त्यागी (Tyagi) = Tyagi
त्यागी वि॰ [सं॰ त्यागिन्] जिसने सब कुछ त्याग दिया हो । स्वार्थ या सांसारिक सुख को छोड़नेवाला । विरक्त ।
निपुंण माना जाता है। अयाचक ब्राह्मणों की उत्पत्ति:- हमारे देश आर्यावर्त में 7200 विक्रमसम्वत् पूर्व देश, धर्म व संस्कृति की रक्षा हेतु एक विराट युद्ध सहस्रबाहु सहित समस्त आर्यावर्त के 21 राज्यों के क्षत्रिय राजाओ के विरूद्ध हुआ, जिसका नेतृत्व ऋषि जमदग्नि के पुत्र ब्रह्मऋषि भगवान परशुराम ने किया, इस युद्ध में आर्यावर्त के अधिकतर ब्राह्मणों ने भाग लिया और इस युद्ध में भगवान परशुराम की विजय हुई तथा इस युद्ध के उपरान्त अधिकतर ब्राह्मण अपना धर्मशास्त्र एवं ज्योतिषादि का कार्य त्यागकर समय-समय पर कृषि क्षेत्र में संलग्न होते गये, जिन्हे अयाचक ब्राह्मण व खांडवायन कहा जाने लगा जोकि कालान्तर में त्यागी, भूमिहार, महियाल, गालव, चितपावन, नम्बूदरीपाद, नियोगी, अनाविल, कार्वे, राव, हेगडे, अयंगर एवं अय्यर आदि कई अन्य उपनामों से पहचाने जाने लगे। त्यागी ब्राह्मणों को महाभारत काल से ही जाना जाता हैक्योकि महाभारत काल में इनका एक नगर था जो कांपिल्य नगर के नाम से जाना जाता था .जब पांडव अज्ञात वास में थे . तभी इन त्यागी ब्राह्मणों ने पांडवो को अपने नगर में रहने का स्थान दिया था .और अज्ञात वास में पांडवो का पुरे तरह सहयोग किया था .त्यागी ब्राह्मणों का भूमि प्राप्त रहस्ये .बताया जाता है की त्यागी उन ब्राह्मणों में से निकले त्यागी ब्राह्मण है . जब भगवान् परसुराम ने छत्रियो से युद्ध किया था. उस युद्ध में जो ब्राह्मण भगवान् परसुराम के साथ थे .अतः जिन ब्राह्मणों ने भगवान् परसुराम को सैनिक बल दिया था . वो त्यागी ब्राह्मण थे. खुद भगवान् परसुराम ने उन्हें त्यागी ब्राह्मण की उपाधि दी . और जो भूमि युद्ध में जीती गयी वो सब उन ही त्यागी ब्राह्मणों को दी गयी थी . जिसे वो अपने कर्मकणों का त्याग करके स्वम अपनी महनत से उत्पति करने लगे . और अपनी जीविका चलाने लगे . तो भगवान् परसुराम ने ही त्याग करना सिखाया और ब्राह्मणों को स्वम पर निर्भर रहना सिखाया .
Hindi Dictionary. Devnagari to roman Dictionary. हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा शब्दकोष। देवनागरी और रोमन लिपि में। एक लाख शब्दों का संकलन। स्थानीय और सरल भाषा में व्याख्या।
एकांतवासी, संन्यासी, त्यागी,