सोरठा (Sortha) = Soratha
सोरठा संज्ञा पुं॰ [सं॰ सौराष्ट्र, हिं॰ सोरठ (देश)] अड़तालीस मात्राओं का एक छंद जिसके पहले और तीसरे चरण में ग्यारह ग्यारह और दूसरे तथा चौथे चरण में तेरह तेरह मात्राएँ होती हैं । इसके सम चरणों में जगण का निषेध है । दोहे को उलट देने से सोरठा हो जाता है । जैसे,—जेहि सुमिरत सिधि होइ, गननायक करिवर वदन । करउ अनुग्रह सोइ, बुद्धिरासि सुभ गुन सदन । उ॰—छंद सोरठा सुंदर दोहा । सोइ बहुरंग कमल कुल सोहा । —मानस, १ । ३७ । विशेष—जान पड़ता है, इस छंद का प्रचार अपभ्रंश काल में पहले पहल सोरठ या सौराष्ट्र देश में हुआ था, इसी से यह नाम पड़ा ।
सोरठा एक मात्रिक छंद है। यह दोहा का ठीक उलटा होता है। इसके विषम चरणों चरण में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है। उदाहरण -भट्ट मथुरानाथ शास्त्री ने अपने पूर्वज श्रीकृष्ण भट्ट कविकलानिधि का सोरठा छंद में निबद्ध संस्कृत-कविता में इन शब्दों में स्मरण किया था-
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‘ राजिया रा सोरठा ‘ नामक ग्रंथ के रचयिता है ?
सोरठा , छंद और माँड राग जिस बोली की शिल्पगत विशेषताएं है , वह है ?
सोरठा छंद की परिभाषा
सोरठा की परिभाषा उदाहरण सहित
‘ रजिया का सोरठा ‘ की रचना निम्न में से किसने की है ?
Sortha meaning in Gujarati: સોરઠા
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Sortha meaning in Marathi: सोर्था
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Sortha meaning in Bengali: সোর্থা
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Sortha meaning in Telugu: సోర్త
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Sortha meaning in Tamil: சோர்த்த
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