सतसई (Satsai) = Satsai
सतसई संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ सप्तशती, प्रा॰ सत्तसई]
१. वह ग्रंथ जिसमें सात सौ पद्य हों । सात सौ पद्यों का समूह या संग्रह । सप्तशती । विशेष—हिंदी साहित्य में 'सतसई' शब्द से प्रायः सात सौ दोहे ही समझे जाते हैं । जैसे,—बिहारी की सतसई ।
सत्सैई सतसई], मुक्तक काव्य की एक विशिष्ट विधा है। इसके अंतर्गत कविगण 700 या 700 से अधिक दोहे लिखकर एक ग्रंथ के रूप में संकलित करते रहे हैं। "सतसई" शब्द "सत" और "सई" से बना है, "सत" का अर्थ सात और सई का अर्थ "सौ" है। इस प्रकार सतसई काव्य वह काव्य है जिसमें सात सौ छंद होते हैं। सतसई काव्य ने एक विशिष्ट परंपरा के रूप में प्रतिष्ठित होकर अपनी निजी विशेषताएँ विकसित की हैं। सतसई रचना की परंपरा "हाल" की गाथासप्तशती से आरंभ हुई। यह प्राकृत का ग्रंथ है तथा इसमें रस से सिक्त और लोकजीवन का सजीव चित्र प्रस्तुत करनेवाली गाथाएँ हैं। इसके बाद गोवर्धनाचार्य की "आर्यासप्तशती" संस्कृत में लिखी गई। अमरु कवि के "अमरुशतक" में भी शृंगाररस के मनोहारी श्लोक हैं। संख्यापरक इन ग्रंथों के प्रभाव से हिंदी साहित्य में सतसई रचना का चाव बढ़ा परंतु हिंदी साहित्य के प्रांगण में सतसई रचना का सतत विकास अपने निजी ढंग पर हुआ; वह अपने पूर्ववर्ती सतसई साहित्य से प्रभावित है परंतु उसका निर्जीव अनुकरण नहीं है। हिंदी साहित्य में रीतिकाल के प्रमुख कवि बिहारीलाल की लिखी "बिहारी सतसई" ने बड़ी प्रसिद्धि पाई। हिंदी साहित्य में इस ग्रंथ का अत्यंत प्रचार हुआ तथा सतसईरचना के लिए इसने अनेक कवियों को प्रेरित किया। "बिहारी सतसई" की बढ़ती हुई लोकप्रियता देखकर अनेक मूर्धन्य कवियों के दोहों को भी बाद में "सतसई" का रूप दे दिया गया, जैसे "तुलसीसतसई"। मुक्तक काव्य का यह रूप इतना जनप्रिय हुआ कि हिंदी में सतसइयों का एक विशाल भंडार हमें उपलब्ध है। इनमें रहीम सतसई, तुलसी सतसई, बिहारी सतसई, रसनिधि सतसई, मतिराम सतसई, वृंद सतसई, भूपति सतसई, चंदन सतसई, विक्रम सतसई, राम सतसई के नाम प्रमुख हैं और ये सतसइयाँ मध्य युग में लिखी गई। आधुनिक काल में भी अनेक सतसइयाँ मध्य युग में लिखी गईं। आधुनिक काल में भी सतसइयाँ लिखी गईं जैसे हरिऔध कृत हरिऔध सतसई, वियोगी हरि की वीर सतसई भी बड़ी प्रसिद्ध और सामयिक रचनाएँ हैं। (1) सतसइयों में 700 या 700 से कुछ अधिक छंद होते हैं। (2) सतसइयों में प्रमुख रूप से
Hindi Dictionary. Devnagari to roman Dictionary. हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा शब्दकोष। देवनागरी और रोमन लिपि में। एक लाख शब्दों का संकलन। स्थानीय और सरल भाषा में व्याख्या।