कनिष्क (Kanishk) = Kanishka
Category: King
कनिष्क प्रथम (बाख़्त्री : Κανηϸκι, Kaneshki; मध्य चीनी भाषा: 迦腻色伽 (Ka-ni-sak-ka > नवीन चीनी भाषा: Jianisejia)), या कनिष्क महान, द्वितीय शताब्दी (127 – 150 ई.) में कुशाण राजवंश का भारत का एक महान सम्राट था। वह अपने सैन्य, राजनैतिक एवं आध्यात्मिक उपलब्धियों तथा कौषल हेतु प्रख्यात था। इस सम्राट को भारतीय इतिहास एवं मध्य एशिया के इतिहास में अपनी विजय, धार्मिक प्रवृत्ति, साहित्य तथा कला का प्रेमी होने के नाते विशेष स्थान मिलता है। इसके अतिरिक्त गुर्जर जाति में भी कनिष्क को बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है जो उनके महान गुर्जर सम्राट मिहिरभोज के समकक्ष ही माना जाता है। मान्यता अनुसार गुर्जर जाति के कषाणा गोत्र से ही कुषाण वंश का उद्गम माना जाता है। कुषाण वंश के संस्थापक कुजुल कढ़पिसेज़ का ही एक वंशज, कनिष्क बख्त्रिया से इस साम्राज्य पर सत्तारूढ हुआ, जिसका विस्तार। इनकी गणना एशिया के महानतम शासकों में की जाती है, क्योंकि इनका साम्राज्य तरीम बेसिन में तुर्फन से लेकर गांगेय समतल में पाटलिपुत्र तक रहा था जिसमें मध्य एशिया के आधुनिक उजबेकिस्तान तजाकिस्तान, चीन के आधुनिक सिक्यांग एवं कांसू प्रान्त से लेकर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और समस्त उत्तर भारत में बिहार एवं उड़ीसा तक आते हैं। इस साम्राज्य की मुख्य राजधानी पेशावर (वर्तमान में पाकिस्तान, तत्कालीन भारत के) गाँधार प्रान्त के नगर पुरुषपुर में थी। इसके अलावा दो अन्य बड़ी राजधानियां प्राचीन कपीश में भी थीं। उसकी विजय यात्राओं तथा बौद्ध धर्म के प्रति आस्था ने रेशम मार्ग के विकास तथा उस रास्ते गांधार से काराकोरम पर्वतमाला के पार होते हुए चीन तक महायान बौद्ध धर्म के विस्तार में विशेष भूमिका निभायी। पहले के इतिहासवेत्ताओं के अनुसार कनिष्क ने राजगद्दी 78 ई0 में सम्हाली, एवं तभी इस वर्ष को शक संवत के आरम्भ की तिथि माना जाता है। हालांकि बाद के इतिहासकारों के मतानुसार अब इस तिथि को कनिष्क के सत्तारूढ़ होने की तिथि नहीं माना जाता है। इनके अनुमानानुसार कनिष्क ने सत्ता 127 ई0 में सम्हाली थी। कनिष्क यूज़ी जाति का कुशाण था। उसकी स्थानीय भाषा अभी अज्ञात है। उसके रबातक शिलालेखों में यूनानी लिपि का प्रयोग उस भाषा को लिखने के लिये किया गया है, जिस आर्य (यूनानी:αρια) कहा गया है – जो किसी बैक्टीरियाई को संकेत करती है, जिसका मूल एरिया
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