यूरोपियन व्यापारियों का आपसी संघर्ष
भारत से व्यापार करने वाले यूरोपियन व्यापारियों में आपसी ईर्ष्या तथा द्वेष बढ़ रहा था। उनमें आपसी मन-मुटाव इतना बढ़ गया कि संघर्ष अनिवार्य हो गया। 1580 ई. में पुर्तगाल पर स्पेन का आधिपत्य हो जाने से भारत में भी पुर्तगालियों की शक्ति क्षीण हो गई थी। शाहजहाँ ने भी पुर्तगालियों के प्रति बड़ी कठोर नीति अपनायी। उनकी बची-खुची शक्ति को ब्रितानियोंने कुचल दिया।
अब ब्रितानियों का मुकाबला हॉलैण्ड के डचों से हुआ। क्रामवेल के समय 1964 ई. में ब्रितानियों ने हॉलैण्ड को हराकर 1623 ई. में अम्बोयना के युद्ध में हुई अपनी पराजय का बदला ले लिया। अब हॉलैण्ड की शक्ति बहुत क्षीण हो गई।
अब भारत में व्यापारिक एकाधिकार के लिए दो पक्षों में संघर्ष रहा गया था ब्रितानी तथा फ्राँसीसी। 1742 ई. में डूप्ले पांडिचेरी का गवर्नर बना। उसने देशी नरेशों की कूट का लाभ उठाकर भारत में फ्राँसीसी राज्य की स्थापना का निश्चय किया। अतः: ब्रितानियों तथा फ्राँसीसियों में कर्नाटक के तीन युद्ध हुए। 1744, 1748 एवं 1760 ई. के युद्धो में ब्रितानियों ने फ्राँसीसियों को बुरी तरह परास्त किया। अब भारत पर से फ्राँसीसियों का प्रभुत्व सदैव के लिए समाप्त हो गया एवं भारत में एक मात्र यूरोपियन शक्ति रह गई थी और वह भी-ब्रितानी।
सम्बन्धित महत्वपूर्ण लेख
भारत का संवैधानिक विकास ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना
यूरोपियन का भारत में आगमन
पुर्तगालियों का भारत आगमन
भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद का कठोरतम मुकाबला
इंग्लैण्ड फ्रांस एवं हालैण्ड के व्यापारियों का भारत आगमन
ईस्ट इण्डिया कम्पनी की नीति में परिवर्तन
यूरोपियन व्यापारियों का आपसी संघर्ष
प्लासी तथा बक्सर के युद्ध के प्रभाव
बंगाल में द्वैध शासन की स्थापना
द्वैध शासन के दोष
रेग्यूलेटिंग एक्ट के पारित होने के कारण
वारेन हेस्टिंग्स द्वारा ब्रिटिश साम्राज्य का सुदृढ़ीकरण
ब्रिटिश साम्राज्य का प्रसार
लार्ड वेलेजली की सहायक संधि की नीति
आंग्ल-मैसूर संघर्ष
आंग्ला-मराठा संघर्ष
मराठों की पराजय के प्रभाव
आंग्ल-सिक्ख संघर्ष
प्रथम आंग्ल-सिक्ख युद्ध
लाहौर की सन्धि
द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध 1849 ई.
पूर्वी भारत तथा बंगाल में विद्रोह
पश्चिमी भारत में विद्रोह
दक्षिणी भारत में विद्रोह
वहाबी आन्दोलन
1857 का सैनिक विद्रोह
बंगाल में द्वैध शासन व्यवस्था
द्वैध शासन या दोहरा शासन व्यवस्था का विकास
द्वैध शासन व्यवस्था की कार्यप्रणाली
द्वैध शासन के लाभ
द्वैध शासन व्यवस्था के दोष
रेग्यूलेटिंग एक्ट (1773 ई.)
रेग्यूलेटिंग एक्ट की मुख्य धाराएं उपबन्ध
रेग्यूलेटिंग एक्ट के दोष
रेग्यूलेटिंग एक्ट का महत्व
बंगाल न्यायालय एक्ट
डुण्डास का इण्डियन बिल (अप्रैल 1783)
फॉक्स का इण्डिया बिल (नवम्बर, 1783)
पिट्स इंडिया एक्ट (1784 ई.)
पिट्स इण्डिया एक्ट के पास होने के कारण
पिट्स इण्डिया एक्ट की प्रमुख धाराएं अथवा उपबन्ध
पिट्स इण्डिया एक्ट का महत्व
द्वैध शासन व्यवस्था की समीक्षा
1793 से 1854 ई. तक के चार्टर एक्ट्स
1793 का चार्टर एक्ट
1813 का चार्टर एक्ट
1833 का चार्टर एक्ट
1853 का चार्टर एक्ट
Europian, VyaPariyon, Ka, Aapsi, Sangharsh, Bhaarat, Se, Vyapar, Karne, Wale, Me, irshya, Tatha, Dvesh, Badh, Raha, Tha, Unme, Man, -, Mutaav, Itna, Gaya, Ki, Anivarya, Ho, 1580, Ee, Purtgal, Par, Spain, Aadhipaty, Jane, Bhi, Purtgaliyon, Shakti, Ksheen, Gayi, Thi, Shahajahan, ne, Ke, Prati, Badi, Kathor, Neeti, Apnayi, Unki, Bachi, Khuchi, Ko, ब्रितानियोंने, Kuchal, Diya, Ab, Britanian, Muqabala, Holand, Dachon, Hua, kramwale, Samay, 1964, Harakar, 1623, Amboyana, Yudhh, Hui, Apni, Parajay, Bad