नाथद्वारा (NathDwara) = Nathdwara
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नाथद्वारा संज्ञा पुं॰ [सं॰ नाथद्वार] उदयपुर राज्य के अंतर्गत बल्लभ संप्रदाय के वैष्णवों का एक प्रसिद्ध स्थान जहाँ श्रीनाथजी की मूर्ति स्थापित है । विशेष— औरंगजेब ने जब मथुरा की सब कुष्णमूर्तियों को तोड़ने का विचार किया तब सन् १६७१ में उदयपुर के महाराणा राजसिंह श्रीनाथ जी की मूर्ति को मथुरा से उदयपुर की ओर लेकर धूमधाम के साथ चले । इस स्थान पर जब रथ पहुँचा तव पहिया कीचड़ में धँस गया । लोगों ने कहा कि श्रीनाथजी की इच्छा इसी स्थान पर रहने की है । महाराणा ने भारी मंदिर बनवाकर मूर्ति वहीं स्थापित कर दी ।
श्रीनाथद्वारा राजस्थान के राजसमन्द जिले मै स्थित है। श्रीनाथद्वारा पुष्टिमार्गीय वैष्णव सम्प्रदाय की प्रधान (प्रमुख) पीठ है। यहाँ नंदनंदन आनन्दकंद श्रीनाथजी का भव्य मन्दिर है जो करोडों वैष्णवो की आस्था का प्रमुख स्थल है, प्रतिवर्ष यहाँ देश-विदेश से लाखों वैष्णव श्रृद्धालु आते हैं जो यहाँ के प्रमुख उत्सवों का आनन्द उठा भावविभोर हो जाते हैं। नाथद्वार के निकट मावली रेल जंक्शन स्थित है। नाथद्वार में एक कृषि बाज़ार है तथा यहां राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध एक सरकारी महाविद्यालय है। श्रीनाथजी का तकरीबन 337 वर्ष पुराना मन्दिर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित रोडवेज बस स्टेण्ड से मात्र 1 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। जहाँ से मन्दिर पहुँचने के लिए निर्धारित मूल्य पर (वर्तमान में प्रति व्यक्ति 5 रूपये) सार्वजनिक परिवहन ऑटो रिक्शा सेवा उपलब्ध है। श्रीनाथद्वारा दक्षिणी राजस्थान में 24/54 अक्षांश 73/48 रेखांश पर अरावली की सुरम्य उपत्यकाओं के मध्य विश्वप्रसिद्ध झीलों की नगरी उदयपुर से उत्तर में 48 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर स्थित है। श्रीनाथद्वारा सेउत्तर :- श्रीनाथद्वारा के उत्तर में राजसमन्द (17) अजमेर (225) पुष्कर (240) जयपुर (385) देहली (625) प्रमुख शहर हैं। दक्षिण :- श्रीनाथद्वारा के दक्षिण में उदयपुर (48) अहमदाबाद (300) बडौदा (450) सूरत (600) मुम्बई (800) स्थित हैं। पूर्व :- श्रीनाथद्वारा के पूर्व में मंडियाणा ((रेल्वे स्टेशन (12)) मावली ((रेल्वे स्टेशन (28)) चित्तौडगढ (110) कोटा (180) स्थित हैं। पश्चिम :- फालना (180) जोधपुर (225) स्थित हैं। बस सेवा :- श्रीनाथद्वारा के उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम में स्थित सभी प्रमुख
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