वली (vali) = Wali
वली ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. झुर्री । शिकन ।
२. अवली । श्रेणी ।
३. रेखा । लकीर ।
४. चंदन आदि से बनाई हुई लकीर ।
५. पेट के दोनों ओर पेटी के सुकड़ने से पड़ी हुई लकीर । जैसे,— त्रिवली । उ॰—यह रोग गुदा की तीन वली के भीतर होय है । —माधव॰, पृ॰ ५३ । वली ^२ संज्ञा पुं॰ [अ॰]
१. मालिक । स्वामी । उ॰—बेबहा मेरे सिर पर सदा वली अल्लाह मदद वेबहा की, दोहाई दरिया साहब की, दीहाई । —संत॰ दरिया, पृ॰ ३५ ।
२. शासक । हाकिम । अधिपति । यौ॰—वलीअहद ।
३. साधु । फकीर । उ॰—करम उनका मदद जब तें न होवे । वला हरगिज विलायत कूँन पावे । —दक्खिनी॰, पृ॰ ११४ । यौ॰—वली खंगर=साधू होने का झूठा दावा रखनेवाला । धर्म- घ्वजी साधु ।
४. [स्त्री॰ वलीया] उत्तराधिकारी । वारिस (को॰) ।
५. मित्र । दास्त । सहायक (को॰) ।
वली ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. झुर्री । शिकन ।
२. अवली । श्रेणी ।
३. रेखा । लकीर ।
४. चंदन आदि से बनाई हुई लकीर ।
५. पेट के दोनों ओर पेटी के सुकड़ने से पड़ी हुई लकीर । जैसे,— त्रिवली । उ॰—यह रोग गुदा की तीन वली के भीतर होय है । —माधव॰, पृ॰ ५३ ।
वाली या वली (अरबी: والي) एक उपाधि है जो अरब ख़िलाफ़त और उसमानी साम्राज्य द्वारा किसी प्रशासनिक विभाग के अध्यक्ष के लिए प्रयोग की जाती थी। यह आज भी बहुत सी अरब-भाषी देशों में इस्तेमाल होती है। जिस प्रांत या ज़िले को वाली चलाये उसे 'विलायाह' या 'विलायत' कहा जाता है। यह अरबी का शब्द हिन्दी में भी पाया जाता है। जिस व्यक्ति का कोई सगा-सम्बन्धी न हो उसके बारे में कहा जाता है कि उसका 'न वली न वारिस है'। उसी तरह अगर किसी व्यक्ति का किसी मामले से कोई लेना-देना नहीं तो कहा जाता है कि उसका उस मामले से 'कोई वली-वास्ता नहीं' (यानि यह उसकी निगरानी से बाहर है)।
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