न (n) = not
न एक व्यंजन जो हिदी या संस्कृत वर्णमाला का बीसवाँ और तवर्ग का पाँचवाँ वर्ण है । इसका उच्तारणस्थान दंत् है । इसके उच्चारण में आभ्यंतर प्रयत्न और जीभ के अगले भाग का दाँतों की जंड़ से स्पर्श होता है । और बाहय प्रयत्न संवार, नाद, घोष और अल्पप्राण है । काव्य आदि में इस वर्ण का विन्यास सुखद होता है । न ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. उपमा ।
२. रत्न ।
३. सोना ।
४. बुद्ध ।
५. बंध ।
६. मोती (को॰) ।
७. गणेश (को॰) ।
८. धन । संपत्ति (को॰) ।
९. युद्ब (को॰) ।
१०. उपहार (को॰) । न ^२ वि॰
१. पतला ।
२. रिक्त । शून्य ।
३. अनुऱूप । सदृश । वही ।
४. अश्रांत । न थका हुआ ।
५. प्रशांसित ।
६. अविभक्त अविभाजित [को॰] । न ^३ अव्य॰ १, निषेधवाचक शब्द । नहीं । मत । जैसे,—तुम न जाओ तो कोई हर्ज है ? (ख) उसे कुछ न देना ही ठीका है । विशेष—विधि, अनुज्ञा, हेतुहेतुमद् भाव आदि कुछ विशेष स्थलों पर भी 'नहीं के स्थान में 'न' आता है । जैसे,—
२. कि नहीं । या नहीं । (क) तुम वहाँ जाओगे न ? (ख) वे दिनभर तो वहाँ रहेंगे न ? विशेष—इस अर्थ में इसका प्रयोग प्रश्नात्मक वाक्य़ के अंत में ही होता है ।
न एक व्यंजन जो हिदी या संस्कृत वर्णमाला का बीसवाँ और तवर्ग का पाँचवाँ वर्ण है । इसका उच्तारणस्थान दंत् है । इसके उच्चारण में आभ्यंतर प्रयत्न और जीभ के अगले भाग का दाँतों की जंड़ से स्पर्श होता है । और बाहय प्रयत्न संवार, नाद, घोष और अल्पप्राण है । काव्य आदि में इस वर्ण का विन्यास सुखद होता है । न ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. उपमा ।
२. रत्न ।
३. सोना ।
४. बुद्ध ।
५. बंध ।
६. मोती (को॰) ।
७. गणेश (को॰) ।
८. धन । संपत्ति (को॰) ।
९. युद्ब (को॰) ।
१०. उपहार (को॰) । न ^२ वि॰
१. पतला ।
२. रिक्त । शून्य ।
३. अनुऱूप । सदृश । वही ।
४. अश्रांत । न थका हुआ ।
५. प्रशांसित ।
६. अविभक्त अविभाजित [को॰] ।
न एक व्यंजन जो हिदी या संस्कृत वर्णमाला का बीसवाँ और तवर्ग का पाँचवाँ वर्ण है । इसका उच्तारणस्थान दंत् है । इसके उच्चारण में आभ्यंतर प्रयत्न और जीभ के अगले भाग का दाँतों की जंड़ से स्पर्श होता है । और बाहय प्रयत्न संवार, नाद, घोष और अल्पप्राण है । काव्य आदि में इस वर्ण का विन्यास सुखद होता ह
Hindi Dictionary. Devnagari to roman Dictionary. हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा शब्दकोष। देवनागरी और रोमन लिपि में। एक लाख शब्दों का संकलन। स्थानीय और सरल भाषा में व्याख्या।