्कडेयपुरणा में लिखा है कि जब विश्वकर्मा की कन्या संज्ञा ने अपने पति सूर्य को देखकर भय से आँखें बंद कर ली, तब सूर्य ने क्रुद्ध होक उसे शाप दिया कि जाओ, तुम्हें जो पुत्र होगा, वह लोगों का संयमन करनेवाला (उनके प्राण लेनेवाला) होगा । जब इसपर संज्ञा ने उनकी और चंचल दृष्टि से देखा, तब फिर उन्होने कहा कि तुम्हें जो कन्या होगी, वह इसी प्रकार चंचलतापूर्वक नदी के रूप में बहा करेगी । पुत्र तो यही यम हुए और कन्या यमी हुई, जो बाद में यमुना के नाम से प्रसिद्ध हुई । कहा जाता है कि यमी और यम दोनों यमज थे । यम का वाहन भैंसा माना जाता है । पर्या॰—पितृपति । कृतांत । शमन । काल । दंडधर । श्राद्धदेव । धर्म । जीवितेश । महिपध्वज । महिषवाहन । शीर्णपाद । हरि । कर्मकर ।
2. मन, इंद्रिय आदि के वश या रोक में रखना । निग्रह ।
4. चित को धर्म में स्थिर रखनेवाले कर्मों का साधन । विशे
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यम, धर्मराज,