मीराबाई (Mirabai) = Mirabai
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मीराबाई (१५०४-१५५८) कृष्ण-भक्ति शाखा की प्रमुख कवयित्री हैं। उनकी कविताओं में स्त्री पराधीनता के प्रती एक गहरी टीस है, जो भक्ति के रंग में रंग कर और गहरी हो गयी है। मीरा बाई ने कृष्ण-भक्ति के स्फुट पदों की रचना की है। मीराबाई का जन्म संवत् 1498 में पाली में कुड़की नामक गाँव में हुआ था। कुड्की में मीरा बाई के पिता रत्नसिंह का घर था। ये बचपन से ही कृष्णभक्ति में रुचि लेने लगी थीं। मीरा का जन्म राठौर राजपूत परिवार में हुए व् उनका विवाह मेवाड़ के सिसोदिया राज परिवार में हुआ. उदयपुर के महाराणा कुंवर भोजराज इनके पति थे जो मेवाड़ के महाराणा सांगा के पुत्र थे। विवाह के कुछ समय बाद ही उनके पति का देहान्त हो गया। पति की मृत्यु के बाद उन्हें पति के साथ सती करने का प्रयास किया गया, किन्तु मीरा इसके लिए तैयार नहीं हुईं। वे संसार की ओर से विरक्त हो गयीं और साधु-संतों की संगति में हरिकीर्तन करते हुए अपना समय व्यतीत करने लगीं। पति के परलोकवास के बाद इनकी भक्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। ये मंदिरों में जाकर वहाँ मौजूद कृष्णभक्तों के सामने कृष्णजी की मूर्ति के आगे नाचती रहती थीं। मीराबाई का कृष्णभक्ति में नाचना और गाना राज परिवार को अच्छा नहीं लगा। उन्होंने कई बार मीराबाई को विष देकर मारने की कोशिश की। घर वालों के इस प्रकार के व्यवहार से परेशान होकर वह द्वारका और वृंदावन गईं। वह जहाँ जाती थीं, वहाँ लोगों का सम्मान मिलता था। लोग उनको देवियों के जैसा प्यार और सम्मान देते थे। मीरा का समय बहुत बड़ी राजनैतिक उथल पुथल का समय रहा है। बाबर का हिंदुस्तान पर हमला और प्रसिद्ध खानवा की लड़ाई जो की बाबर और राणा संग्राम सिंह के बीच हुई, जिसमें राणा सांगा की पराजय हुई और भारत में मुग़लों का अधिपत्य शुरू हुआ। हिंदुत्व के पतन और अवसान के दिन आरम्भ हुए। देश में राजनैतिक अस्थिरता पैदा हुई जिसमें धर्म और संस्कृति की रक्षा एक बहुत बड़ी चुनौती थी। इस सभी परिस्तिथियों के बीच मीरा का रहस्यवाद और भक्ति की निर्गुण मिश्रित सगुण पद्धत्ति सवर्मान्य बनी। द्वारका में संवत 1557 ईस्वी में वो भगवान कृष्ण की मूर्ति में समा गईं। मीराबाई ने चार ग्रंथों की रचना की--poems
Hindi Dictionary. Devnagari to roman Dictionary. हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा शब्दकोष। देवनागरी और रोमन लिपि में। एक लाख शब्दों का संकलन। स्थानीय और सरल भाषा में व्याख्या।